भगवान कार्तिकेय के स्वरूपवाला तेजस्वी नक्षत्र : कृत्तिका !

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कृत्तिका नक्षत्र का कार्तिक मास से संबंध और कृत्तिका नक्षत्र की विशेषता का विश्लेषण आगे दिया है ।

 

१. कार्तिक मास का कृत्तिका नक्षत्र से संबंध

भारतीय कालगणना में चैत्रादी मास के नाम खगोल शास्त्र पर आधारित है । कार्तिक मास में सूर्यास्त होने पर कृत्तिका नक्षत्र पूर्वक्षितिज पर उदय होता है; साथ ही कार्तिक मास में पूर्णिमा तिथि के समय चंद्र कृत्तिका नक्षत्र में होता है । कृत्तिका नक्षत्र से संबंध के कारण इस मास को ‘कार्तिक’ नाम दिया गया ।

श्री. राज कर्वे

 

२. कृत्तिका नक्षत्र का भगवान कार्तिकेय के जन्म से संबंध

ब्रह्मपुराणानुसार एक प्रसंग में अग्निदेव ने शिव का तेज ग्रहण किया । शिवतेज से युक्त अग्नि को देखकर छह कृत्तिकाएं अग्नि की ओर आकर्षित हुई । शिवतेज के योग से छह कृत्तिकाओं से छह मुखवाले परमतेजस्वी बालक ‘स्कंद’ का जन्म हुआ । कृत्तिकाओं के माध्यम से जन्म होने के कारण वे ‘कार्तिकेय’ के नाम से विख्यात हुए । उन्होंने बलवान दैत्य तारकासुर का वध किया ।

२ अ. विविध नाम

कार्तिकेय देवताओं के सेनापति है । उनके सुब्रह्मण्य, कुमार, मुरुगन, षडानन इत्यादि नाम भी प्रचलित है ।

कृत्तिका नक्षत्र की आकृति (आकृति के बिंदू तारों के दर्शक है ।)

 

३. कृत्तिका नक्षत्र से संबंधित विशेषताएं

कृत्तिका नक्षत्र में ६ मुख्य तारे हैं । नक्षत्र की आकृति धारदार उस्तरे के समान है । आकाश में इन नक्षत्रों की ओर देखने पर ऐसा लगता है कि ‘उनसे धुंआ बाहर निकल रहा है ।’ कार्तिक मास में यह नक्षत्र पूरी रात आकाश में दिखाई देता है । कृत्तिका नक्षत्र की देवता अग्नि है । यज्ञ का हविर्भाग देवताओं तक पहुंचानेवाली अग्नि को देवताओं का मुख माना जाता है । प्राचीन काल में कृत्तिका आद्यनक्षत्र होता था; अर्थात कृत्तिका नक्षत्र को नक्षत्रचक्र का आरंभ माना जाता है । कृत्तिका नक्षत्र को कालपुरुष का सिर माना जाता है ।

 

४. कृत्तिका नक्षत्र पर जन्मे व्यक्तियों की विशेषताएं

कृत्तिका नक्षत्र का स्वामी रवि ग्रह है । कृत्तिका पित्त प्रकृति का नक्षत्र है । इसलिए इस नक्षत्र पर जन्मे व्यक्ति बलवान और पीलदार शरीर के, उत्तम पचनशक्ति एवं रोगप्रतिकार शक्ति वाले होते हैं । उनकी शारीरिक क्षमता अत्यधिक होती है, दृष्टि भेदक होती है और त्वचा लालिमा युक्त होती है । कृत्तिका नक्षत्र के व्यक्तियों का आत्मविश्वास उत्तम होने से उनमें प्रतिकूल परिस्थिति का सामना करने का बल होता है । उनका स्वभाव महत्त्वाकांक्षी, धैर्यवान, चुनौती स्वीकारनेवाला और प्रयासवादी होता है । इच्छित कार्य को मूर्त और भव्य रूप देने की क्षमता इन व्यक्तियों में होती है । युद्ध, सेना, राजनीति, वैश्विक घटनाएं, उद्योग, भौतिक विज्ञान, खेल यह उनके रूचि के विषय है । तेजतत्त्व से युक्त नक्षत्र पराक्रम और नेतृत्वगुण से युक्त है । राजा, सत्ताधीश, नेता, सेनापति, वैद्य, उद्योजक, तंत्रज्ञ, उपासक इनके लिए नक्षत्र अनुकूल है । यह नक्षत्र उच्चपद पर पहुंचानेवाला और नामालौकिक देनेवाला है ।

 

५. सामाजिक दृष्टिकोण से कृत्तिका नक्षत्र की विशेषताएं

कृत्तिका समष्टि प्रकृति का नक्षत्र है । वर्तमान कालानुसार आवश्यक धर्मरक्षा के कार्य हेतु कृत्तिका नक्षत्र पूरक है । कृत्तिका नक्षत्र के व्यक्तियों में आत्मविश्वास, प्रभावी वक्तृत्व, नेतृत्व, संगठन कुशलता, जिद इत्यादि गुण होने से वैचारिक प्रतिवाद करना, सार्वजनिक सभाओं में श्रोताओं को संबोधित करना, देवताओं का अपमान रोकना, धर्मप्रेमियों का संगठन करना, नेतृत्व करना इत्यादि कार्य वे कुशलता से कर सकते हैं ।

– श्री. राज धनंजय कर्वे, ज्योतिष विशारद, महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय, गोवा.

 

कार्तिक पूर्णिमा को कृत्तिका नक्षत्र के रूप में होनेवाले भगवान कार्तिकेय के दर्शन !

कार्तिक पूर्णिमा को कृत्तिका नक्षत्र पर भगवान कार्तिकेय का दर्शन लेने का विशेष महत्त्व है । केवल इसी दिन स्त्रिया कार्तिकेय के दर्शन ले सकते हैं । ऐसी मान्यता है कि ‘इस दिन कार्तिकेय का दर्शन लेने से विवाहित जीवन सुखी होता है ।’ इसलिए इस दिन श्रद्धालु बडी संख्या में कार्तिकेय के मंदिर में दर्शन के लिए जाते हैं । जब पृथ्वीतल पर दर्शन समारोह आरंभ होता है, तब आकाश में भी भगवान कार्तिकेय कृत्तिका नक्षत्र के रूप में हमें पूरी रात दर्शन देते हैं । ‘कृत्तिका नक्षत्र के निकट पूर्णिमा का चंद्र’, यह दृश्य दिव्यता की प्रतीती देता है । युगों-युगों से भगवान कार्तिकेय कृत्तिका नक्षत्र के रूप में हमें तेज, सामर्थ्य और धैर्य प्रदान कर रहे हैं ।

संदर्भ : दैनिक सनातन प्रभात

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