भगवान की कृपादृष्टि रहे एवं अपने सर्व ओर सुरक्षाकवच निर्माण हो, इस हेतु प्रतिदिन की जानेवाली कुछ कृतियां !

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१. भगवान की कृपा मिले एवं घर की रक्षा होने हेतु घर में प्रतिदिन देवपूजा करें ।

देवपूजा के कारण अपनी सात्त्विकता बढती है, अपने मन में भक्तिभाव का केंद्र निर्माण होता है, हम पर देवताओं की कृपादृष्टि होती है एवं घर में वातावरण सात्त्विक एवं प्रसन्न बनता है । जो भगवान को प्रतिदिन भक्तिभाव से पूजता है, वह भगवान को प्रिय होता है । भगवान का प्रिय बनने से संकटकाल में भगवान उस पूजक के, इसके साथ ही भगवान के स्पंदनों से सात्त्विक हुए (पूजक के) घर की रक्षा करता है । (देवपूजा के पीछे का शास्त्र बतानेवाले सनातन के ग्रंथ उपलब्ध हैं ।)

 

२. भगवान के निकट एवं तुलसी के निकट
दीप जलाएं । फिर भगवान को तथा दीप को नमस्कार करें !

अ. सवेरे सूर्योदय से पूर्व एवं संध्याकाल सूर्यास्त के उपरांत ४८ मिनटों के (दो घटिकाओं के) काल को ‘संधिकाल’, कहते हैं । संधिकाल यह बुरी शक्तियों के आगमन का काल होने से उनसे रक्षा होने हेतु इस काल में भगवान के सामने, आंगन में तुलसी वृंदावन अथवा घर में गमले में लगाई तुलसी के निकट तिल के तेल का दीप जलाएं ।

आ. स्नान कर सूर्योदय से पूर्व के संधिकाल में दीप लगाना संभव न होने पर बिना स्नान किए भी लगा सकते हैं । वह भी संभव न हो तो सूर्योदय के उपरांत लगाएं । सूर्यास्त के उपरांत के संधिकाल में भी दीप लगाएं । (वैसे तो भगवान के निकट दीप २४ घंटे जलते रहना चाहिए ।)

इ. ‘यज्ञ में हवन के लिए देसी घी न मिलने पर तिल का तेल भी उपयोग कर सकते हैं’, ऐसा गुरुचरित्र में बताया है । दीप के लिए घी अथवा तिल का तेल न मिले तो मीठे तेल का दीप जलाएं ।

ई. भगवान के सामने एवं तुलसी के समीप दीप जलाकर भगवान एवं दीप को नमस्कार करने से घर के सर्व ओर देवताओं की सात्त्विक तरंगों का सुरक्षा कवच निर्माण होता है । इसलिए घर के लोगों की अनिष्ट शक्तियों से रक्षा होती है । भगवान के इस कृपाकवच के कारण घर की अन्य संकटों से भी रक्षा होने में सहायता होती है ।

 

३. स्वास्थ्य एवं संरक्षककवच प्रदान करनेवाले श्लोक एवं स्तोत्र बोलें !

अ. संध्याकाल में घर में बत्ती जलने के पश्चात घर के बडों को छोटों के साथ बैठकर श्लोक, स्तोत्र एवं संध्यावंदन करें ।

अ १. स्तोत्र : ‘देवता का स्तोत्र कहने से संकटों से रक्षा होती है’, ऐसा स्तोत्र की फलश्रुति में कहा है । स्तोत्रपठन के कारण निर्माण होनेवाले सात्त्विक स्पंदनों से घर की आध्यात्मिक शुद्धि भी होती है । इसके लिए प्रतिदिन रामरक्षास्तोत्र, मारुतिस्तोत्र, देवीकवच जैसे अपने उपास्यदेवता के स्तोत्र श्रद्धापूर्वक एवं भक्तिभाव से बालें ।

आ. रात में सोते समय बिस्तर के सर्व ओर देवताओं की सात्त्विक नामजप-पट्टियों का मंडल बनाएं एवं रक्षा के लिए भगवान से प्रार्थना करें ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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