श्रीक्षेत्र राक्षसभुवन के पांचालेश्‍वर मंदिर का इतिहास एवं महिमा

महाराष्ट्र के बीड जनपद के गेवराई तहसील में स्थित श्रीक्षेत्र राक्षसभुवन में गोदावरी में श्री पांचालेश्‍वर मंदिर है । श्री नृसिंह सरस्वतीजी ने गुरुचरित्र में इस स्थल का उल्लेख किया है । इस क्षेत्र की महिमा ऐसी है कि ‘यहां श्री दत्तगुरु प्रतिदिन दोपहर भोजन ग्रहण करने सूक्ष्म से आते हैं ।’ यहां पर चक्रधर स्वामीजी ने कुछ समयतक तपश्‍चर्या की थी, इसलिए यह महानुभाव पंथ का भी पूजनीय स्थल है ।

 

१. पांचालेश्‍वर, दत्तात्रेय के भोजन का स्थान

दत्तात्रेय का भोजन स्थान

मैं यहां का विश्‍वस्त हूं । मैं यहां बचपन से सेवा कर रहा हूं । यह दत्तात्रेय का भोजन स्थान है । भगवान दत्तात्रेय, काशी में स्नान करते हैं, महाराष्ट्र के कोल्हापुर में भिक्षा मांगते हैं और पांचालेश्‍वर में भोजन करते हैं ।

 

२. पांचाल नामक राजा के नाम से विख्यात है ग्राम ‘श्रीक्षेत्र पांचालेश्‍वर’

पांचालराजा एवं आत्मऋषि की विनती पर भगवान दत्तात्रेय प्रतिदिन दोपहर यहां १२ बजे भोजन के लिए आते हैं । दत्तात्रेय ने पांचालराजा और आत्मऋषि को वरदान दिया है कि ‘जबतक चंद्र एवं सूर्य हैं, तब तक यहां पर आकर मैं भोजन करूंगा ।’ पांचालराजा के नाम से इस गांव का नाम श्रीक्षेत्र पांचालेश्‍वर हुआ । आत्मऋषि के नाम से इस स्थान को ‘आत्मतीर्थ’ संबोधित किया जाता है ।

 

३. पांचालेश्‍वर में दत्तात्रेय, गोविंदप्रभु एवं चक्रधरस्वामीजी की लीलाएं

गोविंदप्रभु महाराज पंचलिंगी से यहां संन्यास लेकर आएं । इसीप्रकार चक्रधरस्वामीजी ने यहां पर भगवान दत्तात्रय के दर्शन किए थे । पांचालेश्‍वर में दत्तात्रेय, गोविंदप्रभु एवं चक्रधरस्वामीजी ने अपनी लीलाएं की थीं ।

 

४. आध्यात्मिक महत्त्व

भगवान दत्तात्रेय की कृपा से भूतबाधा, करनी (जादूटोना-टटका) तथा मनोवैज्ञानिक व्याधि से पीडित व्यक्ति यदि यहां आकर एकनिष्ठा से सेवा करेगा, तो वह १ महीने में ठीक हो जाता है । दूर-दूर से आकर लोग यहां सेवा करते हैं और फल पाते हैं ।

 

५. उत्सव

यहां चैत्र कृष्ण सप्तमी को मेला होता है । उनकी पालकी शोभायात्रा के साथ निकलती है । धार्मिक कार्यक्रम होते हैं । यहां दत्तजयंती, श्रीकृष्ण जयंती तथा सर्वज्ञ चक्रधरप्रभु जयंती के उत्सव मनाए जाते हैं ।

दत्तजयंती के ७ दिन पूर्व से ही उत्सव का आरंभ हो जाता है । चतुर्दशी को भगवान दत्तात्रेय का जन्म होता है । पूर्णिमा पर मेला लगता है और सप्ताह संपन्न होता है । मेरा अब तक का अनुभव है कि महाराज की कृपा से अनेक मनोरोगी ठीक हो जाते हैं ।’

 

६. दत्तगुरु का वामकुक्षी लेने का स्थान

श्री पांचालेश्‍वर मंदिर की दाईं ओर, अर्थात अपनी बाईं ओर श्री दत्तगुरु का वामकुक्षी करने का, अर्थात दोपहर के भोजन के उपरांत बाईं करवट पर विश्राम करने का स्थान है । यहां सुंदर मंदिर बनाया गया है । मंदिर के चारों ओर सुंदर वृक्ष हैं । मंदिर के चारों ओर दीवारें हैं । मंदिर के सामने भव्य प्रवेशद्वार है । वहां नगारखाना (नक्करखाना) बनाया हुआ है ।

 

७. अनुभूति

चिकित्सकीय उपचारों से ठीक न होनेवाली बच्चे की व्याधि श्रीक्षेत्र पांचालेश्‍वर में आनेपर ठीक होना

दत्तप्रभु के चमत्कार बताने जाएं, तो अल्प ही होंगे । मैं मेरा अपना ही अनुभव बताता हूं । मैं कुछ काम के निमित्त संभाजीनगर गया था; क्योंकि मेरे पिताजी वहां सेवा करते थे । मेरा इकलौता पुत्र व्याधिग्रस्त था । चिकित्सकीय उपचारों का कोई परिणाम नहीं हो रहा था । किसी अनुभवी व्यक्ति ने मुझे कहा, ‘‘आप श्रीक्षेत्र पांचालेश्‍वर में चले जाइए ।’’ तद्नुसार मैं यहां आया और बच्चे में संपूर्ण परिवर्तन हुआ । मैं और मेरा परिवार अब आनंद में है ।’’

श्री. बाबासाहेब गुलाबराव कोठी, सचिव, श्री पांचालेश्‍वर मंदिर ट्रस्ट, राक्षसभुवन.

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