भार उठाने की योग्य पद्धतियां !

१. भार उठाते समय बरतने की सावधानी

‘दैनिक काम करते समय अथवा कहीं बाहर जाते समय हमें अनेक प्रकार के भार उठाने पडते हैं । उन्हें उठाने में हमारे शरीर पर जाने-अनजाने तनाव आता है । अयोग्य पद्धति से भार उठाने से शरीर की हानि हो सकती है । कमर और पीठ पर बहुत तनाव आता है और रीढ की हड्डियों की व्याधि अथवा भीतरी चोट लग सकती है ।

 

२. भार उठाते समय तनाव आने के कारण

१. घुटने सीधे और पीछे मोडकर भार उठाना ।

२. शरीर से दूरी पर भार पकडना ।

३. उठाते समय शरीर घुमाना ।

४. उठाते समय संतुलन बिगडना ।

ऐसी अयोग्य कृतियों से भार उठाते समय तनाव आता है ।

२ अ. भार उठाते समय संतुलन बिगडने के कारण आगे दिए हैं ।

१. पैर बहुत पास-पास रखना ।

२. भार असंतुलित होना ।

३. भार बहुत भारी होना ।

४. अडचनोंवाले मार्ग से भार ले जाते समय अलग (अयोग्य) पद्धति से झुकना ।

५. दो से अधिक लोगों द्वारा भार उठाते समय समन्वय का अभाव ।

 

३. तनाव न आने अथवा संतुलन न बिगडे, इसके लिए बरतने की सावधानी

१. पीठ सीधी रखकर घुटने झुकाएं ।

२. भार यथासंभव शरीर के पास रखें ।

३. मुडना हो तो पीठ से नहीं, पैरों से मुडे ।

४. पैरों में पर्याप्त अंतर रखें ।

५. भार अधिक होने पर दूसरे व्यक्ति की सहायता लें अथवा उसे यंत्र की सहायता से उठाएं ।

६. मार्ग छोटा होने पर भार उठाने से पहले मार्ग यथासंभव खाली कराएं । मार्ग में कहां कितना मुडना है, यह पहले ही निश्‍चित कर लें ।

७. दो अथवा अधिक व्यक्ति भार उठा रहे हों, तो एक दूसरे से बोलकर अथवा अंक गिनकर समन्वय रखने पर ध्यान दें ।

८. अपने पांव बाहर की दिशा में रखें । संभव हो तो एक पैर दूसरे पैर से थोडा आगे रखें ।

 

४. भार उठाने की कुछ पद्धतियां

४ अ. सर्वसामान्य (मध्यम स्वरूप का) भार कैसे उठाएं ?

१. जितना संभव हो, भार के निकट जाएं ।

२. दो पैरों में कंधे जितना अंतर रखें ।

३. पीठ सीधी रखकर घुटने मोडकर नीचे बैठें ।

४. यथासंभव भार शरीर के निकट रखें ।

५. भार दोनों हाथों से कसकर पकडें ।

६. सामने देखें ।

७. पीठ सीधी रखकर और घुटने सीधे रखते हुए भार उठाएं । भार उठाते समय उच्छवास छोडें ।

४ आ. बडा भार कैसे उठाएं ?

१. भार के पास जाएं ।

२. दोनों पैरों में कंधे जितना अंतर हो । एक पैर दूसरे पैर से आगे रखें ।

३. पीठ सीधी रखकर पुट्ठे से (जांघ और कटि के जोड से, hip joint से) झुकें और घुटने मोडकर नीचे बैठें ।

४. यथासंभव भार शरीर के निकट पकडें ।

५. एक हाथ से भार का अगला सिरा और दूसरे हाथ से पीछे का सिरा कसकर पकडें ।

६. सामने देखें ।

७. पीठ सीधी रखकर और घुटने सीधे करते हुए भार उठाएं । भार उठाते समय उच्छवास करें ।

४ इ. घुटने मोडना संभव न हो, तो भार कैसे उठाएं ?

