आध्यात्मिक उपाय आपातकाल की संजीवनी है, अत: सर्व उपाय गंभीरता से करें !
भावी आपातकाल अत्यंत समीप आ गया है । ऐसा होते हुए भी ध्यान में आया है कि प्रसार तथा आश्रम के अनेक साधक आध्यात्मिक उपचार पूर्ण नहीं करते । उपचारों के संदर्भ में साधकों से होनेवाली चूकें, उपचार न करने से साधकों के बढनेवाले कष्ट तथा उपचारों का अत्यधिक महत्त्व आदि संबंधी जानकारी आगे दे रहे हैं ।
१. साधकों में उपचारों संबंधी
गंभीरता न होने से उनसे होनेवाली चूकें
अ. प्रतिदिन कुछ घंटे बैठकर नामजप करने के लिए बताए जाने पर भी वह न करना
आ. उपचारों का समय अनावश्यक बातों में व्यय करना और इससे साधना का समय भी व्यर्थ होना
इ. हमें आध्यात्मिक कष्ट हो रहे हैं, यह ध्यान में आने पर भी उस पर तुरंत आध्यात्मिक उपचार न करना
ई. आध्यात्मिक कारणों से होनेवाले कष्ट के कारण मन में नकारात्मक विचार आने पर अधिकाधिक उपचार न कर, बिस्तर पर लेटे रहना
उ. सभी के लिए बताए उपचार नियमितरूप से न करना
ऊ. रात में सोते समय बिछौने के चारों ओर देवताआें की नामजपपट्टियों का मंडल न बनाना
ए. प्रतिदिन अगरबत्ती, इत्र, कपूर आदि के उपचार न करना
ऐ. दैनिक सनातन प्रभात में अमावस्या और पूर्णिमा को आध्यात्मिक उपचार बढाने संबंधी सूचना प्रकाशित होते हुए भी वैसा न करना
२. उपचारों की उपेक्षा करने से होनेवाले कष्ट
सर्व आध्यात्मिक उपचार नियमितरूप से न करने से अनेक साधकों को सेवा करते समय कुछ भी न सूझना, थकावट होना, मन और बुद्धि पर आवरण आना, निराशायुक्त तथा नकारात्मक विचार आना
आदि कष्ट होते हैं ।
३. साधको, प.पू. गुरुदेव द्वारा बताए सर्व उपचार, अर्थात
इस घोर कलियुग की संजीवनी ही है, यह ध्यान में रखें !
वर्तमान की बिगडी समाजव्यवस्था के कारण सर्वत्र ही रज-तम की मात्रा प्रतिदिन बढ रही है । इसके परिणामस्वरूप साधनारत रहना, असंभव-सा हो गया है । ऐसा होते हुए भी केवल प.पू. गुरुदेवजी (परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी) की कृपा से ही सहस्रों (हजारों) साधक गुरुकृपायोगानुसार साधना कर स्वयं की आध्यात्मिक उन्नति कर आगे बढ रहे हैं ।
साधकों की साधना खंडित हो, इसलिए अनिष्ट शक्तियां हर प्रकारसे प्रयत्न कर रही हैं । इसलिए साधकों की रक्षा होने हेतु प.पू. गुरुदेव समय-समय पर सनातन प्रभात नियतकालिकों के माध्यम से विविध आध्यात्मिक उपचार बताते हैं । सत्य तो यह है कि ये केवल उपचार नहीं, अपितु वर्तमानकाल की संजीवनी है । अतः साधकों को प.पू. गुरुदेवजी द्वारा बताए गए सर्व उपचार नियमितरूप से और मनःपूर्वक कर, इस आपातकाल का सामना करने के लिए सिद्ध होना चाहिए ।