१. धागे
‘मदार के पौधों की छाल से तंतू निकाल कर धागा बनाते हैं । पौधे काटकर उन्हें १ – २ बार धूप दिखाएं । ऐसा करने से ऊपर की हरी छाल, उसे छीलने पर सहजता से निकल आती है । उस छाल को स्वच्छ धो लें । ऐसा करने से वह सफेद हो जाती है । तदुपरांत उसके छोटे-छोटे धागे अलग करें । यही इसका सूत है । इस सूत से बनी डोर पानी में शीघ्र सडती नहीं । इसलिए मछुआरे जाल के लिए इसका ही उपयोग करते हैं ।
२. कागद
मदार की छाल के अंदर का भाग कागद बनाने के उपयोग में आता है ।
३. कपास
मदार के वृक्ष में आनेवाले फल से रेशम समान कोमल रुई मिलती है । कहते हैं कि ‘मदार की कपास सावरी के (एक प्रकार वृक्ष) कपास से भी ठंडी होती है ।’
४. रंग
मदार के वृक्ष की चीक रंगवाने के लिए उपयोग करते हैं ।
५. गोंद
मदार की चीक उबालकर गाढा करने से गोंद समान एक चिपचिपा पदार्थ बनता है । इस चीक का उपयोग रबर बनाने के लिए कर सकते हैं ।
६. आतिषबाजी का मसाला (ज्वलनशील पदार्थ)
मदार के पौधे की लकडी का कोयला हलका होने से आतिशबाजी के लिए मसाला बनाने के उपयोग में आता है ।
७. खाद
मदार के पत्तों और पानी से बनी खाद दीमक नष्ट करने के काम आती है ।
८. कुछ औषधीय उपयोग
अ. वेदना : मदार के पत्ते पर तेल, घी अथवा एरंडेल लगाकर (वेदनावाले भाग पर) सेंक दें ।
आ. कान दर्द करना : मदार के पत्तों के रस की १ बूंद कान में डालें ।’