उदा. गाडी की डिक्की से खोखे निकालना

१. घुटने यथासंभव मोडकर भार के अधिकाधिक निकट खडे हों ।

२. पीठ अथवा कमर से न झुककर पुट्ठे से झुकें ।

३. जिस वस्तु के कारण घुटने नहीं मोड पाते, वह स्थिर हो तो घुटने उस पर टिकाकर उसका आधार ले सकते हैं ।

४. भार दोनों हाथों से कसकर पकडें ।

५. सामने देखें ।

६. पीठ सीधी रखकर घुटने सीधे करें और पुट्ठे से सीधे होते हुए भार उठाएं । उठाते समय उच्छवास छोडें ।

४ ई. वस्तु गहरे पीपे में हो अथवा नीचे गिरी हो, तो उठाने की पद्धति

घुटने के कष्ट अथवा दुर्बल पैरवाले व्यक्ति घुटनों पर नीचे नहीं झुक सकते । उनके लिए यह पद्धति उपयुक्त है ।

१. एक हाथ से स्थिर वस्तु का अथवा पीपे के किनारे का आधार लें ।

२. एक पैर ढीला रखें ।

३. पीठ सीधी रखें और नीचे झुकते समय ढीला पैर ऊपर उठाएं ।

४. वस्तु कसकर पकडें ।

५. सामने देखें ।

६. वस्तु उठाना आरंभ करने तक पैर उठा हुआ ही रखें ।

७. स्थिर वस्तु पर दबाव देकर पैर नीचे करते हुए भार उठाएं ।

सूचना : प्रत्येक समय पैर उठाना कठिन लगता हो, तो पैर थोडा सा ऊपर उठाएं । इससे भूमि से उसका संपर्क नहीं रहेगा ।

४ उ. एक हाथ से सामग्री (सामान)उठाने की पद्धति

उदा. कहीं बाहर जाते समय बैग अथवा सूटकेस उठाना अथवा घर में पानी की बालटी उठाना

१. भार शरीर के बाजु के पास आएं, ऐसे खडे रहें ।

२. दोनों पैरों में दोनों कंधे जितना अंतर हो ।

३. एक हाथ स्थिर वस्तु पर, यथा स्टूल पर अथवा अपनी जांघ पर रखें । ऐसा करने से शरीर के एक बाजु पर तनाव नहीं आता ।

४. पीठ सीधी रखकर घुटने और पुट्ठे से(जांघ और कटि के जोड में, hip joint से) झुकें और वस्तु का हैंडल पकडें ।

५. सामने देखें ।

६. स्थिर वस्तु पर दबाव देकर घुटने सीधे करते हुए भार उठाएं । उठाते समय उच्छवास छोडें ।

४ ऊ. भार सिर के ऊपरी भाग पर, यथा रैक पर कैसे रखें ?

१. भार शरीर के पास रहे ।

२. दोनों पैरों में कंधे जितना अंतर रखें । एक पैर दूसरे पैर के थोडा आगे रखें ।

३. सामने देखें ।

४. धीरे धीरे भार रैक के स्तर पर ले जाएं ।

५. रैक तक पहुंचते समय शरीर का भार पिछले पैर से अगले पैर पर ले जाएं ।

६. रैक के किनारे पहुंचने पर भार को रैक पर धकेलें ।

४ ए. भार लेकर कैसे मुडें ?

भार लेकर मुडते समय कई बार अकस्मात हम पीठ की ओर मुडते हैं । इससे कमर में मोच आ सकती है ।

१. शरीर भार के पास हो ।

२. जिस दिशा में मुडना है, उस दिशा का पैर ९० अंश के कोण में उसी दिशा में मोडें ।

३. शरीर के शेष भाग को पीठ से न मोडकर पहले पैर की दिशा में लाएं ।

४ ऐ. किसी भी प्रकार का भार उठाने की सर्वसामान्य पद्धति

१. भार के पास जाएं ।

२. दोनों पैरों में कंधे जितना अंतर रखें । संभव हो, तो एक पैर दूसरे पैर से थोडा आगे रखें ।

३. पीठ सीधी रखकर घुटने सेे नीचे झुकें । भार बडा अथवा अधिक हो तो कमर से भी अधिक झुकें ।

४. भार शरीर के अधिक से अधिक पास हो ।

५. भार दोनों हाथों से कसकर पकडें ।

६. सामने देखें । सामने देखने से भार उठाने की कृति के लिए अपनी रीढ उचित स्थिति alignment में रहती है ।

