दलिदा मलिगावा नामक बौद्ध मंदिर
१. कैन्डी शहर, यह बौद्ध धर्मियों की दृष्टि से श्रीलंका का सबसे महत्त्वपूर्ण स्थान
जनवरी २०१८ में हम सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळ के साथ श्रीलंका के दौरे पर थे । तब हम श्रीलंका के कैन्डी शहर में दलिदा मलिगावा नामक बौद्ध मंदिर में गए थे । कैन्डी शहर बौद्ध धर्म की दृष्टि से श्रीलंका में सबसे महत्त्वपूर्ण स्थान है, कारण ऐसी मान्यता है कि यहां बुद्ध आकर गए थे और उनके दांत इस शहर के ‘दलिदा मलिगावा’ बौद्ध मंदिर में है । दलिदा अर्थात दांत और मलिगावा अर्थात मंदिर ।
२. दलिदा मलिगावा इस बौद्ध मंदिर की शैली, पत्थर पर उत्कीर्ण
शिल्प हिन्दू मंदिर की शैली समान होने से यह मूलत: मंदिर है, ऐसा प्रतीत होना
हम सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळ के साथ ‘दलिदा मलिगावा’ मंदिर देखने गए । कहते हैं यह बौद्ध मंदिर है; परंतु उस मंदिर की शैली, अंदर के खंबे, पत्थर पर कोरा गए शिल्प इत्यादि देखने पर ध्यान में आता है कि यह हिन्दुओं का मंदिर है । इस मंदिर के अंदर चित्र बने हैं । उस मंदिर के आसपास के चित्र देखने पर लगता है कि वहां पहले हिन्दुओं के देवी-देवताओं के शिल्प थे । ऐसा प्रतीत होता है कि बौद्धों ने आक्रमण कर, मंदिर अपने नियंत्रण में ले लिया होगा और फिर झूठा प्रचार किया होगा कि यह बुद्ध का स्थान है ।
३. बौद्ध मंदिर के प्रांगण में श्रीविष्णु के मंदिर के विषय में लोगों को ज्ञात न होना
बौद्ध मंदिर के प्रांगण में श्रीविष्णु का मंदिर है । उस मंदिर में जाने की किसी को अनुमति नहीं । लोगों को उस मंदिर के विषय में कुछ पता नहीं । उस मंदिर के गर्भगृह के सामने पर्दा लगा है । मंदिर खुला न होने से कोई भी यह नहीं देख सकता कि उस मंदिर में क्या है ?
४. बौद्ध धर्मगुरुओं द्वारा इतिहास का विकृतिकरण
बौद्ध जिस-जिस स्थान पर गए, वहां हिन्दू धर्मस्थलों पर भारी मात्रा में आक्रमण कर, ‘‘ये हिन्दुओं के नहीं, अपितु बौद्धों के ही स्थान हैं’’, ऐसा कहकर बौद्ध धर्मगुरुओं द्वारा इतिहास का विकृतिकरण किया स्पष्ट होता है ।
५. बौद्ध मंदिर के प्रांगण में संग्रहालय !
कैन्डी शहर के इस बौद्ध मंदिर के पिछले भाग में एक संग्रहालय है । १७ बौद्ध देशों ने इस संग्रहालय के लिए अपने-अपने देशों से विविध विशेषतापूर्ण वस्तुएं और प्रतिकृतियां (रेप्लिकाज) दी हैं । इस संग्रहालय में भारत का सबसे बडा दालान है ।
६. अन्य देशों की आक्रमकता और भारत की सहिष्णुता !
पाकिस्तान और अफगानिस्तान में बौद्ध स्थानों का वहां के मुसलमानों ने विध्वंस किया है । भारत ही एकमेव ऐसा देश है जहां की सरकार बौद्ध स्थानों का जतन करने का प्रयत्न करती है और बौद्धों का बहुत सम्मान करती है । इतना ही नहीं, भारत सरकार ने बौद्ध धर्मियों को भारत के बौद्धस्थान देखने के लिए एक स्वतंत्र आगगाडी की व्यवस्था भी की है ।
बौद्धों की हिन्दू मंदिरों के संदर्भ की मानसिकता !
जब हम श्रीविष्णु के मंदिर में जा रहे थे तब मार्गदर्शक (गाईड) ने हमसे कहा, बुद्ध मंदिर में आप चप्पल नहीं डाल सकते; परंतु विष्णु मंदिर में चप्पलें पहन सकते हैं । – श्री. विनायक शानभाग
श्री. विनायक शानभाग, सनातन आश्रम, रामनाथी, गोवा.
भारत सरकार द्वारा करोडों रुपयों का व्यय कर बौद्ध मंदिर के दालान में रखने के लिए बौद्ध धर्म के लिए विशेष प्रतिकृति दी है । इसके विपरीत अपने देश में हिन्दू धर्म के लिए सरकार ऐसा करते हुए कभी दिखाई नहीं देती । ( भारतीयों का दृष्टिकोण है कि बौद्ध पंथ, यह एक उपासना पद्धति है और हिन्दू धर्म का ही एक अंग है । जबकि श्रीलंका में बौद्ध पंथीय हिन्दू धर्म पर ही आक्रमण कर रहे हैं । इस संदर्भ में समाज को वास्तविकता ज्ञात हो, इस उद्देश्य से यह लेख प्रकाशित कर रहे हैं । इस लेख में किया वर्णन भारतीय बौद्ध पंथीय से संबंधित नहीं है ! – संपादक)