सनातन संस्था ने अध्यात्मशास्त्र, सात्त्विक धर्माचरण, दैनिक आचरण से संबंधित कृति, भारतीय संस्कृति इत्यादि अनेक विषयों पर अनमोल और सर्वांगस्पर्शी ग्रंथ प्रकाशित किए हैं । सनातन के ग्रंथों का दिव्य ज्ञान समाज तक पहुंचाने के लिए संस्था की ओर से पूरे भारत में ‘ज्ञानशक्ति प्रसार अभियान’ चलाया जा रहा है । यह ग्रंथ समाज के प्रत्येक जिज्ञासु, मुमुक्षू, साधक इत्यादि तक पहुंचाकर हर किसी के जीवन का कल्याण हो, इसलिए यह ‘ज्ञानशक्ति प्रसार अभियान’ आरंभ किया गया है । अधिकाधिक लोग इन ग्रंथों का लाभ लें, ऐसा आवाहन सनातन संस्था ने किया है ।
सनातन की अनमोल ग्रंथसंपदा में ‘बालसंस्कार’ ग्रंथमालिका में ‘सुसंस्कार एवं उत्तम व्यवहार’, ‘अध्ययन कैसे करें’ इत्यादि ग्रंथ; ‘धर्मशास्त्र ऐसा क्यों कहता है?’ इस ग्रंथमालिका में ‘त्योहार मनाने की उचित पद्धति और शास्त्र’, ‘सात्त्विक रंगोलियां, ‘अलंकारशास्त्र’ इत्यादि ग्रंथ; ‘आचारधर्म’ ग्रंथमालिका में दिनचर्या, सात्त्विक आहार, वेषभूषा, केशरचना, निद्रा इत्यादि के विषय में ग्रंथ; ‘देवताओं की उपासना’ ग्रंथमालिका में देवताओं की विशेषता बतानेवाले ‘श्री गणेश’, ‘शिव’, ‘श्रीराम’, ‘श्रीकृष्ण’, ‘श्रीदत्त’, ‘मारुती’ इत्यादि ग्रंथ; आयुर्वेद के विषय में ग्रंथमालिका; के साथ ही ‘धार्मिक और सामाजिक कृतियों के विषय में ग्रंथ; ‘प्रथोमचार’, ‘स्वरक्षा प्रशिक्षण’, ‘घर में औषधी वनस्पतियों का रोपण कैसे करें’, ‘बाढ-भूकंप इत्यादि प्राकृतिक आपदाओं के समय स्वयं की रक्षा कैसे करें’ इत्यादि अनेक विषयों पर ३४७ ग्रंथ प्रकाशित किए गए हैं । यह ग्रंथ मराठी, हिन्दी, अंग्रेजी, गुजराती, कन्नड, तमिल, मलयालम, बंगाली इत्यादि १७ भाषाओं में उपलब्ध है । आज तक इन ग्रंथों की ८२ लाख ४८ हजार प्रतियां प्रकाशित की गई है । यह ग्रंथ केवल साधक अथवा श्रद्धालुओं के लिए ही नहीं, अपितु विद्यार्थी, शिक्षक, अभिभावक, गृहिणी, अधिवक्ता, डॉक्टर, पत्रकार, प्रशासकीय अधिकारी, कर्मचारी, उद्योजक, राष्ट्रप्रेमी इत्यादि सभी क्षेत्रों के जिज्ञासुओं के लिए उपयुक्त है ।
इस अभियान के निमित्त पूरे देश में ग्रंथप्रदर्शन, संपर्क अभियान, ग्रंथों का महत्त्व बतानेवाले हस्तपत्रक, डिजिटल पुस्तिका, समाचारवाहिनी पर विशेष कार्यक्रम, ‘सोशल मीडिया’ द्वारा व्यापक प्रसार इत्यादि अनेक माध्यमों से प्रचार किया जा रहा है । इस अभियान के विषय में संतों से आशीर्वाद तथा मान्यवरों से सदिच्छा भेट की जा रही है । सनातन-निर्मित नित्योपयोगी ग्रंथ समाज के प्रत्येक घटक हेतु, साथ ही अबालवृद्धों के लिए उपयुक्त है । सनातन संस्था की ओर से आवाहन किया गया है कि यह ग्रंथ स्वयं क्रय कीजिए; विविध शुभप्रसंगों पर यह ग्रंथ उपाहर दें; मित्र, मित्र-परिवार, रिश्तेदार इत्यादियों को भी ग्रंथ की जानकारी दें; पाठशाला-महाविद्यालय, ग्रंथालय इत्यादि स्थानों पर भी प्रायोजित करें ।
ग्रंथ क्रय करने हेतु संपर्क करें – 9322315317
– श्री. चेतन राजहंस, राष्ट्रीय प्रवक्ता, सनातन संस्था