कोरोना के नाम पर कुछ नास्तिकतावादियों ने सामाजिक प्रसारमाध्यमों में हिन्दू धर्म की विद्वेषमूलक आलोचना से संबंधित संदेश प्रसारित किया है । हम यहां हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे द्वारा सामाजिक प्रसारमाध्यमों को दिया इसका प्रतिवाद दे रहे हैं, जिससे प्रत्येक हिन्दू को नास्तिकतावादियों की इस विद्वेषपूर्ण आलोचना का वैचारिक प्रतिवाद करना संभव होगा ।
नास्तिकतावादियों द्वारा फैलाया गया द्वेषमूलक संदेश !
‘यह क्या चल रहा है…? देखो, कोरोना से मनुष्य डर गया…’
१. उठते-बैठते श्रद्धा के नाम पर मंदिर, मस्जिद, चर्च आदि में जानेवाला; परंतु अंदर से भयग्रस्त मनुष्य आज ऐसे कैसे असहाय हो गया है ?
२. ३३ करोड देवता साथ होते हुए भी शिर्डी, तिरुपति, वाराणसी, सब सुनसान बन गए ।
३. इतने बडे शैतान को मिटानेवाले प्रेषितों का मक्का-मदीना खाली हो गया ।
४. अवतारी येसुबाबा, रानबाबा, मरीमां के होते हुए भी देवालय खाली किए गए ।
५. कदाचित नहीं यह विश्वास पत्थर के भगवान के प्रति; इसी कारण मनुष्य विज्ञान के चिकित्सालय में जाकर डॉक्टरों को देखकर आश्वस्त हो रहा है ।
६. किस काम के हैं ये पंडित-पुजारी ? कहां गए होम-हवनवाले, कहां गए सत्यनारायण पूजावाले, किस काम के मुल्ला-मौलवी और पादरी ?
७. प्रकृति जब मनुष्य-निर्मित पाखंड नहीं कर सकती, तब वह कोरोना जैसे सूक्ष्म जीव की उत्पत्ति कर हमें पुनः धरातल पर लाती है और तब सभी को स्मरण होता है डॉक्टर, विज्ञान और चिकित्सकीय शास्त्र का…!’
श्री. रमेश शिंदे द्वारा किया गया मुंहतोड प्रतिवाद !
‘कोरोना के कारण मंदिर बंद रखने के लिए कहे जाने से नास्तिकवादियों को खुली छूट मिल गई है । उन्होंने तुरंत ही धर्म के बेकार होने का, साथ ही विज्ञान की महिमा से भरे संदेश भेजना आरंभ कर दिया है; परंतु क्या उन्होंने इसका का वास्तविक कारण समझा है ?
१. क्या आज चिकित्सकीय शास्त्र के पास भी कोरोना की समस्या का उत्तर है ? कुछ भी नहीं है । इस पर औषधि ही उपलब्ध नहीं है; इसीलिए १० सहस्र से भी अधिक लोग इसकी बलि चढ गए हैं । इसके लिए विज्ञान की असफलता ही कारणभूत है न !
२. आज कोरोना के संदर्भ में जो कुछ सावधानियां बरतने के लिए कहा जा रहा है, उसे हिन्दू धर्म पहले से ही बता रहा था; किंतु तब पाश्चात्य पद्धति की बहती हवा के प्रभाव में आचरण-पद्धति को ‘आधुनिकता’ बताया जा रहा था ।
३. कोरोना को किसने बनाया ? निश्चित रूप से धर्म ने तो नहीं बनाया । आपके विज्ञान के आतंकी उपयोग के विचारों से ही कोरोना की उत्पत्ति होने की बात स्पष्ट हुई है ।
४. कोरोना के कारण क्या केवल मंदिर ही बंद हुए हैं ? नहीं ! विज्ञान द्वारा निर्मित विमान, रेल, पर्यटनस्थल, मॉल, विद्यालय, सरकारी कार्यालय आदि सभी बंद हैं । तो इसके लिए दोषी कौन ? भगवान ?
५. वैसे भी मंदिरों को बंद रखने के लिए सरकार ने कहा है । क्या कहीं लोगों ने डरकर मंदिर जाना बंद किया था, नहीं !
६. भौतिक रूप से विकसित विश्व की समझ में अब यह बात आ रही है, ‘हिन्दू धर्म के अनुसार आचरण करने से संक्रमण नहीं होता । जिन्होंने भारत पर १५० वर्ष राज्य कर यहां की हिन्दू संस्कृति को मिटाने का प्रयास किया, ऐसे अंग्रेजों के युवराज चार्ल्सने भी अब ‘नमस्कार’ करना आरंभ कर दिया है । तो इससे धर्म ही श्रेष्ठ प्रमाणित हुआ ना !
७. जिन देशों ने भौतिक विकास के शिखर प्राप्त किए हैं, वो देश अभी तक कोरोना का टीका अथवा औषधि का शोध नहीं कर पाए हैं; परंतु धर्मशास्त्रों में से एक ‘चरक संहिता’ समाज को सहस्रों वर्ष पूर्व ऐसे संक्रामक रोगों की चिकित्साएं बताकर रखती है, जो आज भी लागू होती हैं, तो विज्ञान श्रेष्ठ अथवा धर्म ?
८. विश्व में सर्वाधिक जनसंख्यावाले और विज्ञान में विकसित चीन में लाखों लोग कोरोना से संक्रमित हुए हैं, तो दूसरी ओर विश्व में दूसरे क्रम की जनसंख्यावाले भारत में और भौतिक विकास में चीन की अपेक्षा कोसों दूर भारत में अभी तक कोरोना से संक्रमित लोगों की संख्या २०० लोगों तक ही सीमित है, यह विज्ञान के कारण है अथवा यहां किए जानेवाले धर्माचरण के कारण, यहां की आध्यात्मिकता के कारण ? संतों की सात्त्विक भूमि के कारण अथवा अग्निहोत्र और यज्ञ-यागादि कर्मकांडों के कारण ?’