देहली – श्राद्ध अथवा पितृपक्ष में समाज को इस विषय की शास्त्रीय जानकारी मिले और पितृदोष से रक्षा हो, इसलिए उत्तर भारत के विविध राज्यों में ‘ऑनलाइन’ प्रवचन का आयोजन किया । पितृपक्ष के विषय में जानकारी देते समय श्राद्ध का उद्देश्य, इतिहास, महत्त्व और श्राद्धविधि, इन विषयों पर मार्गदर्शन किया गया । साथ ही ‘श्री गुरुदेव दत्त’ नामजप क्यों करना चाहिए ? इस विषय में भी जानकारी दी गई ।
इस प्रवचन में सनातन संस्था की साधिका श्रीमती मंजुला कपूर, श्रीमती राजरानी माहूर और श्रीमती संदीप मुंजाल ने मार्गदर्शन किया । कार्यक्रम के अंत में जिज्ञासुओं की शंकाओं का निरसन किया गया ।
उत्तर प्रदेश
पितृपक्ष के उपलक्ष्य में उत्तर प्रदेश के वाराणसी में २ और गाजीपुर जिले में १ ‘ऑनलाइन’ प्रवचन का आयोजन किया गया । इन प्रवचनों के आरंभ में सनातन संस्था की साधिका श्रीमती प्राची जुवेकर ने सनातन संस्था के संस्थापक परात्पर गुरु डॉ. जयंत बाळाजी आठवलेजी एवं संस्था के कार्य के बारे में बताया । उन्होंने आगे बताया कि ‘जीवन की ८० प्रतिशत समस्याएं आध्यात्मिक स्वरूप की होती हैं, जिनका समाधान साधना से ही हो सकता है । सभी को अपने कुलदेवता का नामजप ‘श्री कुलदेवतायै नमः’ तथा पूर्वज कष्टों से निवारण हेतु ‘श्री गुरुदेव दत्त’ नामजप करना चाहिए ।’ कोरोना महामारी के कारण यातायात बंदी के समय महालय श्राद्ध कैसे करें आदि विषय भी बताए गए ।
बिहार
पितृपक्ष के उपलक्ष्य में बिहार के सोनपुर में १ और पटना जनपद में १ ‘ऑनलाइन’ प्रवचन का आयोजन किया गया । सोनपुर में हुए प्रवचन के आरंभ में सनातन संस्था की साधिका श्रीमती सीमा श्रीवास्तव तथा पटना में श्रीमती आशा झा ने पितरों के लिए तिलतर्पण का क्या महत्त्व है तथा यह कैसे करना चाहिए, इस विषय में उपस्थित जिज्ञासुओं को बताया । सभी ने नियमित सत्संग की मांग की ।