महायुद्ध, भूकंप इत्यादि आपदाओं का सामना कैसे करें ? (भाग २)

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पिछले अनेक वर्षों से सनातन संस्था बता रही है कि आपातकाल अब दरवाजे तक पहुंच गया है और वह कभी भी भीतर प्रवेश कर सकता है । पिछले पूरे वर्ष से चल रहा कोरोना महामारी का संकट आपातकाल की ही एक छोटी सी झलक है । प्रत्यक्ष आपातकाल इससे अनेक गुना भयानक और अमानुषिक होगा, उसके विविध रूप होंगे । इसमें मानव निर्मित तथा प्राकृतिक प्रकरण होंगे । इनमें से कुछ की जानकारी हम इस लेखमाला में देखेंगे । इस आपातकाल में स्वयं का तथा परिवार का बचाव करने के लिए हम क्या कर सकते हैं, इस लेखमाला में इसकी थोडी-बहुत जानकारी देने का प्रयास किया गया है । पाठक उसका लाभ लें, यह लेखमाला प्रकाशित करने का यही उद्देश्य है । आगे तीसरे विश्‍वयुद्ध के समय अणुबम का आक्रमण होना मानकर ही चलना पडेगा । पिछले लेख में हमने अणुबम के विस्फोट का स्वरूप, मानव जीवन पर इसके होनेवाले दुष्परिणाम के संदर्भ में जानकारी प्राप्त की थी ।

१ अ १ अ ५. ‘अणुबम’ का आक्रमण होने के पूर्व अपनी रक्षा के लिए की जानेवाली उपाययोजना

अ. सुरक्षित आश्रय हेतु तलघर अथवा घर का मध्यभाग पहले से देखकर रखें तथा संभव हो तो घर के आसपास गड्ढा तैयार करें

‘अणुबम’ का आक्रमण कभी भी हो सकता है । इसलिए नागरिक इस संकट का सामना करने के लिए स्वयं का घर, कार्यस्थल अथवा विद्यालय जैसे स्थानों पर जहां हम अपने दिन का अधिकांश समय व्यतीत करते हैं, तथा नियमित यात्रा के रास्ते पर निकट के सुरक्षित स्थान ढूंढकर रखें । भूमिगत तलघर और विशाल घरों के मध्यभाग ‘अणुबम’ के आक्रमण से सुरक्षित रहने के लिए सर्वोत्तम स्थान हैं । ऐसे स्थान न हों तो जिन्हें संभव हो, वे घर के सामने खाली स्थान में युद्ध के समय जैसे गड्ढे बनाते हैं, वैसे गड्ढे बनाकर उनका उपयोग कर सकते हैं ।

(संदर्भ : www.nrc.gov/about-nrc/emerg-preparedness/about-emerg preparedness/potassium-iodide-use.html)
१ अ १ अ ६. अणुबम का विस्फोट होने के उपरांत उससे विकिरण आरंभ होने के पूर्व अपनी रक्षा के लिए की जानेवाली उपाययोजना

१ अ १ अ ६ अ. अणुबम के विस्फोट के स्थान से तत्काल दूर जाएं

‘अणुबम’ गिरने की सूचना मिलते ही, स्वयं पर उसके विकिरण का परिणाम होने के पूर्व स्वयं को बचाने का प्रयत्न करें । इसके लिए शीघ्रातिशीघ्र विस्फोट स्थल से दूर जाएं । इस हेतु ‘फॉलआउट’ की कालावधि उपयोगी होती है । उपरोक्त उल्लेख किए अनुसार यह कालावधि १५ मिनट अथवा उससे अधिक हो सकती है । विकिरण का स्थान घर के निकट हो, तो घर में ही रुकें ।

१ अ १ अ ६ आ. विकिरण के समय उत्सर्जित होनेवाली ‘गामा’ किरणों से बचने के लिए संभव हो तो गड्ढे में छुपें

विस्फोट के उपरांत होनेवाले विकिरण के समय प्रसारित होनेवाली गामा किरणों से बचने के लिए संभव हो, तो ४ – ५ फुट गहरे गड्ढे का उपयोग करें; परंतु विस्फोट के धक्के के कारण गड्ढे का स्थान नष्ट होकर कहीं हम उसमें दब तो नहीं जाएंगे न, वह इतना सुरक्षित है न, इसकी जांच कर लें ।

