१. ज्योतिषी केवल शास्त्र बता सकते हैं
‘ज्योतिषी केवल शास्त्र बता सकेंगे; परंतु वे बचा नहीं सकेंगे । संत उपाय बताकर कष्टों की तीव्रता न्यून कर सकते हैं । शुद्ध साधना में बाह्य साधना को बहुत महत्त्व नहीं होता ।’
– श्रीमती प्राजक्ता जोशी, सनातन आश्रम, रामनाथी, गोवा. (३.९.२०१८)
२. संतों द्वारा बताया गया समय भी उनकी संकल्पशक्ति से निर्धारित होने से वही मुहूर्त होना
संत स्थल, काल एवं समय के परे जा चुके होते हैं । इसलिए किसी समय संतों द्वारा बताया गया समय भी उनकी संकल्पशक्ति से निर्धारित होने से वही मुहूर्त होता है । उसका लाभ ब्राह्ममुहूर्त समान होता है ।
३. ज्योतिषशास्त्र जाननेवालों को मंत्रोपचार
उपदेश का अधिकार नहीं, उसके लिए संतों का मार्गदर्शन लें !
‘जो लोग ज्योतिषशास्त्र जानते हैं, उन्हें दूसरों को मंत्रोपचार का उपदेश नहीं करना चाहिए । ‘अमुक जप करें, अमुक शांति करें’, ऐसा वे कहते हैं और सामनेवाला व्यक्ति लाचार होने से वह सर्व करता है; परंतु उसे फलप्राप्ति नहीं होती । ज्योतिष को कभी भी अनुग्रह नहीं देना चाहिए, उसे वह अधिकार नहीं । संत एवं उन्नत व्यक्ति को ही यह अधिकार है । ज्योतिषी केवल शास्त्र बता सकते हैं; परंतु वे बचा नहीं सकेंगे । इसके लिए संतोंसे मिलकर उनके बताएनुसार करें ।’
(संदर्भ : अज्ञात)