जलप्रलय की दृष्टि से भौतिक स्तर पर क्या पूर्व तैयारी करनी चाहिए ? : भाग १

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बाढग्रस्त क्षेत्र के नागरिकों के लिए महत्त्वपूर्ण जानकारी

वर्षाऋतु में अतिवृष्टि होने से जलप्रलय (बाढ) आता है । अन्य ऋतुओं में भी बादल फटने से जलप्रलय आ सकता है । वर्ष २०१९ में महाराष्ट्र और कर्नाटक राज्यों के अनेक नगर अतिवृष्टि के कारण जलमग्न हो गए थे । कई गांवों को जोडनेवाली सडकों में दरार आ जाने से यातायात ठप्प हो गयी थी । सहस्रों नागरिकों के घर पानी में डूब गए थे । कुछ स्थानों पर पानी के प्रवाह इतनी गति थी कि उसमें व्यक्ति, पशु और वाहन भी बह गए । पेट्रोल, डिजल, दूध आदि जीवनावश्यक वस्तुएं मिलना दुर्लभ हुआ था । अकस्मात उत्पन्न इस प्राकृतिक आपदा से जनजीवन संपूर्णरूप से ठप्प हो गया था ।

‘भविष्य में ऐसी स्थिति कब उत्पन्न हो जाए’, कहा नहीं जा सकता । इसलिए बाढग्रस्त क्षेत्रों के नागरिकों को किस प्रकार पूर्व तैयारी करनी चाहिए, इस संदर्भ में मार्गदर्शक सूत्र आगे दिए गए हैं –

 

१. बाढग्रस्त क्षेत्र में नए घर का निर्माण करना हो, तो कैसे करना चाहिए ?

१ अ. नए घर का निर्माण बाढग्रस्त क्षेत्र में  न करें

नए घर का निर्माण करना हो, तो बाढग्रस्त क्षेत्र में निर्माण करने का विचार भी न करें ।

१ आ. ‘बाढग्रस्त क्षेत्र में घर का निर्माण करने से पूर्व ‘कितनी ऊंचाई पर
घर का निर्माण करना चाहिए ?’, इस विषय में निर्माण विशेषज्ञों से मार्गदर्शन लेना

कुछ कारणवश बाढग्रस्त क्षेत्र में नए घर का निर्माण करना अनिवार्य ही हो, तो ‘वहां कितनी ऊंचाई तक बाढ का पानी आता है’, साथ ही ‘कितनी ऊंचाई पर घर का निर्माण करना चाहिए’, इस संदर्भ में निर्माण विशेषज्ञों से मार्गदर्शन लें ।

१ इ. मिट्टी अथवा कच्ची ईंटों के नहीं, अपितु ‘स्लैब’ तथा सीमेंट से बने ‘कॉलम, बीम’ से युक्त घर सुरक्षित !

बाढग्रस्त क्षेत्र में मिट्टी तथा कच्ची ईंटों के घर अधिक समय तक नहीं टिक सकते । पानी के गतिशील प्रवाह के कारण मिट्टी के घर बडी सहजता से गिर जाते हैं, तो पानी में कच्ची ईंटों के पिघलने की संभावना भी होती है । मुसलाधार वर्षा के कारण घर पर बिछाए टिन तथा खपडे की छत आदि उड जाती हैं; इसलिए बाढग्रस्त क्षेत्र में पत्थर से बने, साथ ही ‘स्लैब’ तथा सिमेंट के बने ‘कॉलम’ (सिमेंट के खंभे)-‘बीम’ से युक्त मजबूत घर का निर्माण करें । घर की दीवारें मिट्टी की अपेक्षा सिमेंट एवं रेत से बनी होनी चाहिए ।

१ ई. घर का निर्माण करते समय यदि बाढ का पानी अंदर आता है, तो ‘उसकी निकासी हो सके’,
इस पद्धति से ढलान की (‘स्लोप’ की) रचना करें । इसके लिए निर्माण विशेषज्ञों से मार्गदर्शन लें ।

