वास्तु देवता को प्रसन्न कैसे करें ?

अधिकतर घरों में बाहर से आने के उपरांत बाहर के जूते सीधे घर में लेकर जाते हैं । उससे बाहर की धूल घर के अंदर जाती है और घर का रज-तम बढ जाता है । तो हमें क्या करना चाहिए, घर के जूते बाहर ही एक रैक में उतार कर ठीक से रखने चाहिए ।

घर में झाडू खडा नहीं रखना चाहिए । उसे लिटाकर और छुपा कर रखें । झाडू को कभी पैर भी न लगाएं । कहते हैं झाडू में लक्ष्मी का निवास होता है ।

आजकल बहुत से घरों में बर्तनों का झूठा रखने की आदत बन गई है । कारण यह कि घरों में सफाई करनेवाले आकर अगले दिन बर्तन धोते हैं । हमारे शास्त्रों में बताया है कि रात को बर्तनों को कभी भी झूठा नहीं छोडना चाहिए । पर व्यस्त दिनचर्या के चलते यदि हमारे लिए संभव न हो, तो कम से कम उन्हें एक बार पानी से निकाल कर रखें ।

घर में बर्तनों की आवाज भी कम होनी चाहिए ।

घर में मकडी के जाले तो कदापि नहीं लगे रहने चाहिए । इससे घर में नकारात्मक उर्जा का प्रवाह बढ जाता है ।

घर की प्रतिदिन सफाई करें ।

अधिकतर घरों में क्या देखा गया है कि लोगों को बहुत-सी वस्तुएं एकत्रित करके रखने की आदत होती है । उन्हें क्या लगता है यह कभी तो काम आएंगी । या कुछ वस्तुओं से इतना मोह होता है कि वह हमारे कभी काम नहीं आती, पर हम उन्हें संभाले रहते हैं । अनावश्यक कबाड हमारे घर में पडा रहता है । प्रत्येक व्यक्ति के घर में जितनी वस्तुएं होती हैं, उनमें से केवल ३०% ही काम की होती हैं । शेष ७०% ऐसी होती हैं जो हमारे कभी काम नहीं आती ।

प्रत्येक घर में पूजा घर होता है । यह पूजाघर ईशान कोण, उत्तर पूर्व दिशा में होना चाहिए । पूजा घर में कम से कम मूर्तियां होनी चाहिए । साथ ही प्रतिदिन आरती करनी चाहिए । संभव हो, तो कम से कम एक समय परिवार के सभी सदस्य मिलकर आरती करें ।

प्रत्येक हिन्दू घर में तुलसी का पौधा होता ही है । तुलसी के पौधे से भी वास्तु में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है । और वास्तु का चैतन्य बढता है । साथ ही घर के परिसर में और भी सात्त्विक पौधे लगा सकते हैं, जैसे गेंदे का, गुडहल, मोगरा इत्यादि । अनेक लोग आजकल कैकटस लगाते हैं । पर वास्तु में कंटीले और जहरीले पौधे कदापि न लगाएं ।

कभी-कभी हमने देखा होगा कि घर के दरवाजों अथवा खिडकियों को खोलते व बंद करते समय आवाज आने लगती है । इसलिए समय-समय पर उनमें तेल डालते रहिए ।

घर के खिडकी दरवाजे खुले रखने चाहिए । पर हमारे घर के शौचालय होते हैं उनके दरवाजे बंद रहने चाहिए ।

घर में अपनी सभी वस्तुएं व्यवस्थित रखें । जिन घरों में वस्तुएं इधर-उधर बिखरी पडी रहती हैं । ऐसे घरों के नकारात्मक स्पंदन बढ जाते हैं । अलमारी में अपने कपडे, किताबें इत्यादि व्यवस्थित रखें । जूते भी इधर-उधर मत फेंकिए, एक जगह पर अच्छे से व्यवस्थित रखें ।

घर में धूम्रपान और मद्यपान तो बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए । इससे बाहर की नकारात्मक शक्तियां आकर्षित होकर, हमारे घर की शांति भंग करती हैं ।

ऊंची आवाज में संगीत सुनते हैं । इसके स्थान पर धीमी आवाज में सात्त्विक संगीत अथवा भजन लगाएं ।

कुछ घरों में पुरूषों को बात-बात पर गाली देने की, अपशब्द बोलने की आदत होती है । उससे भी घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढता है ।

यदि घर में हमने इन छोटी-छोटी बातों का भी ध्यान रख लिया, तो हम बिना कोई बडा खर्चा किए ही वास्तुदेवता को प्रसन्न कर सकते हैं । परंतु यदि हम इन बातों का ध्यान नहीं रख पाते हैं तो आप अपनी वास्तु में कितने भी बदलाव करें, अधिक सफलता नहीं मिल पाती । इसलिए हम वास्तुदेवता की ही साष्टांग शरण जाएंगे और उनसे ही आर्तता से प्रार्थना करेंगे कि वे ही हमसे यह सब प्रयास करवा लें ।

वास्तुदोष दूर करने का एक और प्रभावी माध्यम है वास्तुशुद्धि करना ।
वास्तुशुद्धि कैसे करें, यह पढें https://www.sanatan.org/hindi/a/20077.html

 

वास्तु देवता को भाव कैसे अर्पण करें

हमें पता ही है कि देवता तो भाव के ही भूखे होते हैं । तो अब हम वही भाव वास्तु देवता को कैसे अर्पण करें । यह जान लेंगे ।