१ अ १ अ ६ इ. घर की छत पर न जाएं

‘फॉलआउट’ अर्थात विकिरणवाली धूल घर की छत पर, साथ ही बाहरी दीवार पर शीघ्र एकत्रित होती है; इसलिए संभवत: ऊंचे तल पर जाने से बचें । साथ ही बाहर की दीवार और छत से दूर रहें ।

१ अ १ अ ६ ई. अणुबम के विस्फोट के समय होनेवाला तीव्र प्रकाश देखने तथा आवाज सुनने के लिए खिडकी के पास न जाएं

‘अणुबम’ के विस्फोट के समय सर्वप्रथम तीव्र प्रकाश फैलता है तत्पश्‍चात बहुत बडी आवाज आती है । यदि आपको ऐसा तीव्र प्रकाश अनुभव हो, तो उत्सुकतावश खिडकी के पास जाकर न देखें । ‘शॉक वेव्ज’ के कारण (विस्फोट के कारण निर्माण हुई हवा के अत्यधिक तीव्र दबाव की लहरियों के कारण) चोट लग सकती है । ऐसी स्थिति से रक्षा के लिए कक्ष की अलमारी अथवा किसी आड के पीछे छिपें । ऐसी ‘शॉक वेव्ज’ के कारण अधिकांश घर विशाल मात्रा में नष्ट हो जाते हैं ।

१ अ १ अ ६ उ. घर के सभी दरवाजे-खिडकियां बंद कर उनकी छोटी-छोटी दरारें भी बंद करें

‘अणुबम’ के विस्फोट के समय यदि आप घर में हैं, (घर में ही रहना पडा तो) तो बाहर की हवा अथवा धूल घर में न आए, इसलिए (अंदर आने के) दरवाजे, खिडकियां इत्यादि बंद करें । दरवाजे, खिडकियां, दीवारें और फर्श में दरारें हों तो उन्हें बंद करने के लिए सेलोटेप इत्यादि का उपयोग करें ।

१ अ १ अ ६ ऊ. वाहन में हों तो वाहन सुरक्षित स्थान पर रोककर की जानेवाली कृतियां

विस्फोट के समय यदि हम किसी वाहन में बैठे हैं, तो हवा में उडनेवाले अवशेषों से, साथ ही उष्णता से रक्षा होने के लिए वाहन सुरक्षित स्थान पर रोकें । निकट ही कोई सुरक्षित स्थान ढूंढकर वहां छिपकर बैठें । सुरक्षित स्थान न दिख रहा हो, तो वाहन में ही स्वयं की गर्दन और सिर हाथ से ढंककर अपनी रक्षा करें । यदि हम बाहर हैं एवं संभव हो तो चेहरा भूमि की ओर करके लेटे रहें ।

१ अ १ अ ६ ए. विकिरण से रक्षा करनेवाली सामग्री का (उदा. सीसा के शीट्स, ‘केमिकल प्रोटेक्टिव मास्क’ का) उपयोग करना

गामा किरण और एक्स-किरण सीसा, कंक्रीट एवं पानी के अवरोध से रक्षा करते हैं । इसलिए कभी भी कोई विकिरणीय सामग्री रखनी हो तो वह सदैव पानी के नीचे, कंक्रीट अथवा सीसे के कक्ष में रखी जाती है । ‘अणुबम’ के विस्फोट के उपरांत होनेवाले विकिरण से रक्षा के लिए कंक्रीट के घर के मध्यभाग, पानी के नीचे अथवा पानी से भरी हुई बडी टंकियों में छुपकर बैठ सकते हैं । साथ ही सीसे के शीट्स का उपयोग कर सकते हैैं । अर्थात अपने चारों ओर सीसे के शीट्स लगाकर उसमें रह सकते हैैं । विकिरण के स्रोत में इस प्रकार का योग्य कवच निर्माण हुआ तो हमारी रक्षा हो सकती है । यदि संभव हो तो ‘केमिकल प्रोटेक्टिव मास्क’ का भी उपयोग कर सकते हैं ।

संदर्भ :
१. www.remm.nlm.gov/nuclearexplosion.htm
२. www.remm.nlm.gov/RemmMockup_files/nuke_timeline.png
३. www.epa.gov/radiation/protecting-yourself-radiation

 

‘अणुबम’ के विकिरण से होनेवाले प्राणघातक प्रदूषण से रक्षा करनेवाला ‘अग्निहोत्र’ प्रतिदिन करें !

