संत मीरा बाई ने बताया है कि श्रीकृष्ण के प्रति अटूट आस्था के कारण, उनपर दृढ श्रद्धा के कारण उन्होंने अपने जीवन के कठिन से कठिन प्रसंग भी पार किए हैं । उनके साथ अनेक छल हुए पर फिर भी कभी उनकी अपने प्रभु पर से श्रद्धा कम नहीं हुई । इसके विपरीत उनकी श्रद्धा और भी बढती ही गई । ईश्वर से मिलने की लगन बढती गई । संत मीरा बाई के समान ही हम भी श्रीहरि पर अपनी श्रद्धा बढाकर प्रत्येक प्रयत्न श्रद्धा से करेंगे ।
मन को उपदेश देती हुए संत मीराबाई हमें एक पद में बताती हैं कि ‘‘अरे मन, तू सदा ही श्रीचरणों का ध्यान कर । तुझे इस धरती और आकाश के बीच में जो कुछ दिखाई दे रहा है एक दिन उसका अंत निश्चित है । यह जो तेरी देह है इस पर बिल्कुल भी अहंकार मत कर कारण यह शरीर भी एक दिन मिट्टी में ही मिल जाएगा । यह संसार एक खेल के ही समान है । एक दिन संसार नष्ट होगा । भगवान की प्राप्ति के लिए भगवत भक्ति करनी ही पडती है । इससे पुन: हमें भक्ति का महत्त्व ध्यान में आता है ।
मीराबाई ने जिस तरह श्रीकृष्ण को पाने के लिए भक्ति और साधना की है वैसे तो केवल सच्चा भक्त ही कर सकता है । तो हम भी खरा भक्त बनने का ही प्रयत्न करेंगे ।