गोपियां रमीं परमानंद में, श्रीहरी से भावानुबंध अनुभव करतीं प्रति क्षण ।
सिखाई सबको मधुराभक्ति, पदस्पर्श से उनकी धन्य हुई यह भूमि ।।
भगवान श्रीकृष्ण के समान सखा, गुरु, मां-बाप कोई नहीं, यह जो जानता है वही खरा भक्त है । भगवान श्रीकृष्ण की अनन्य भाव से शरण जानेवाला भक्त संसार सागर से मुक्त हो जाता है । श्रीकृष्ण के प्रति उत्कट भाव बढाने के लिए उनके दिव्य जीवन से संबंधित गोकुल, वृंदावन एवं द्वारका, इन दैवी क्षेत्रों के छायाचित्र यहां दिए हैं । इन छायाचित्रात्मक कृतज्ञता के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण के अस्तित्व का अनुभव करने का प्रयत्न करते हैं ।
जगद्गुरु श्रीकृष्ण अर्थात साक्षात पूर्णावतार ।
भक्ति, ज्ञान एवं कर्म का परिपूर्ण भंडार ॥
गोपाल की बाललीला का अनुभव किया हुआ गोकुल ।
भगवद्भक्ति से सरोबार तथा कृष्णमय हुआ तीर्थक्षेत्र : वृंदावन ।
मुरलीधर बजाएं मधुर बांसुरी । बन्सीवट में आएं गोप-गोपियों सहित पक्षी-प्राणी ।
रासलीला का मध्य स्थान ।