महामारी एवं तीसरे महायुद्ध से अपनी रक्षा होने हेतु, इसके साथ ही तनावमुक्ति के लिए साधना करना आवश्यक ! – पू. अशोक पात्रीकर, धर्मप्रचारक, सनातन संस्था

Article also available in :

पू. अशोक पात्रीकर

रामटेक (नागपुर) – मार्च २०२० से पहले किसी ने यदि बताया होता कि आनेवाले काल में जग एक असाध्य रोग से ग्रस्त होगा एवं जगभर का कार्य ठप्प होगा, तो किसी ने भी उस पर विश्वास नहीं रखा होता; परंतु आज वह भयानक स्थिति हम अनुभव कर रहे हैं । भविष्यवेत्ता, संत एवं सनातन संस्था के संस्थापक परात्पर गुरु डॉ. जयंत बाळाजी आठवले ने सभी को बताया था कि आनेवाला काल कठिन है । महामारी एवं तीसरे महायुद्ध से अपनी रक्षा करने के लिए साधना करना आवश्यक है । आपातकाल में तनाव बढता है । स्वसूचना देने से उसे दूर कर सकते हैं । तनावमुक्ति के लिए साधना के अतिरिक्त विकल्प नहीं, ऐसा मार्गदर्शन सनातन संस्था के धर्मप्रचारक पू. अशोक पात्रीकर ने किया । यहां ताई गोळवलकर महाविद्यालय की ओर से आयोजित ४ दिनों की योग कार्यशाला के प्रथम दिन ‘तनावमुक्ति के लिए साधना’ इस विषय पर मार्गदर्शन करते हुए वे बोल रहे थे । इस अवसर पर हिन्दू हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ राज्य संगठन श्री. सुनील घनवट ने भी मार्गदर्शन किया ।

सूत्रसंचालन डॉ. चंद्रमोहन सिंह ने तथा आभार डॉ. राहुल हँगर ने किया । प्राचार्य डॉ. राजेश सिंगरू ने कार्यशाला के लिए पहल की । १०० से भी अधिक शिक्षक एवं विद्यार्थियों ने इस कार्यक्रम का लाभ लिया ।

व्याख्यान के आयोजन के संदर्भ में प्राचार्य डॉक्टर राजेश सिंगरू की लगन !

डॉ. राजेश सिंगरू

१. ‘साधना का महत्त्व एवं हिन्दू राष्ट्र की आवश्यकता’ यह विषय पहले सुनने के पश्चात महाविद्यालय के प्राचार्य डॉक्टर राजेश सिंगरू ने योगदिनानिमित्त इसीप्रकार का विषय विद्यालय के शिक्षकों एवं विद्यार्थियों के लिए लिया जाए, ऐसी विनती की थी । उसी अनुसार २१ जून को योगदिन के निमित्त व्याख्यान का आयोजन किया गया था ।

२. ‘आपको जो विषय लगता है, वह आप निःसंकोच प्रस्तुत करें’, ऐसा ताई गोळवळकर कॉलेज के प्राचार्य डॉ. राजेश सिंगरू ने पहले ही संपर्क में कहा था । यह विषय सभी विद्यार्थियों तक पहुंचे, ऐसी उनकी लगन थी । इसलिए उद्घाटन सत्र में उन्होंने सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति को विषय प्रस्तुत करने का अवसर दिया । ‘ऑनलाईन’ प्रसारण का नियोजन शिक्षकों ने ही किया था ।

३. समिति के कार्यकर्ताओं द्वारा बताए सूत्र प्राचार्य डॉ. सिंगरू ने स्वीकार कर आचरण में उतारे । उन्होंने नम्रतापूर्वक कहा, ‘‘सर्व नियोजन उत्तम था । मुझे इस बात की निश्चिती थी कि व्याख्यान प्रभावी होनेवाला है तथा वह उस पद्धति से प्रस्तुत भी किया गया !’’

क्षणिकाएं

१. शिक्षक डॉ. चंद्र मोहन सिंह ने भी कहा, ‘‘व्याख्यान प्रभावी एवं सर्व विद्यार्थियों की दृष्टि से आवश्यक है । ऐसे कार्यक्रम सदैव होने चाहिए ।’’

२. सनातन संस्था की श्रीमती सुनीता खाडे का योगदिननिमित्त ‘स्वामी विवेकानंद के विचार’ यह लेख एक दैनिक में प्रकाशित हुआ था । डॉ. वंदना खटी ने उसका विषय उत्स्फूर्तता से कार्यशाला में प्रस्तुत किया ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

Leave a Comment