कुछ व्यक्तियों के लिए देश, काल, अग्नि, प्रकृति, दोष, आयु इत्यादि का विचार करने पर कुछ अन्नपदार्थ हानिकारक सिद्ध होते हैं । ऐसे खाद्य पदार्थ विपरीत आहार में समाविष्ट होते हैं । विपरीत आहार के प्रकार आगे दिए हैं ।
१. निसर्गतः विषम : भेड का दूध एवं सरसों के पत्ते की सब्जी पचने में कठिन होती है एवं पचने के बाद शरीर में दोष बढाती है ।
२. देशविरुद्ध : नम वातावरणवाले समुद्रतट अथवा दलदल प्रदेश में स्निग्ध अथवा शीत पदार्थ अधिक मात्रा में खाने सेे शरीर में कफदोष बढता है । शुष्क वातावरण में सूखे एवं मसालेदार पदार्थ खाना ।
३. कालविरुद्ध : वसंत ऋतु में अथवा रात को दही खाने से कफदोष बढता है । शीतकाल में ठंंडे पदार्थ एवं धूपकाल में गरम पदार्थ खाना ।
४. अग्निविरुद्ध : शरीर में स्थित अग्नि अर्थात पाचनशक्ति क्षीण रहने से पाचन के लिए कठिन अथवा ठंंडे पदार्थ खाने से अपचन होता है ।
५. प्रकृतिविरुद्ध : पित्तप्रकृति के व्यक्ति को तीखा, खट्टा अथवा खारा एवं गरम पदार्थ देने से उसका पित्त बढता है ।
६. सात्म्यविरुद्ध (एलर्जी) : एक व्यक्ति को किसी अन्नपदार्थ से एलर्जी हो, तो दस्त आना, पेट दुखना, पित्त होना आदि लक्षण होते हैं ।
७. दोषवृद्धि के विपरीत : दूध व मछली दोनों कफवर्धक होने सेे शरीर में कफ बढता है ।
८. अन्न पकाने के पात्र के गुण के विपरीत : ताम्र अथवा पीतल के पात्र में खट्टा पदार्थ रखने से नील समान रंग आता है ।
९. वीर्यविरुद्ध : शीत एवं गरम अन्नपदार्थों का एकत्रित सेवन, उदा. मछली एवं दूध, मछली गरम, तो दूध ठंडा है । इससे रक्तविकार एवं अपचन होता है ।
१०. दिनचर्याविरुद्ध : अधिक नींद लेनेवाले को कफवर्धक अन्न देने से कफ बढता है ।
११. क्रमविरुद्ध : शौच अथवा पेशाब आने पर भी उसे न करके पहले भोजन करना ।
१२. पाकविरुद्ध : कच्चे या जले अन्नपदार्थ खाना । दो बार गरम कर या अन्नपदार्थ ठंंडे या बासी होने पर पुनः गरम कर नहीं खाने चाहिए ।
१३. प्रमाणविरुद्ध : शहद, घी, तेल, प्राणियों की चरबी समप्रमाण में न लें । घी-शहद सममात्रा में न लें ।
१४. मन के विपरीत : नापसंद अन्नपदार्थ खाना
१५. संयोगविरुद्ध : दो या अनेक अन्नपदार्थ एकत्रित खाने से शरीर को हानि हो सकती है ।
अ. दूध के साथ फल नहीं खाने चाहिए । अर्थात मिल्कशेक, फ्रूट सैलेड नहीं खाने चाहिए ।
आ. दूध के साथ कलौथी, वरी, वाल, मटकी, गुड, दही, इमली, जामुन एवं खट्टे पदार्थ नहीं खाने चाहिए ।
इ. दूध के साथ लहसुन, हरी सब्जियां अथवा मूली नहीं खानी चाहिए । ये पदार्थ अधिक खाने से त्वचा के रोग होते हैं ।
ई. हरी सब्जियां अथवा मसाले के पदार्थ खाने के बाद दूध न पिएं ।
उ. खिचडी में दूध न डालें ।
ऊ. दही के साथ गरम पदार्थ जैसे कटहल, सौंफ, दूध, तेल, केलेे, मछली, मांस, चिकन, गुड आदि का सेवन न करें ।
ए. दूध, मट्ठा, दही के साथ केले न खाएं ।
ऐ. चिकन अथवा हिरण का मांस दही के साथ नहीं खाना चाहिए ।
ओ. विविध प्राणियों के मांस एकत्र पकाकर नहीं खाने चाहिए ।
औ. उडद की दाल के साथ मूली नहीं खानी चाहिए ।
अं. शहद के साथ घी, चरबी, तेल एवं पानी इनमें दो, तीन अथवा चार पदार्थ एकत्र, समप्रमाण में नहीं खाना चाहिए ।
क. शहद के साथ कमलबीज न खाएं ।
ख. जलचर प्राणियों के मांस, शहद, गुड, दूध, मूली, चावल, टूटे अनाज, उडद या तिल के साथ नहीं खाने चाहिए । अधिक खाने से दृष्टि पर परिणाम होता है । साथ ही, शरीर में कंपन होना, सुनाई न देना, अस्पष्ट उच्चारण होना, मानसिक अस्वस्थता व मृत्यु के लक्षण होते हैं ।
ग. तिल के तेल में पालक बनाकर नहीं खाना चाहिए, इससेे दस्त होते हैं ।
घ. कटहल खाने के पश्चात पान नहीं खाना चाहिए ।