हिन्दू धर्म, संत, एवं राष्ट्रपुरुषों पर विविध माध्यमोंद्वारा
जो आपत्तियां उठाई जा रही है, उन आपत्तियों के विरोध में सनातन संस्था
तथा हिन्दू जनजागृति समिति ने वारकरियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लडाई की है !
हिन्दू धर्म पर आपत्ति उठानेवाले जादूटोना अधिनियम के विरोध में आंदोलन, वारकरियों को सुविधा प्राप्त होने हेतु किया गया आंदोलन, पंढरपुर-कोल्हापुर-तुळजापुर के मंदिर समितियों के भ्रष्टाचार तथा अनियमितता बाहर निकालने हेतु किए गए आंदोलन, अनादरयुक्त नाटिका ‘थरारली ईट’ के विरोध में किए गए आंदोलन की प्रविष्टि लेने को शासन बाध्य हुआ। उसके कारण समाज में अधिक मात्रा में जागृति हुई।
उनमें से कुछ चुने हुए उदाहरण यहां प्रस्तुत कर रहे हैं . . .
१. कोल्हापुर में हिन्दू धर्मविरोधी दलित पैंथर संगठन ने केशव ढवळेद्वारा प्रकाशित की गई संत तुकाराम गाथा हमें स्वीकृत नहीं है, ऐसा कारण बताकर जनपदाधिकारी कार्यालय के प्रांगण में संत तुकाराम गाथा जलाई थी। उसे वारकरी संप्रदाय ने अधिक मात्रा में विरोध करते हुए कोल्हापुर में दो मोर्चों का आयोजन किया था, साथ ही ज्ञापन प्रस्तुत किए थे। उसमें ह.भ.प. भानुदास यादव महाराज, साथ ही अन्य वारकरी सम्मिलित हुए थे। सांगली में ह.भ.प. रमाकांत बोंगाळे महाराज के नेतृत्व में ज्ञापन प्रस्तुत किया गया। अतः पुलिस को संबंधित लोगों को बंदी बनाना बाध्य हुआ था !
२. पंढरपुर के श्री विठ्ठल-रुक्मिणी मंदिर समितिद्वारा किये गये भूमि घोटाले, निधि पुस्तिका में भ्रष्टाचार, अलंकारों की गणना करते समय किया गया भ्रष्टाचार, साथ ही अन्य भ्रष्टाचार हिन्दू विधिज्ञ परिषद ने पत्रकार परिषद आयोजित कर उजागर किए थे। उस समय ह.भ.प. निवृत्ति महाराज, ह.भ.प. वक्ते महाराज, ह.भ.प. बापू महाराज रावकर, हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. सुनील घनवट, साथ ही हिन्दू विधिज्ञ परिषद के अधिवक्ता श्री. वीरेंद्र इचलकरंजीकर उपस्थित थे।
३. पंढरपुर में मद्य-मांस बंदी के विरोध में वारकरियोंद्वारा धरना आंदोलन संपन्न हुआ। उस समय ह.भ.प. रामकृष्ण वीर महाराज, ह.भ.प. शिवणीकर महाराज, ह.भ.प. निवृत्ति महाराज, ह.भ.प. वक्ते महाराज के साथ समिति भी सम्मिलित हुई थी।
४. आळंदी में विगत १२ वर्षों से वारकरी संप्रदाय का अधिवेशन होता है। इस अधिवेशन में गोवंश हत्या बंदी की मांग, धर्मांतरण, वारकरियों के विविध प्रश्न, हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार पर मंथन किया गया था। उसके लिए राज्य से अधिक संख्या में वारकरी सम्मिलित हुए थे। इस अधिवेशन के कारण गोवंश हत्या बंदी होने के लिए सहायता प्राप्त हुई थी। उसमें भी हर वर्ष समिति का सहभाग रहता है।
५. मुंबई में किए गए विविध आंदोलन, इस प्रकार है ….
अ. मुंबई में एक नाट्य निर्माता ने ‘थरारली ईट’ नामक वारकरी तथा उनकी वारी पर अश्लाघ्य कीचड उछालनेवाली नाटिका की रचना की थी। उस वारी में वेश्या व्यवसाय चलता है, वारकरी व्यसनी होते हैं, ऐसी वारकरियों की अनुचित प्रतिमा अंकित की गई थी। इस नाटिका पर पाबंदी लगाने हेतू समिति ने वारकरियों के साथ मुख्यमंत्री, गृहमंत्री, सांस्कृतिक विभाग को ज्ञापन प्रस्तुत किए, साथ ही वारकरियों ने आंदोलन की चेतावनी भी दी थी। अतः शासन को इस नाटिका पर पाबंदी लगानी पड़ी थी। उसमें ह.भ.प. बापू महाराज रावकर, ह.भ.प. गणेश महाराज पाटिल, ह.भ.प. निवृत्ती महाराज वक्ते महाराज के साथ अन्य वारकरी भी सम्मिलित हुए थे।
आ. अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के भ्रष्टाचार की जांच करने हेतु वारकरियों ने आजाद मैदान में आंदोलन आयोजित किया था। साथ ही वैज्ञानिक दृष्टिकोण प्रकल्प निरस्त करने हेतु आंदोलन हुआ था।
इ. पंढरपुर में मद्य-मांस पर पाबंदी लगाने के लिए ह.भ.प. रामेश्वर शास्त्री महाराज, ह.भ.प. कृष्णा महाराज अहिरे, साथ ही अन्य वारकरियों के नेतृत्व में यह आंदोलन सफल हुआ था।
ई. हर जनपद में वारकरी भवन हो, वारी को अनुदान प्राप्त हो, साथ ही अन्य मांगों के लिए किए गए हर आंदोलन में हिन्दू जनजागृति समिति सम्मिलित थी।
ऊ. वर्तमान में पारित हुआ जादूटोना अधिनियम हिन्दू धर्म पर आपत्ति उठानेवाला है। अतः वह लागू न हो, इसलिए अनेक वर्षों से वारकरी संप्रदाय ने हिन्दू जनजागृति समिति के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आंदोलन किए थे। उसके लिए अनेक बार मोर्चा निकलना, धरना आंदोलन करना एवं ज्ञापन प्रस्तुत करना आदि कार्य संघटितता से किए गए।