रामनाथी (गोवा) – पंचम अखिल भारतिय हिन्दु अधिवेशन के चौथे दिन के राष्ट्ररक्षा विषयपर संपन्न उद्बोधन सत्र में चेन्नई के श्री. जी. राधाकृष्णन् ने चेन्नई में आपातकाल के समय पीडित नागरिकों की की हुई सहायता के संदभ में उन के अनुभव विशद किए । इस आपातकाल में उन को प्राप्त ईश्वरी सामर्थ्य की प्रचीति के विषय में बोलते हुए उन्हों ने कहा, तमिलनाडू में आई हुई त्सुनामी, साथ ही राज्य में गतवर्ष आई प्रलयकारी बाढ इन प्राकृतिक आपदाआें में राज्य में सहस्रो लोग मारे गए, लाखों लोग विस्थापित हुए तथा कृषियोग्य भूमि की भी बहुत हानी हुई । उस समय में यातायात भी ठप्प हुआ था । विमान, रेल, साथ ही अन्य वाहन भी बंद थे । समाचारपत्र बंद थे । सभी स्थानोंपर कचरा एवं गंदगी का साम्राज्य फैला था तथा रोग भी फैले थे । इतनी हानी होकर भी कुछ कल्पनातीत घटनाआें का भी हमने अनुभव किया । बाढ एवं त्सुनामी के कारण सभी इमारतें एवं वास्तूआें के ध्वस्त होते समय समुद्रतटपर बसे मंदिर, साथ ही कन्याकुमारी का स्वामी विवेकानंदजी का स्मारक सुरक्षित रहा । ये मंदिर, साथ ही स्मारक भी सुरक्षित रहा, इसके अतिरिक्त इन मंदिरों के आसपास के क्षेत्रों में लोगों की मृत्यु होने का भी दिखाई नहीं पडा । यह केवल ईश्वर के सामर्थ्य की लीला है । हम भी इस बाढ से प्रभावित हुए थे; परंतु उस में भी हमने पीडित लोगोंतक जीवनावश्यक सामग्री पहुंचाना, सहायता राशि एकत्रित करने जैसे सहायताकार्य भी हम कर सके । केवल ईश्वर की कृपा से ही उस समय में हमें आवश्यकता पडनेपर तैरते जाते हुए भी सहायताकार्य करने की शक्ति प्राप्त हुई । श्रीकृष्णजी की कृपा से ही हम इस आध्यात्मिक शक्ति का अनुभव कर सकें ।
भाषण के समारोप के समय सनातन के साधक डॉ. वीरेंद्रसिंह तावडे को अन्यायपूर्वक बंदी बनाए जाने की निंदा करते हुए श्री. जी. राधाकृष्णन ने उनके (सभी हिन्दुत्वनिष्ठ) सनातन संस्था एवं साधकों के साथ होने के विषय में आश्वस्त किया । (ऐसे हिन्दुत्वनिष्ठ ही सनातन की वास्तविक शक्ति है ! – संपादक)