- इस पर तथाकथित आधुनिकतावदियों और बुद्धिजीवियों को क्या कहना है ?
- हिन्दुओं के धर्मशास्त्र में बताया है कि ‘संगीत द्वारा भी उपचार हो सकते हैं ।’ ऐसे में उन्हेें ढकोसला कहनेवाले अथवा उसकी आलोचना करनेवाले, क्या अब तो संगीत के उपचार मान्य करेंगे ? ब्रिटिश विद्यापीठ के इस संशोधन से हिन्दुओं के धर्मशास्त्रों का महत्त्व पुन: एक बार प्रमाणित होता है !
लंडन – ब्रिटन के ‘एंग्लिया रस्किन युनिवर्सिटी’ द्वारा किए शोध के अनुसार स्ट्रोक (आघात) हुए रोगी तथा शारीरिक और मानसिक रोगों पर संगीत उपचारपद्धति (म्युजिक थेरपी) उपयुक्त हो सकती है । साथ ही वेदना घटाने और किसी दुर्धर व्याधि से ग्रस्त होने पर मन की स्थिति अच्छी रहने अथवा एकाग्रता बढने के लिए संगीत-उपचारों का उत्तम उपयोग हो सकता है ।
१. इस अध्ययन के लिए संशोधकों ने १७७ रोगी चुने थे । ये रोगी २ वर्ष की समयावधि में ६७५ संगीतउपचारसत्रों में सहभागी हुए थे । इन सत्रों में ड्रम, गिटार के साथ अनेक वाद्यों का सामावेश था ।
२. इन सत्रों मेें फिजिओथेरपी, व्यावसायिक उपचारपद्धति (ऑक्युपेशनल थेरपी), वाचा उपचारपद्धति (स्पीच थेरपी) और मानसशास्त्रचिकित्सा (क्लीनिकल सायकोलॉजी) क्षेत्रों के तज्ञों की सहायता ली गई ।
३. संशोधन से स्पष्ट हुआ है कि ‘रोगी की मानसिक स्थिति में सुधार के साथ उनकी उदासीनता भी घटी और उत्साह बढा है ।’ संशोधकों का कहना है कि संगीतउपचारपद्धति किसी भी रोग पर उपयुक्त हो सकती है ।