१. घर से बाहर जाते समय रखने योग्य भाव – दिन भर में जितने भी समय हम अपने घर में रहते हैं उस समय वास्तु के प्रति मन में भाव कैसे जागृत रहे, इस दृष्टि से हम प्रयत्न करेंगे । घर से बाहर जाते समय वास्तु देवता से कहेंगे कि अब मैं घर से बाहर जा रही हूं । तब आप ही इस वास्तु को संभालिए और इसकी रक्षा कीजिए । बाहर होते हुए भी आपका संरक्षण कवच मेरे चारों ओर निरंतर रहने दीजिए । वातावरण में जो अनिष्ट शक्तियों का प्रभाव है वह मुझ पर न हो, ऐसी प्रार्थना करके हम घर से बाहर जाएंगे ।

२. बाहर से घर लौटनेे पर मन में ऐसा भाव रखें – बाहर से घर आने पर वास्तुदेवता को हम प्रणाम करेंगे और कहेंगे, ‘‘अब तक मैं घर में नहीं थी, आपने ही घर को संभाला है । अब जब मैं घर पर हूं तब भी आप ही इस घर को संभाल रहे हैं । हे वास्तु देवता ! जब से इस वास्तु में हम रहने के लिए आए हैं, तब से आपने ही हमें संभाला है । इस कारण हम इस पृथ्वी पर सुरक्षित रह पा रहे हैं ।’’ इसके लिए वास्तु को हाथ जोडकर नमस्कार करेंगे और फिर ही घर में प्रवेश करेंगे ।

 

वास्तु देवता के प्रति भावजागृत करने हेतु प्रार्थनाएं

१. हे वास्तु देवता ! हम जिसे अपनी वास्तु समझते हैं जिस वास्तु को अपना नाम देते हैं इसके स्वामी तो वास्तव में आप हैं । हम तो केवल इस वास्तु के सेवक हैं, इसका भान हमारे मन में निरंतर रहने दें और आपकी ही छत्रछाया के कारण हम सुरक्षित जीवन जी पा रहे हैं । इसके लिए आपके प्रति कृतज्ञता का भाव हमारे मन में रहने दीजिए ।

२. प्रतिदिन सवेरे उठकर वास्तुदेवता को प्रार्थना कर सकते हैं कि पूरी रात आपकी छत्रछाया में मैं सुरक्षित और निश्‍चिंत होकर सो पाई । आपने हमारी रक्षा की । आज का यह दिन जो मुझे देखने मिला है, वह भी आपकी छत्रछाया में योगक्षेम के साथ बीतने दें, ऐसी आपके श्रीचरणों में प्रार्थना है ।

३. हे वास्तु देवता, इस वास्तु के अधिपति आप ही हैं । आप प्रसन्न रहेंगे तो इस वास्तु में अपनेआप ही सुख-समृद्धि, सौभाग्य और लक्ष्मी का आगमन संभव है । आप अपनी छत्रछाया में हमें निरंतर सुख और समृद्धि प्रदान करते रहें, ऐसी आपके श्रीचरणों में प्रार्थना है ।

४. वास्तु देवता हमें पता चला है कि वास्तु को जितना स्वच्छ व्यवस्थित रखते हैं, उतनी ही आपकी कृपा उस वास्तु में रहनेवाले जीवों पर पडती है । आप उतना ही प्रसन्न होते हैं । वास्तु की नकारात्मकता दूर होकर सकारात्मकता बढती है । हे वास्तु देवता ! आप हमें वह उत्साह दें जिससे आपके इस वास्तु की हम योग्य रीति से सेवा कर सकें ।

५. हे वास्तु देवता ! आप ही स्वास्थ्य के अधिपति हैं । आप इस वास्तु में रहनेवाले जीवों के पिता समान हैं । जिसप्रकार एक पिता अपने परिवार का योगक्षेम रखता है, उन्हें संभालता है ऐसे ही हे वास्तु देवता ! आपके पितृवत प्रेम की वर्षा निरंतर हम जीवों पर होते रहने दीजिए । हम आपके छोटे बच्चे हैं, आप ही आपकी इस वास्तु में हमें स्थान देकर हमारा संरक्षण कीजिए । हमें हर स्थिति में अपनी शरण में रखिए, ऐसी आपके श्रीचरणों में प्रार्थना है ।

 

वास्तु देवता के प्रति कृतज्ञता

वास्तुदेवता की जो हम पर कृपा है, उसके लिए मन में जितनी कृतज्ञता रखें उतनी कम ही है…..उनके चरणों में भावपूर्ण कृतज्ञता व्यक्त करेंगे । वास्तु देवता हम आपकी छत्रछाया में सुखपूर्वक रह पा रहे हैं । आप हमेशा हर आपदा से हमारी रक्षा करते हैं । वर्षा हो आंधी और तूफान हो, सूर्य की तपती गर्मी हो अथवा कड़ाके की ठंड हो… अथवा जीव-जंतु प्राणियों का भय हो……..परंतु आप हमें अपने गोद में सुरक्षित रखते हैं । हम आपकी छत्रछाया में सुखपूर्वक रह पा रहे हैं, इसके लिए हम आपके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं ।……..

1 thought on “वास्तु देवता को प्रसन्न कैसे करें ?”

Leave a Comment