अग्निहोत्र करनेवाले मानव के आसपास तेजतत्त्व का सुरक्षा-कवच तैयार होता है । इसलिए आगामी विश्‍वयुद्ध में ‘अणुबम’ के विकिरण से होनेवाले प्रदूषण, अन्य रासायनिक या जैविक प्रदूषण से मानव की रक्षा होने के लिए अग्निहोत्र लाभदायक है ।

१. अग्निहोत्र सूर्योदय एवं सूर्यास्त के मुहूर्त पर करें ।

२. अग्निहोत्र हेतु पूर्व दिशा में मुख कर आसन पर बैठें ।

३. अग्निहोत्र के पात्र में अग्नि प्रज्वलित करना : अग्निहोत्र पात्र के तल में गाय के उपलों का एक सपाट टुकडा रखें । उस पर गाय का घी लगे हुए उपले के टुकडे ‘खडेे-आडेे’ पद्धति से २ – ३ सतह बनाएं । इसके मध्यभाग में कपूर जलाकर उपले के टुकडे अच्छे से प्रज्वलित करें ।

४. तांबे की थाली में २ चुटकी अखंडित चावल लेकर उन पर गाय के घी की ३ से ४ बूंद डालें ।

५. मंत्र कहते हुए घी मिश्रित चावल अग्नि को समर्पित करें : ठीक सूर्योदय के समय ‘सूर्याय स्वाहा सूर्याय इदं न मम ।’ और ‘प्रजापतये स्वाहा प्रजापतये इदं न मम ।’ ये दो मंत्र क्रमश: एक बार कहें और उनमें ‘स्वाहा’ शब्द कहने पर घी मिश्रित चावल दाएं हाथ के मध्य की उंगली, कनिष्ठा के निकट की उंगली और अंगूठे की चुटकी में लेकर (अंगूठा ऊर्ध्व दिशा की ओर कर) उसे अग्नि में छोडें ।

ऐसी ही कृति सूर्यास्त पर भी करें । उस समय ‘अग्नये स्वाहा अग्नये इदं न मम ।’ और ‘प्रजापतये स्वाहा प्रजापतये इदं न मम ।’ ये मंत्र एक-एक बार कहें ।

संदर्भ : सनातन का ग्रंथ ‘अग्निहोत्र’

 

२. परमाणु बम के विस्फोट के कारण विकिरण होने पर अपनी रक्षा के उपाय

२ अ. विकिरण की धूल शरीर पर गिरी हो तो शीघ्रातिशीघ्र पोंछकर हटाएं अथवा स्वच्छ स्नान करें

‘फॉलआउट’ होने के बाद शरीर के कपडों पर विकिरण की धूल गिरी हुई हो सकती है । इन कपडों पर गिरी विकिरण की धूल कहीं गिरे नहीं अथवा फैले नहीं, इसका ध्यान रखकर कपडे उतारें । साथ ही कपडों से न ढकी हुई त्वचा विकिरण के संपर्क में न आए पानी से पोंछें / धोएं अथवा स्नान करें । यथाशीघ्र यह धूल हमारे शरीर से अलग हो उतना अच्छा है । तत्काल स्नान करना संभव न हो तो कागज से / गीले कपडे से शीघ्रातिशीघ्र धूल पोंछें और तदुपरांत स्नान करें । नाक स्वच्छ करें । घर में पालतू प्राणी हो तो उनकी भी ऐसी ही स्वच्छता करें ।

२ आ. विकिरण की धूल युक्त कपडे, चप्पल आदि वस्तुएं थैली में बंद करके रखें

शरीर से उतारे गए विकिरण की धूल युक्त कपडे, वस्तु, चप्पल आदि प्लास्टिक की थैली में बंद करके अलग से रखें और बाद में संबंधित अधिकारियों को विकिरण जांच के लिए दें । उनके द्वारा कपडे सुरक्षित प्रमाणित किए बिना उनका उपयोग न करें ।

२ इ. सावधानी से केश स्वच्छ धोएं

केश धोने के लिए ‘शैंपू’ लगा सकते हैं; परंतु ‘कंडीशनर’ न लगाएं; क्योंकि इससे विकिरण की धूल बालों को चिपककर रह सकती है ।

