कोरोना पीडितों को खतरा होने का विशेषज्ञों का मत !
नई दिल्ली – कोरोना पीडितों में ‘ब्लैक फंगस’ (म्युकरमायकोसिस) इस बीमारी का लक्षण दिखने के बाद अब ‘व्हाईट फंगस’ की समस्या दिखने लगी है । पटना मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में भरती कोरोना के ४ मरीजों में व्हाईट फंगस का लक्षण दिखाई दिया है । ऑक्सीजन पर रखे मरीजों को इस बीमारी का खतरा अधिक है, ऐसा विशेषज्ञों का कहना है । इस अस्पताल के मायक्रोबायोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. एस.एन. सिंह ने बताया कि, यह फंगस मरीजों की त्वचा को हानि पहुंचा रहा है । साथ ही व्हाईट फंगस का देर से निदान होने पर घातक हो सकता है ।
Medical experts say that #WhiteFungus is more deadly than #Mucormycosis or #BlackFungus as it affects other organs of the body besides the lungs. Know more about it here!https://t.co/TkXNFBGy0K
— India TV (@indiatvnews) May 20, 2021
केंद्र सरकार ने ‘म्युकरमायकोसिस’ को छुआछूत रोग कानून में शामिल किया।
देश में कोरोना के संसर्ग के साथ ‘म्युकरमायकोसिस’ अर्थात ‘काली फंगस’ इस नई बीमारी को केंद्र सरकार ने छुआछूत नियंत्रण कानून में शामिल किया है । देश में अलग अलग राज्यों में म्युकरमायकोसिस के बडे प्रमाण में मरीज दिखाई दे रहे हैं । तेलंगाना और राजस्थान ने पहले ही म्युकरमायकोसिस इस बीमारी को महामारी घोषित किया है ।
म्युकरमायकोसिस अर्थात क्या ?
‘म्युकरमायकोसिस’ यह फंगसजन्य बीमारी है । इस फंगस का हवा के माध्यम से संसर्ग होता है । रोगप्रतिकारक शक्ति अच्छी होने वालों को इससे खतरा नहीं है; लेकिन रोगप्रतिकारक शक्ति कम होने वाले मरीजों को इसका अधिक खतरा होता है । नाक के रास्ते यह फंगस शरीर में प्रवेश करती है । वहां से यह सायनस में पहुंचता है । कैंसर रोग की अपेक्षा जल्द गति से बढने वाली यह फंगस आखों की नसों, दिमाग में भी प्रवेश करती है । इस कारण अन्य फंगसजन्य रोगों की अपेक्षा यह संसर्ग अधिक खतरनाक है । नाक से काला द्रव्य बाहर निकलना, दृष्टि कम होना, बिना कारण दांत हिलना, दात दर्द होना, ऐसे इस बीमारी के लक्षण हैं ।