 

२. वास्तु के संदर्भ में सूत्र

२ अ. बीमा कराना

वास्तु (घर) यदि बाढ के क्षेत्र में हो, तो ‘भविष्य में बाढ की स्थिति आ सकती है’, इसे ध्यान में लेकर क्या वास्तु, वाहन, फसल, साथ ही अन्य सामग्री का बीमा कराना है, इसका निर्णय लें ।

२ आ. दीवारों में नमी आने पर ‘वॉटरप्रुफिंग’ करना

घर की दीवारों में नमी आती हो, तो वर्षाऋतु से पहले उनका ‘वॉटरप्रुफिंग’ करें । दीवारों में दरारे आई हों, तो वे संकटकारी सिद्ध हो सकती हैं; इसलिए इस संदर्भ में तुरंत निर्माण विशेषज्ञों को दिखाएं ।

२ इ. लकडी के ‘फर्नीचर’ पर ‘वॉटरप्रुफ कोटिंग’ करना

‘प्लाईवुड’ अथवा ‘भूसा प्लाई’ से बना फर्नीचर पानी लगने से खराब हो जाता है । इसलिए उसकी अपेक्षा लकडी अथवा लोहे से बने फर्नीचर (टेबल, सोफा, पलंग आदि) के उपयोग पर विचार करें । लकडी के फर्नीचर का ‘वॉटरप्रुफ कोटिंग’ करने से अधिक समय तक पानी में रहा, तो भी वह खराब नहीं होगा ।

२ ई. घर की बिजली के जोड (‘इलेक्ट्रिक पैनल’) यथासंभव अधिक ऊंचाई पर रखें ।

२ उ. ‘बिजली की किल्लत न हो’, इसके लिए क्या करना चाहिए ?

वर्षाऋतु में अनिश्‍चित अवधि के लिए बिजली की आपूर्ति खंडित हो सकती है । इसलिए घर में माचिस, दीप, मोमबत्तियां, टॉर्च, (कंडील, चिमणी) रॉकेल, तेल आदि का प्रबंध कर रखें । ‘टॉर्च’ में डालने हेतु अतिरिक्त ‘सेल’ का भी प्रबंध करें । इन सभी को ‘वॉटरप्रुफ’ पाऊच अथवा बैग में रखने पर वो पानी से गीले नहीं होंगे ।

२ ऊ. खिडकियां और दरवाजे की मरम्मत करवा लें

बाढ की स्थिति में चोरी की घटनाएं होती हैं; इसलिए ‘घर की खिडकियां और दरवाजे बंद होते हैं न ?’, साथ ही ‘उन पर सुरक्षित जालियां लगाई हैं ना ?’, इसकी आश्‍वस्तता कर लें । खिडकियां और दरवाजे ठीक से बंद न होते हों, तो उनकी मरम्मत करवा लें ।

 

३. महत्त्वपूर्ण कागदपत्र और मूल्यवान वस्तुओं को सुरक्षित रखने के लिए क्या करना चाहिए ?

३ अ. ‘डिजिलॉकर’ एप का उपयोग करना

भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय द्वारा संचालित ‘डिजिलॉकर’ एप्लिकेशन का उपयोग करें । (https://digilocker.gov.in/ संकेतस्थल पर इसकी जानकारी उपलब्ध है ।) इंटरनेट की सुविधावाले चलितभाष में इस एप को स्थापित (इंस्टॉल) कर उसमें अपने आधार कार्ड का क्रमांक लिखें । ‘एप’ पर अपनेआधार कार्ड का क्रमांक डालने के पश्‍चात आधार कार्ड से संलग्न (लिंक्ड) सभी सरकारी कागदपत्र (उदा. वाहन अनुज्ञप्ति, ‘इन्श्यूरेंस पॉलिसी’, ‘टीडीएस सर्टिफिकेट’, किराया अनुबंधपत्र, घर खरीद लेनदेन) को ‘डाउनलोड’ किया जा सकता है । ‘डाउनलोड’ किए गए ये सभी कागदपत्र ‘एप’ पर स्थाईरूप से सुरक्षित रहते हैं । ‘एप’ को अपने चलितभाष पर पहले ही स्थापित कर उन पर कागदपत्र ‘डाउनलोड’ किए गए हों, तो संकटकालीन स्थिति में कागदपत्र सहजता से उपलब्ध हो सकते हैं ।