२ ई. सभी खाद्यपदार्थ ढककर रखें

खाद्यपदार्थ, पानी और अन्य उपयोगी वस्तुएं ढककर रखें । ढके हुए पदार्थ छोडकर अन्य पदार्थ न खाएं, साथ ही पालतू प्राणी को भी न खाने दें । खुले कुएं, तालाब का पानी, खुले स्थान के खाद्यपदार्थ, सब्जी, दूध इत्यादि का उपयोग न करें ।

२ उ. ‘पोटेशियम आयोडाइड’ की गोलियों का उपयोग करें

आपातकाल के लिए अपना एक ‘आपातकालीन बक्सा’ (इमरजेंसी किट) तैयार करके रखें । जिनके लिए संभव है, वे इसमें ‘पोटेशियम आयोडाइड’ गोलियां रखें । आपत्ति के समय वह कितनी मात्रा में लेते हैं, यह डॉक्टर से ठीक से समझ लें । इन गोलियों के कारण विकिरण का दुष्परिणाम अल्प होने में सहायता मिलेगी । विदेश में अणु भट्टी के निकट रहनेवाले लोगों को यह सदैव घर में रखने के लिए बताया जाता है ।

२ ऊ. परिवार और पालतू प्राणियों का ध्यान रखें

‘अणुबम’ के विस्फोट के समय परिवार बिछड गए हों, तो वे जहां हैं वहीं रहें । तीव्र विकिरण का संकट टल जाने पर पुन: एकत्रित आ सकते हैं, यह ध्यान में रखें । घर में पालतू प्राणी हो, तो उन्हें घर में अथवा सीमित स्थान में बांधकर रखें ।

२ ए. प्रशासन से सूचना मिलने तक सीमित स्थान में रहे

‘अणुबम’ विस्फोट के पहले २४ से ४८ घंटे (जब विकिरण की तीव्रता सर्वाधिक होती है) अथवा स्थानीय प्रशासकीय अधिकारी अन्य सूचना नहीं देते, तब तक सीमित स्थान में ही रहें । अधिकारियों द्वारा दी गई नवीनतम सूचनाओं का पालन करें ।

२ ऐ. सरकारी आदेशों का शत-प्रतिशत पालन करें

शासकीय अधिकारियों द्वारा भवन खाली करने के आदेश देने पर (खाली करने के लिए अधिकारियों ने सुझाया हो तो) आगे क्या करें ?, कहां जाएं ? कहां आश्रय मिलेगा ? इस संदर्भ में कार्यपद्धतियां क्या होंगी ? इत्यादि जानकारी ध्यान से सुनें । उस अनुसार सरकारी निर्देश के साथ ही निम्नांकित सूचनाओं का पालन करें ।

१. घर से अनावश्यक बाहर न जाएं ।

२. भवन खाली करने के बाद तब तक वापस न लौटें जब तक स्थानीय शासकीय अधिकारियों द्वारा घोषित न किया जाए कि ‘भवन में लौटना सुरक्षित है ।’

३. ‘अणुबम’ के विस्फोट से हुए उच्च दबाव तरंगों में पुराने भवन, वृक्ष आदि गिरने की संभावना ध्यान में रखकर उनसे दूर रहें; क्योंकि वे कभी भी गिर सकते हैं ।

२ ओ. आकाशवाणी, दूरदर्शन आदि द्वारा बीच-बीच में आपदा की जानकारी लेते रहें

अधिकृत जानकारी के लिए उपलब्ध किसी भी माध्यम से (रेडियो, दूरदर्शन आदि से) आवश्यक जानकारी प्राप्त करें । उदा. क्या बाहर निकलना सुरक्षित है ? अथवा हम कहां जाएं ?

संदर्भ : ndma.gov.in/images/pdf/pocketbook-do-dont.pdf

 

३. हाइड्रोजन बम द्वारा होनेवाला आक्रमण

यह ‘अणुबम’ की तुलना में १ सहस्र गुना अधिक विनाशकारी है । इसकी शक्ति आवश्यक मात्रा में बढा सकते हैं । इससे अधिकाधिक विनाश हो सकता है । जब यह बम फोडा जाता है, तब उसके साथ ‘अणुबम’ भी होता है । प्रथम ‘अणुबम’ फटता है और उसकी उष्णता से हाइड्रोजन के अणु एक-दूसरे से जुड जाते हैं । इसलिए इसे ‘फ्यूजन बम’ भी कहते हैं । ये अणु जुडकर एक पूर्ण बडा गोला बनता है और वह ‘हीलियम’ वायु में रूपांतरित होता है ।

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