संत कबीर का आध्यात्मिक सामर्थ्य !

 

१. कबीर को देखकर देहली के सम्राट के शरीर का दाह नष्ट होना

उस समय सिकंदर लोदी देहली के राजसिंहासन पर (तख्त पर) बैठा था । उसके संपूर्ण शरीर में तीव्र जलन-सी हो रही थी । वैद्य और हकीमों के उपायों से भी कोई लाभ नहीं हो रहा था । वह प्रथम रामानंदस्वामीजी के पास गया; परंतु उनका नियम था कि मलेच्छ का मुख नहीं देखना है । तदुपरांत वह कबीर के पास गया । वहां जाने पर उन्हें देखते ही सिकंदर की दाह नष्ट हो गई ।

१ अ. कबीर को मार डालने का प्रयत्न असफल होना

‘कबीर के कारण सिकंदर लोदी का दाह नष्ट हो गया, यह सहन न होने से सिकंदर के गुरु ने अर्थात शेख तकी ने कबीर को जंजीरों से हाथ-पैर बांध कर गंगा में डाल दिया । तदुपरांत एक बार घर में बांध कर रखा और घर में आग लगा दी; परंतु कबीर को कुछ नहीं हुआ । एक बार तो उन्हें बांधकर मदोन्मत्त हाथी के सामने डाल दिया । तब हाथी उलटी दिशा में भाग खडा हुआ ।

१ आ. प्रेत को जीवित करना

एक बार गंगा नदी से एक ५-७ वर्ष के लडके का प्रेत बहता आया । तब शेख तकी कबीर से बोला, ‘‘इस लडके को जीवित कर दिखाओ ।’’ कबीर की दृष्टि उस पर पडते ही लडका जीवित हो गया । लोगों ने कहा, ‘कमाल’ है । आगे शेख तकी कबीर के घर रहकर उनके शिष्य बन गए ।

१ इ. कब्र से लडकी जीवित होना

शेख तकी की लडकी मर गई । उसे कब्र में दफना दिया गया । उसने कबीर से उसे जीवित करने के लिए कहा । तब कबीर बोले, ‘‘शेख तकी की लडकी, उठ जाए’’; परंतु वह नहीं उठी । तदुपरांत वे बोले, ‘‘कबीर की लडकी उठ जाए ।’’ लडकी उठ गई । उसका नाम कमाली रखा ।

१ ई. कमाल और कमाली के परात्पर गुरु होना

कबीर ने बताया, २५ वर्षों से मैं योगसाधना के बल पर हिमालय में गया था । वहां दो भाई तपश्‍चर्या कर रहे थे । उन्होंने मुझसे ब्रह्मज्ञान की मांग की । मैंने उन्हें बताया, अभी समय है । अल्प आयु में ही दोनों की मृत्यु हो गई । प्रारब्धानुसार पुन: जन्म लेकर कमाल (नदी से बहता आया) और कमाली (कब्र से उठी) इस रूप में आई । मैं उनका पालकपिता ही नहीं, अपितु परात्पर गुरु भी हूं ।

– सद्गुरु (डॉ.) वसंत बाळाजी आठवले
संदर्भ : दैनिक सनातन प्रभात

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