१९.३.२०१९ को मयन महर्षि ने पू. (डॉ.) उलगनाथनजी के माध्यम से बताए अनुसार २२.३.२०१९ को सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी ने गुजरात के गणपतिपुरा के सिद्धिविनायक मंदिर में जाकर दर्शन किया । तदनंतर पू. (डॉ.) उलगनाथन्जी ने कहा, ‘‘सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी गुजरात के श्रीकृष्ण से संबंधित क्षेत्र, सारंगपुर के कष्टभंजन हनुमान मंदिर और द्वारका जा कर दर्शन करें ।’’ महर्षि के बताए अनुसार सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी ने २२ से २४.३.२०१९, की समयावधि में गुजरात राज्य की यात्रा की । २३.३.२०१९ के क्षणचित्र यहां दे रहा हूं ।
१. श्रीकृष्णनगरी द्वारका !
१ अ. सागरतट पर बसाई गई द्वारकानगरी !
श्रीकृष्ण ने अवतार-समाप्ति के पहले द्वारका समुद्र में डुबो दी । दुर्वास ॠषि के शाप के कारण यदुकुल का नाश हुआ । समुद्र में विलीन द्वारका के समीप के भूभाग को तदनंतर द्वारका का स्थान प्राप्त हुआ ।
१ आ. शिल्पशास्त्रकार विश्वकर्मा ने बनाया ‘द्वारकाधीश’ मंदिर !
श्रीकृष्ण के परपोते वज्रनाभ ने श्रीकृष्ण का एक मंदिर बनाना निश्चित किया । इसके लिए उन्होंने शिल्पशास्त्रकार विश्वकर्मा को आवाहन किया । विश्वकर्मा ने इस मंदिर की निर्मिति की । यह मंदिर ७ तल्ले का है । उस पर सारा शिल्पकार्य दैवी है । ‘स्वर्गलोक में इस मंदिर की निर्मिति कर विश्वकर्मा ने मंदिर को किसी उल्कापात जैसे एक रात में द्वारका लाया’, ऐसा कहा जाता है ।
१ इ. मंदिर का धर्मध्वज और मंदिर का मोक्षद्वार’ तथा स्वर्गद्वार’ !
श्रीकृष्ण ने द्वारकानगरी बसाई; इसलिए यहां के मंदिर की श्रीकृष्ण मूर्ति को ‘द्वारकाधीश’ कहते हैं । मंदिर के मुख्य शिखर पर एक बडा धर्मध्वज है । यह धर्मध्वज दिन में ५ बार परिवर्तित किया जाता है । मंदिर के उत्तरी द्वार को ‘मोक्षद्वार’ और दक्षिण द्वार को ‘स्वर्गद्वार’ कहते हैं ।
२. द्वारकापीठ के चंद्रमौलीश्वर शिवलिंग का दर्शन करना
२३.३.२०१९ को सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी और सह-साधकों ने द्वारकाधीश मंदिर में जा कर श्रीकृष्ण का दर्शन किया । इस मंदिर से सटा आद्य शंकराचार्यजी द्वारा स्थापित द्वारकापीठ है । यहां शंकराचार्यजी के मठ में आद्य शंकराचार्यजी का दिया नीलमणि के चंद्रमौलीश्वर शिवलिंग का दर्शन किया ।
३. ‘बेट (द्वीप) द्वारका’ में जाने का नियोजन होना
उस समय मंदिर के एक पुजारी श्री. महेश्वरजी ने अगले दिन द्वारका से ३० कि.मी. की दूरी पर स्थित ‘बेट (द्वीप) द्वारका’ जाने को कहा । श्रीकृष्ण का स्मरण करते हुए उस दिन हमने द्वारका में निवास किया ।’