१.मूर्ति प्रत्यक्ष हमसे बात कर रही है, ऐसा प्रतीत होता है ।
शेवगाव का दत्त मंदिर योगतज्ञ दादाजी वैशंपायन की कठिन तपस्या की देन है । मंंदिर का निर्माण कार्य दादाजी के संकल्प के अनुसार किया गया है । योगतज्ञ दादाजी ने स्वयं जयपुर से गर्भगृह की प्रसन्न, सजीव, मासूम, वात्सल्यमयी एवं तेजस्वी दत्त मूर्ति बनवाकर लाई है । २४.५.२००६ को उनके करकमलों से मंगलमय वातावरण में दत्तमूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा की गई । दादाजी ने स्वयं दत्तमूर्ति में प्राण प्रोक्षण किए हैं, इस कारण मूर्ति प्रत्यक्ष हमसे बात कर रही है, ऐसा प्रतीत होता है ।
२. दत्तमंदिर की पूजाविधि
मंदिर में पूर्ण पवित्रता का पालन किया जाता है । यहां मुख्य मूर्ति को स्पर्श करने पर प्रतिबंध है । श्रद्धालु दादाजी की दी संगमरमर की दूसरी मूर्ति पर अभिषेक करते हैं । प्रतिदिन प्रात: और संध्या समय पूजा तथा आरती होती है । दोपहर दत्तात्रेय भगवान को नैवेद्य निवेदित किया जाता है । प्रति गुरुवार संध्या समय महाआरती होती है । सभी भक्तगणों को प्रसाद और दादाजी की ओर से लक्ष्मीप्रसाद दिया जाता है । पूर्ण श्रद्धा और भक्ति से दर्शन के लिए आनेवाले भक्तों की मनोकामना निश्चित पूर्ण होती है, ऐसा अनेक लोगों का अनुभव है । इस अहाते में अनेक लोगों को नागराज के दर्शन होते हैं ।
योगतज्ञ दादाजी को अष्टसिद्धि में से ‘लघिमा’ सिद्धि प्राप्त होने के कारण आरती के समय वे सूक्ष्मरूप में वहां उपस्थित रहते हैं, ऐसा अनेक साधकों का अनुभव है ।
३. दत्तमूर्ति की विशेषता
मूर्ति के रंग अपनेआप बदलते हैं । मूर्ति का मूल रंग सफेद है । कभी कभी रंग पूर्ण गुलाबी हो जाता है, तो कभी हलका नीला ! इस वर्ष बुद्धपूर्णिमा को (योगतज्ञ दादाजी का जन्मदिन) मूर्ति का रंग गुलाबी हुआ था ।
४. योगतज्ञ दादाजी वैशंपायनजी ने साधकों को
गुरुबारस के उपलक्ष्य में मंदिर में हवन करने के लिए कहा
४ अ. ४० साधकों ने हवन किया
१६.१०.२०१७ को गुरुबारस के दिन दादाजी के दिए मंत्रजप के अनुसार ४० साधकों ने संध्या समय हवन किया । महाप्रसाद के पश्चात हवन की समाप्ति हुई । सभी साधक रात्रि मंदिर बंद करने के पश्चात घर गए ।
४ आ. दूसरे दिन दत्त मंदिर के गर्भगृह का दरवाजा
खोलने पर ‘मूर्ति पर भस्म का अभिषेक हुआ हो’ ऐसा दिखा ।
दूसरे दिन प्रात:काल ५.४५ को श्री. कुलकर्णी (साधक) पूजा करने के लिए मंदिर में गए । दत्त मंदिर के गर्भगृह का दरवाजा खोलने पर उन्हें मूर्ति पर भस्म आया दिखा । भस्म इतना अधिक था मानो भस्म का अभिषेक हुआ हो । बडी मूर्ति पर भी कुछ प्रमाण में भस्म आया था । ‘मूर्ति पर भस्म आया है’ यह समझ में आते ही साधकों को अत्यंत आनंद हुआ । उन्होंनेे श्री दत्तगुरु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की । (इसके पहले कोजागिरी पूर्णिमा को भी मूर्ति पर भस्म आया था ।)
४ इ. दत्तगुरु का आशीर्वाद
योगतज्ञ दादाजी को बताने पर उन्होंने कहा यह शुभ संकेत है । दत्तगुरु ने विभूति के माध्यम से प्रसाद दिया है ।
५. योगतज्ञ दादाजी वैशंपायनजी का बताया भविष्य कथन सत्य हुआ
योगतज्ञ दादाजी वर्ष १९९८ में दुबई में थे, उस समय उन्होंने बताया था कि शेवगाव में २४.५.२००६ को दत्तमूर्ति की स्थापना होगी, उस समय उनकी और मंदिर के वर्तमान न्यासी श्री. अर्जुनराव फडके का परिचय भी नहीं था !
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