३ आ. नगद धनराशि, मूल्यवान वस्तु, आभूषण, महत्त्वपूर्ण
कागदपत्र आदि रखने के लिए बाढग्रस्त क्षेत्र में स्थित अधिकोष का चयन न करें ।

३ इ. महत्त्वपूर्ण कागदपत्रों की सत्यापित (एटेस्टेड) तथा छायांकित प्रतियां सुरक्षित रखना

१. अधिकोष में यदि ‘लॉकर’ की सुविधा हो, तो उसमें महत्त्वपूर्ण मूल (ओरिजिनल) कागदपत्र (उदा. राशनकार्ड, आधार कार्ड, बैंक पासबुक तथा घर से संबंधित कागदपत्र) तथा उनकी ५ सत्यापित (एटेस्टेड) प्रतियां रखें ।

२. महत्त्वपूर्ण कागदपत्रों की ५ सत्यापित (एटेस्टेड) प्रतियों को अन्य संबंधियों अथवा परिचितों के घर में रखा जा सकता है ।

३. इसके साथ ही महत्त्वपूर्ण कागदपत्रों की ५ छायांकित (जेरॉक्स) प्रतियों को प्लास्टिक की थैली में रखकर किसी छोटे बैग अथवा ‘ब्रीफकेस’ में रखें । अकस्मात घर से बाहर निकलना पडे, तो इस बैग को साथ में रखा जा सकता है ।

इस प्रकार कागदपत्रों की प्रतियों को ३ विविध स्थानों पर रखने से संकटकाल में किसी एक स्थान पर रखे गए कागदपत्र उपलब्ध नहीं हुए, तो अन्य स्थानों पर रखे गए कागदपत्र हमें मिल सकते हैं ।

३ ई. मूल्यवान वस्तुओं को सुरक्षित स्थान पर रखें !

संकटकाल में चोरी की घटनाएं बढ जाती हैं । इसलिए मूल्यवान वस्तुएं, आभूषण आदि को अधिकोष में अथवा अन्य सुरक्षित स्थान पर रखें । मूल्यवान वस्तुओं को पहले ही सुरक्षित स्थान पर रखने से घर को कोई खतरा भी पहुंचे, तो वस्तुएं खो नहीं सकेंगी ।

३ ई. ‘अधिकोष अथवा ‘एटीएम’ सुविधाओं के अभाव में असुविधा न हो’; इसके लिए अपने पास नगद धनराशि रखें !

आपातकालीन स्थिति में नित्य आवश्यकताओं की आपूर्ति के लिए नगद धनराशि तत्काल उपलब्ध नहीं हो सकती, साथ ही जीवनोपयोगी और अन्य वस्तुएं भी महंगी मिलती हैं; इसलिए न्यूनतम १५ दिनों से १ महीने तक पर्याप्त हो, इतनी नगद धनराशि अपने पास रखें । यह धनराशि पानी से गीली न हो; इसलिए उसे प्लास्टिक की छोटी थैली में सुरक्षित स्थान पर रखें ।’

(प्रस्तुत लेखमाला का सर्वाधिकार (कॉपीराईट) ‘सनातन भारतीय संस्कृति संस्था’ के पास सुरक्षित है)

भाग २ पढने के लिए आगे बताई लिंक पर क्लिक करें : https://www.sanatan.org/hindi/a/30733.html

आनेवाले तीसरे महायुद्ध के समय भी ऐसी स्थिति आ सकती है । यह जानकारी उस समय भी उपयुक्त सिद्ध होगी; इसलिए साधक और पाठक इसे संग्रहित रखें ।

 

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