रामनाथी (गोवा) – शास्त्र-धर्म प्रचार सभा, बंगाल के सचिव डॉ. शिवनारायण सेन ने उपस्थित हिन्दुत्वनिष्ठों को प्रतिपादित करते हुए कहा, वर्तमान में भारत में अपने धर्मशास्त्र की प्रतिदिन आलोचना की जा रही है । जानबूझकर हिन्दुआें को भ्रमित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। बौद्धिक स्तरपर इन आघातों का खंडन कर उनका वैचारिक प्रतिकार करना आवश्यक है । अपने वेद और शास्त्र स्वयं ईश्वर की वाणी हैं । अपने शास्त्र की प्रत्येक बात पूर्णत: सत्य है । शास्त्र में जो लिखा हुआ है, वह काले पत्थर पर खींची गई रेखा है । करोडों वर्षों से इसमें कोई परिवर्तन नहीं हुआ है । हमारा शास्त्र काल की कसौटी पर अचल रहा है । ऐसा होते हुए हमें हमारे ही ज्ञान का, शास्त्र का विस्मरण हो गया है । इसलिए विदेशी हमारा धन, ज्ञान और कीर्ति लूटकर ले जा रहे हैं । इसी ज्ञान के आधार पर स्वामित्त्व का दावा कर रहे हैं । ईश्वर की यह अमूल्य विरासत की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है । संसार की किसी भी समस्या का उत्तर हमारे धर्मशास्त्र में हैं । शास्त्र, गुरु और आत्मा स्वयं भगवान श्रीकृष्ण हैं । वे आपके हृदय में विराजमान हैं; परंतु माया के आवरण के कारण हम उन्हें अपने हृदय में देख नहीं पाते । उसके लिए अपना अहंकार नष्ट करना और उनकी शरण में जाना आवश्यक है ।