आजकल परिवहन के लिए रेल, ट्रक, टेम्पो, ऑटोरिक्शा आदि वाहनों का उपयोग किया जाता है । किंतु, आपातकाल में डीजल-पेट्रोल उपलब्ध नहीं हो पाएंगा । तब, दैनिक आवश्यकताआें की पूर्ति के लिए प्राचीन काल की भांति बिना डीजल-पेट्रोल से चलनेवाले वाहनों (उदा. बैलगाडी, घोडागाडी) का उपयोग करना पडेगा । ये सब साधन प्राप्त करना, उन्हें चलाना, उनकी देखभाल और सुधार करना तथा उनसे जुडे पशुआें का पालन-पोषण करने का कौशल तुरंत सीख लेना आवश्यक है ।
१. नई बैलगाडी और घोडागाडी दान करने अथवा अल्प मूल्य में देनेवालों के विषय में जानकारी भेजें !
आगामी काल में सब आश्रमों और सेवाकेंद्रों के लिए बैलगाडियों की और घोडागाडियों की आवश्यकता पडेगी । आज भी गावों के कुछ किसान बैलगाडी का उपयोग करते हैं; इसलिए वहां बैलगाडियां बनाई जाती हैं । आपके क्षेत्र के बैलगाडी अथवा घोडागाडी बनानेवालों की जानकारी स्थानीय साधकों को लिखित में दें । वह साधक यह जानकारी जनपद सेवक के माध्यम से निम्नांकित सारणी में भेजे । नई गाडी दान करेंगे अथवा अल्प मूल्य में देंगे, यह भी बताएं ।
२. पुरानी बैलगाडी और घोडागाडी अथवा उनके सामग्री
करने अथवा अल्प मूल्य में देने के विषय में जानकारी भेजें !
आजकल गांव के किसान खेती के लिए बैलगाडियों का उपयोग कम कर ट्रैक्टर आदि यांत्रिक वाहनों का उपयोग अधिक करने लगे हैं । इसलिए, अनेक किसानों के पास उनकी बैलगाडियां अथवा उनके अंग (चक्के, वस्तु रखने का स्थान, जुआठ (दो बैलों को बैलगाडी से जोडने के लिए बना लकडी का उपकरण इत्यादि) निरुपयोगी पडे हुए हैं । इन्हें थोडा ठीक कर देने पर वे पुनः उपयोग में लाए जा सकेंगे ।
आपके क्षेत्र के किसान इस प्रकार की पुरानी बैलगाडियां और घोडागाडियां अथवा उनके अंग दान करने के अथवा अल्प मूल्य में देने के इच्छुक हों, तो उनके विषय में जानकारी स्थानीय साधकों को लिखितरूप में भेजें । स्थानीय साधक जनपदसेवक के माध्यम से निम्नांकित सारणी में भेजें ।
उपर्युक्त सब जानकारी निम्नांकित पते पर भेजें !
नाम और संपर्क क्रमांक : श्रीमती भाग्यश्री सावंत – 7058885610
ई-मेल : [email protected]
डाक का पता : श्रीमती भाग्यश्री सावंत, द्वारा ‘सनातन आश्रम’, २४/बी, रामनाथी, बांदिवडे, फोंडा, गोवा. पिन – ४०३४०१