सत्संग ४ : नामजप से मिलनेवाले लाभ 

कलियुग में नामस्मरण ही सर्वश्रेष्ठ साधना मानी गई है । हममें से अनेक जिज्ञासुओं ने नामजप करना आरंभ किया होगा अथवा कुछ लोग पहले से नामजप करते होंगे । हममें से कुछ लोगों को नामजप करने से कोई अनुभव भी हुआ होगा । नामजप साधना का एक महत्त्वपूर्ण चरण है ।  नित्य जीवन में भी किसी बात को करने से क्या लाभ मिलते हैं, यह समझ में आ गया, तो वह व्यक्ति उस बात को अधिक गंभीरता से करता है । किसी छात्र को केवल ‘तुम अध्ययन करो’, यह बताने की अपेक्षा ‘अध्ययन करने से क्या लाभ मिलनेवाले हैं और नहीं किया, तो क्या हानि होगी’, ‘अध्ययन करने से वह परीक्षा में उत्तीर्ण होकर अगली कक्षा में जा पाएगा’, यह बताया तो अध्ययन की ओर देखने का उस छात्र का दृष्टिकोण बदल जाता है । यही बात अध्यात्म में भी है । इस लिए हम अभी नामजप के लाभ के बारे में जानकर लेंगे ।

 

जप

जप का अर्थ है ‘जकारो जन्म विच्छेदक: पकारो पापनाशक:’ अर्थात ‘जो पापों का नाश कर जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त करता है, वह जप है ’ हमने पहले से प्रवचनों में देखा कि नामस्मरण एक सरल और परिपूर्ण साधना है । नामजप के लिए स्थल, काल, समय, सूतक, मासिक धर्म आदि किसी बात का बंधन लागू नहीं होता । नामजप की यह विशेषता है कि नाम सदाचारी और पापी इन दोनों प्रकार के लोगों का कल्याण करता है । श्रीमद्भागवत में बताया गया है कि जैसे जानबूझकर डाला हुआ अथवा अज्ञानवश भी गिरा हुआ अग्नि लकडी को जला देता है, वैसे ही जानबूझकर परमेश्वर का नाम जपने से, उसका उच्चारण करने से अथवा उसका सहजता से भी उच्चारण करने से उस मनुष्य का पाप नष्ट करता है ।

अनेक लोगों का यह मानना होता है कि नामजप केवल अध्यात्म से संबंधित है; परंतु वैसा नहीं है । नामस्मरण के जैसे आध्यात्मिक लाभ हैं, वैसे ही शारीरिक और मानसिकदृष्टि से भी अनेक लाभ हैं ।

१. मानसिक दृष्टि से मिलनेवाले लाभ

नामजप करने से मानसिकदृष्टि से कौन-कौन से लाभ मिलते हैं, यह हम समझ लेंगे । नामजप के कारण मनोबल बढता है । किसी भी बात को साध्य करने हेतु मनोबल का अच्छा होना आवश्यक होता है । आज हम देखते हैं कि छोटे से बच्चे को लेकर वयस्क व्यक्ति तक अनेक लोग तनाव में होते हैं । छोटे बच्चों को अध्ययन का अथवा परीक्षा का तनाव होता है, तो महिलाओं को घर के काम का तनाव होता है । नौकरी करनेवालों को उनके काम का तनाव, उनके वरिष्ठ लोगों का मन रखना, वेतनवृद्धि जैसे अनेक बातों की चिंता होती है । वयस्क लोगों को उनकी शारीरिक बीमारियों की अथवा बच्चों के भविष्य को लेकर तनाव होता है । धनवान लोगों को अपना धन बढाने का तनाव होता है, तो निर्धन लोगों को जीवनयापन कैसे करना है, इसकी चिंता होती है ।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक सर्वेक्षण के अनुसार ७१ प्रतिशत लोगों में मानसिक तनाव के कारण आत्मविश्वास का अभाव होता है । वर्ष २०१८ के एक अध्ययन के अनुसार भारत की ८९ प्रतिशत जनसंख्या तनाव में है । वर्ष २०१९ के एक अध्ययन के अनुसार लगभग ६.५ प्रतिशत लोगों को गंभीर मानसिक बीमारियां हैं । इस वर्ष कोरोना संकट के कारण इस निराशा में और वृद्धि हुई होगी । तनाव के लिए बाह्य स्थिति केवल ५ से १० प्रतिशत कारणीभूत होती है । तनाव के ९० से ९५ प्रतिशत कारण आंतरिक होता है । इस तनाव के कारण शरीर और मन इन दोनोंपर भी विपरीत प्रभाव पडता है । इस तनाव के निर्मूलन हेतु नामजप लाभदायक है । अधिकतर मनोविकारों में नामजप से लाभ मिलता है ।

१. नामजप के कारण चित्त पर नाम का संस्कार होते रहने से मन की एकाग्रता बढती है ।

२. नामजप के कारण मन के विचार न्यून होने से मनःशांति मिलती है ।

३. ‘ऑब्सेशन’ अर्थात मन में आनेवाले अर्थहीन विचार न्यून करने हेतु नामजप करना एक रामबाण उपाय है ।

४. नामजप के कारण मन शांत रहने से मानसिक तनाव के कारण होनेवाली शारीरिक बीमारियां नहीं होती और उससे शरीर स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है ।

५. गृहस्थी से संबंधित कई समस्याएं अयोग्य पद्धति से बोलने के कारण उत्पन्न होती हैं । नामजप करना तो एक प्रकार से मौन रहने जैसा है । इस कारण उससे गृहस्थी की समस्याएं अल्प हो जाती हैं ।

