१. प्रथम किराए पर लाई गई यंत्रणा से बनाई जानेवाली ध्वनिचक्रिका (ऑडियो सीडी) की निर्मिति का कार्य अब भारी मात्रा में बढ गया है ।
२. उसका सूचक है सर्व सुविधाओं और अत्याधुनिक यंत्रणा से युक्त भव्य कलामंदिर ! उसमें प्रगत प्रकाशयंत्रणा और व्यावसायिक स्तर पर निर्मित २ स्टूडिओ, २ उत्पादन नियंत्रण कक्ष, ध्वनि रेकॉर्डिंग के लिए स्वतंत्र कक्ष और दृश्यश्रव्य चक्रिकाओं के संकलन और उस संदर्भ में अन्य सेवाओं के लिए ८ कक्ष समाविष्ट हैं । यह स्टूडिओ बनाते समय देश-विदेश के तज्ञों का समुपदेशन लिया गया था ।
३. अब तक मराठी भाषा के ३६, हिन्दी भाषा के ३८० से भी अधिक और तेलुगु व कन्नड भाषा से हिन्दुओं के त्योहारों की जानकारी देनेवाले विविध धर्मसत्संगों में दृश्यश्रव्य चक्रिका (वीडियो सीडी) बनाई गईं हैं । मराठी, हिन्दी, तेलुगू और कन्नड भाषाओं में इन धर्मसत्संगों का विविध १४ वाहिनियों से नियमित प्रसारण भी किया जा रहा है ।
४. देवी-देवताओं का नामजप योग्य प्रकार से कैसे करना चाहिए, आरतीसंग्रह और साधनाविषयक मार्गदर्शन आदि के संदर्भ में दिशादर्शन करनेवाली श्रव्यचक्रिकाएं भी वितरण के लिए उपलब्ध हैं ।
५. इनके साथ ही धर्म, अध्यात्म, मंदिर, संतसम्मान, साधनाविषयक मार्गदर्शन, आध्यात्मिक उपाय, धार्मिक विधि जैसे विषयों पर विपुल श्रव्यचक्रिकाएं (ऑडियो) आज सनातन संस्था के पास उपलब्ध हैं ।
६. ध्वनिचित्रीकरण की सेवा अर्थात संहितालेखन के प्राथमिक स्तर से प्रत्यक्ष चित्रीकरण, प्रस्तुतिकरण, संकलन एवं सर्व कुछ शुद्ध धर्मसेवा की प्रेरणा से अनोखा प्रस्तुतीकरण !
७. अत्यल्प साधनसामग्री से आरंभ हुए ध्वनिचित्रीकरण सेवा का प्रवास आज अत्याधुनिक स्टूडिओ का कारण है परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का मार्गदर्शन और हिन्दू धर्म के विषय में ज्ञान शीघ्र से शीघ्र जिज्ञासुओं तक पहुंचाने की लगन ! इसमें कोई शंका नहीं !
दृश्य-श्रव्यचक्रिकाओं के माध्यम से घर-घर धर्मज्ञान का दीप जलाने का समष्टि ध्येय के साथ-साथ अंतःकरण भक्तिभाव से प्रकाशमय करना, यह ध्वनिचित्रीकरण सेवा के साधकों का व्यष्टि ध्येय है !