 

५. पीठ और पेट के स्नायु बलवान होने के लिए करने योग्य व्यायाम

दिनभर शरीर योग्य स्थिति में रखने अथवा भार आदि उठाने के लिए पीठ के स्नायु बलवान होना आवश्यक होता है । इसके लिए आगे दिए व्यायाम दिन में दो बार करें ।

५ अ. मंद से मध्यम कमर के कष्टवालों के लिए व्यायाम

१. पीठ के बल लेटें, पैर सीधे रखें । दोनों एडियां और सिर एक साथ भूमि पर दबाएं । १,२…. ऐसे १० तक गिनें । सिर और पैर ढीले छोडें, ऐसा १० बार करें ।

२. पीठ के बल लेटें, दोनों घुटने मोडें । पैर के तलवे भूमि पर पूरी तरह टिकाकर रखें । कमर धीरे धीरे ऊपर उठाएं । जितनी हो सके उतनी उठाने पर उसी स्थिति में रहें, १,२.. ऐसे १० तक गिनें । कमर धीरे धीरे नीचे लाएं ।

५ आ. कमर न दुखनेवालों के लिए व्यायाम

जिनकी कमर नहीं दुखती अथवा कमर के स्नायु थोडे दुखते हैं, ये व्यायाम उनके लिए हैं ।

१. औंधे लेटें । पैर सीधे करें । दोनों हाथ कमर पर, एक पर एक रखें । पीठ ऊपर उठाएं । कमर भूमि पर टिकी हो । जितनी हो सके, पीठ ऊपर उठाकर १ से १० गिनने तक उसी स्थिति में रहने का प्रयास करें । पीठ धीरे धीरे नीचे लाएं ।

२. औंधे लेटें । पैर सीधे कर एक हाथ कान के पास लाएं । कान के पास का हाथ और दूसरा पैर छत की दिशा में ऊपर उठाकर रखें, १ से १० तक गिनें । हाथ और पैर धीरे धीरे नीचे लाएं ।

यह व्यायाम नहीं कर पा रहे हों, तो आगे दिया व्यायाम करें ।

१. दो हाथ और दो घुटनों पर खडे रहें । एक हाथ कान के पास और दूसरी ओर का पैर शरीर की बराबरी में आने तक ऊपर उठाएं । १ से १० तक गिनें, तत्पश्‍चात हाथ और पैर धीरे धीरे पूर्वस्थिति में लाएं ।

२. औंधे लेटे । पैर सीधे करें । एक समय एक पैर ऊपर उठाकर १ से १० तक गिनें, पैर धीरे धीरे नीचे लाएं ।

३. एक करवट पर लेटें । नीचे का पैर घुटने से मोडें । ऊपर का पैर घुटने से सीधा रखें । ऊपर का पैर शरीर की बराबरी में १५ अंश ऊपर उठाएं । १ से १० तक गिनें । पैर धीरे धीरे नीचे लाएं । कमर के कष्टवाले यह व्यायाम न करें । यह व्यायाम करते समय कमर तिरछी न हो, इसका ध्यान रखें ।

४. पीठ के बल लेटें । पैर सीधे रखें । दोनों हाथ शरीर से सटाकर रखें । दोनों पैर ४५ अंश में ऊपर उठाएं । ऐसा करते समय घुटने न मोडें । सिर और कंधे ऊपर उठाएं । १० तक गिनते हुए इसी स्थिति में रहें । धीरे धीरे पूर्वस्थिति में आएं । कमर के कष्टवाले यह व्यायाम न करें ।

 

६. व्यायाम करते समय बरतने की सावधानी

अ. प्रत्येक व्यायाम १० बार तथा दिन में दो बार करें ।

आ. ये व्यायाम करते समय श्‍वास न रुके, इस पर ध्यान रखें ।

इ. पहले बिना गिनती किए व्यायाम करें । यह सहजता से होने लगे, तो ३ से ५ तक गिनकर करें, और यह साध्य होने पर १० तक गिनकर व्यायाम करें ।

– श्री. निमिष म्हात्रे, फिझियोथेरपिस्ट, रामनाथी आश्रम, गोवा.

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