धनुर्मास के पांच गुरुवार और शुक्रवार अत्यंत महत्त्वपूर्ण होते हैं । चंद्र की संक्रांति की अधिकतावाले इस मास में भगवान की आराधना, भगवान का नामजप, भागवत कथा श्रवण, व्रत, दान, दीपदान, सत्संग और निष्काम कर्म करने का विशेष माहात्म्य है । इस मास में आनेवाली एकादशी को ‘वैकुंठ एकादशी’ कहते हैं । धनुर्मास में इस दिन को सर्वाधिक महत्त्व होता है ।
१. धनुर्मास में की जानेवाली उपासना
अ.धनुर्मास में भगवान विष्णु की उपासना का महत्त्व होता है ।
आ. इस मास में सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान किया जाता है और सूर्योदय होने से आधे घंटे पूर्व पूजा की जाती है । इसे ब्राह्ममुहूर्त पर होनेवाली पूजा कहते हैं ।
इ. इस मास में भगवान विष्णु का श्लोक कहते हैं ।
२. फलप्राप्ति
अ. इस मास में स्नान, दान और नामजप करने से सर्व मनोवांच्छित फल की प्राप्ति होती है ।
आ. यज्ञ और दान से रोगपीडा नष्ट होती है ।
इ.धनुर्मास में की हुई विष्णु की उपासना सहस्र वर्षाें की उपासना समान मानी जाती है ।
– श्री विश्वशांति टेकडीवाला परिवार (८.१२.२०२०)
संदर्भ : दैनिक सनातन प्रभात