६. नामजप के कारण झूठ बोलना, क्रोध आना जैसी बुरी आदतें, साथ ही स्वभावदोषोंपर नियंत्रण करना संभव होता है ।

७. हमारे अंतर में सद्गुणों की वृद्धि होने के लिए अंतर्मुखता और आंतरिक निरीक्षण ये बातें आवश्यक हैं । नामजप से ये दोनों बढने में सहायता मिलती है ।

२. शारीरिकदृष्टि से मिलनेवाले लाभ

अब हम नामजप के कारण शारीरिकदृष्टि से कौनसे लाभ होते हैं, यह हम समझ लेंगे । जब शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक कष्ट ३० प्रतिशत तक पहुंच जाते हैं, तब उसके लक्षण दिखने लगते हैं । नामजप से रोग का स्वरूप प्रकट होने से पूर्व ही उसके लक्षण समझ में आने लगते हैं । नामजप के कारण आध्यात्मिक उर्जा मिलने से जिन रोगों का कारण आध्यात्मिक होता है, ऐसी गंभीर शारीरिक बीमारियों पर भी सहजता से विजय प्राप्त की जा सकती है । अनेक शारीरिक बीमारियों और विकारों पर नामजप उपयुक्त होता है । किसी के शरीर में जलन अथवा तनावग्रस्त मन की स्थिति होने पर शीतलता प्रदान करनेवाला ‘श्री चंद्राय नमः’ जाप करना चाहिए । रक्तस्त्राव होनेवाली बीमारी में मंगल देवता का ‘श्री मंगलाय नमः’ जप उपयोगी सिद्ध होता है । शरीर में द्रव्यों का संग्रह होने के कारण मूत्राशय का विकार, खांसी अथवा शरीर में सूजन होनेपर सूर्यदेव का जाप करना चाहिए । इस जप के कारण शरीर में जो गर्मी उत्पन्न होती है, उसे उस अंग की ओर मोडा जाता है और वहां पर संग्रहित द्रव्य सूख जाते हैं । अर्थात ये नामजप करते समय चिकित्सकीय उपचार भी चालू रखने हैं ।

इस संदर्भ में सनातन संस्था ने ‘विकारनिर्मूलन हेतु साधना’ ग्रंथ प्रकाशित किया है । आनेवाले भीषण आपातकाल में सभी को चिकित्सकीय सुविधाएं उपलब्ध होंगी अथवा नहीं, इसकी आशंका है । इस कोरोना महामारी के समय चिकित्सकीय सेवा की किल्लत के कारण रोगियों को कितने कष्ट हुए, इसके समाचार आपने सुने होंगे । इस परिप्रेक्ष्य में विकार निर्मूलन के लिए नामजप सहायक होता है । इस ग्रंथ में किस बीमारी पर कौनसा नामजप उपयुक्त है, इसकी विस्तृत जानकारी दी गई है । यह ग्रंथ www.sanatanshop.com संकेतस्थल पर ऑनलाइन बिक्री हेतु उपलब्ध है ।

३. आध्यात्मिक लाभ

हमने अभी नामजप के शारीरिक और मानसिक स्तर पर क्या लाभ मिलते हैं, यह समझ लिया । नामजप के अनेक आध्यात्मिक लाभ हैं । मनुष्य की अधिकतर शारीरिक और मानसिक विकारों का मूल कारण आध्यात्मिक होता है । किसी समस्या का कारण आध्यात्मिक हो, तो उसका उपाय भी आध्यात्मिक स्तर का ही होना चाहिए । नामजप एक उत्तम आध्यात्मिक उपाय है । आप में से कई लोगों ने ऐसी घटनाओं का अनुभव किया होगा कि व्यक्ति को बीमारी तो होती है; परंतु उसका चिकित्सकीय कारण नहीं मिलता । उसके सभी शारीरिक परीक्षण (टेस्ट) ‘नॉर्मल’ होते हैं । इस संदर्भ में हमें यह समझ लेना चाहिए कि मनुष्य की शारीरिक और मानसिक बीमारियों के पीछे प्रारब्ध एक महत्त्वपूर्ण कारण है । नामजप के कारण सौम्य प्रारब्ध नष्ट होता है, मध्यम प्रारब्ध न्यून होता है और तीव्र प्रारब्ध भोगकर समाप्त करने हेतु मन की तैयारी होती है ।

कई बार मानसिक तनाव, आसपास का वातावरण आदि के कारण मनुष्य के शरीर पर कष्टदायक आवरण बन जाता है । उसे दूर करने हेतु अथवा अतृप्त पूर्वजों के कारण होनेवाले कष्टों के निवारण के लिए नामजप उपयुक्त सिद्ध होता है । वास्तुदोष दूर करने हेतु वास्तुशांति अथवा उदकशांति की जाती है, तब भी वास्तु में कष्टदायक स्पंदन उत्पन्न न हों; इसके लिए नामजप अत्यंत उपयुक्त है ।

नामजप के कारण विषय की आसक्ति न्यून होती है । आसक्ति ही सभी दुखों और सभी रोगों का मूल है । भगवान आनंदस्वरूप होते हैं । यदि उनके ही नामजप से उनके ही चरण श्रद्धापूर्वक धर लिए, तो वहां दुख रह ही नहीं सकता । नामजप करने से भगवान के प्रति प्रेम लगने लगता है और आसक्ति अल्प होकर दुख नष्ट होता है । इसके कारण अनेक संतों ने भी नामजप की महिमा का गुणगान किया है । हमें दिनभर भगवान का नामजप करना हो, तो हम उसे अधिक एकाग्रता से, मन से और प्रेमपूर्वक करने का प्रयास करेंगे ।

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