वर्तमान समय में साधना के अभाव में समाज की सात्त्विकता अल्प हो जाने से सर्वत्र भ्रष्टाचार, हत्या, दंगे आदि परिसीमा तक बढ गए हैं । समाज की सात्त्विकता बढाने के लिए आज सहस्रों साधक संस्था के मार्गदर्शन में तन, मन, धन का त्याग कर समाज में अध्यात्मशास्त्र का प्रसार कर रहे हैं ।
अ. संस्था के आध्यात्मिक उपक्रम और अध्यात्मप्रसार के माध्यम
यह प्रसार प्रवचन, सत्संग और बालसंस्कारवर्ग आदि माध्यमों से किया जाता है ।
१. प्रवचन
भारत और विदेश में विभिन्न स्थानों पर प्रवचन से आनंदी जीवन के लिए साधना, तनावमुक्ति के लिए साधना, गुरुकृपायोग के अनुसार साधना, देवताओं की जानकारी यथा शिव, दत्त आदि, त्योहार और धार्मिक उत्सव कैसे मनाएं, इन विषयों पर मार्गदर्शन किया जाता है ।
नैतिक मूल्यों के संवर्धन पर प्रवचन
गिरते नैतिक मूल्य, वर्तमान में यह गहरी चिंता का विषय है । अध्यात्मशास्त्र के माध्यम से नैतिक मूल्यों का संवर्धन, अर्थात उनका जतन और पोषण सुलभता से हो सकता है ।
संस्था की ओर से ‘नैतिक मूल्यों का संवर्धन’ विषय पर पाठशाला, महाविद्यालय, तथा शिक्षकों के प्रशिक्षण शिविर में नि:शुल्क प्रवचन दिए जाते हैं । साधना द्वारा हमारे व्यक्तित्त्व तथा विचार में कैसे परिवर्तन हो सकता है, इन प्रवचनों में यह भी सिखाया जाता है ।
२. साप्ताहिक सत्संग
– ७ देश और १२ भाषाओं में धर्मशिक्षा देनेवाले १३०० से अधिक सत्संग
– सांप्रदायिक शिक्षा का नहीं अपितु व्यापक धर्मशिक्षा का प्रसार
– सुखी जीवन और साधना अच्छी तरह होने के लिए स्वभावदोष और अहं का निर्मूलन कैसे करें तथा भावजागृति पर मार्गदर्शन
साधना बढाने और अच्छी तरह होने के लिए केवल प्रवचनों से दिया जानेवाला मार्गदर्शन पर्याप्त नहीं होता । उसके लिए नियमित सत्संग की आवश्यकता होती है । संस्था की ओर से १३०० से अधिक स्थानों पर मराठी, हिन्दी, कन्नड, गुजराती, अंग्रेजी, मल्याळम, तेलुगु आदि भाषाओं में नि:शुल्क साप्ताहिक सत्संग आयोजित किए जाते हैं ।
सत्संग में प्रत्येक व्यक्ति को अपने-अपने धर्म के अनुसार नामजप कैसे करें और गुरुकृपायोग के अनुसार साधना के अगले चरण पर कैसे पहुंचें, इसकी तात्त्विक जानकारी देने के साथ-साथ प्रत्यक्ष में ये चरण आचरण में लाने पर मार्गदर्शन किया जाता है । सत्संग में साधना करते समय होनेवाली अनुभूतियों का अर्थ तथा अध्यात्मविषयक लेखों का भावार्थ समझाकर साधकों की अध्यात्म एवं साधनाविषयक विविध शंकाओं का निराकरण भी किया जाता है ।
साधना में आनेवाली अडचनों के निराकरण की दृष्टि से यहां साधकों का मार्गदर्शन किया जाता है । तीव्र गति से आध्यात्मिक उन्नति कर गुरुप्राप्ति हो, इसके लिए साधकों को अध्यात्मप्रसार के माध्यम से सत्सेवा के विविध अवसर उपलब्ध कराए जाते हैं । राष्ट्ररक्षा और धर्मजागृति के अंतर्गत विविध जनजागरण अभियान चलाए जाते हैं ।
३. बालसंस्कारवर्ग
पाश्चात्त्य नहीं अपितु हिन्दू संस्कृति के अनुसार आचरण, स्वभावदोष-निर्मूलन और गुणसंवर्धन आदि विषयों पर मार्गदर्शन !
बचपन में ही बच्चों पर उचित संस्कार हुए, तो भविष्य में उत्तम बनता है । साधना से बच्चों पर अच्छे संस्कार होने में सहायता होती है ।
संस्था की ओर से ५०० से अधिक स्थानों पर बालसंस्कारवर्ग चलाए जाते हैं । बालसंस्कारवर्ग में बच्चों को सरल भाषा में साधना का महत्त्व बताकर, उन पर सुसंस्कार हों; इसके लिए विभिन्न स्थानों पर बालसंस्कार-शिविर आयोजित किए जाते हैं ।
४. अभ्यासवर्ग
अध्यात्मशास्त्र का अध्ययन करनेवाले जिज्ञासु साधक तथा सत्संग लेनेवाले साधकों के लिए संस्था की ओर से अभ्यासवर्ग आयोजित किए जाते हैं । चार से पांच घंटे चलनेवाले इन अभ्यासवर्गों में अध्यात्मशास्त्र के विविध विषयों की विस्तृत तात्त्विक जानकारी दी जाती है । यहां साधकों के प्रश्नों के उत्तर देने के साथ-साथ अगले सत्संग में लिए जानेवाले विषयों की दृष्टि से उनकी तैयारी कराई जाती है ।
५. सत्संग-समारोह
विभिन्न सत्संगों के साधक साथ हो पाएं तथा आसपास के अन्य लोगों को साधना की अधिक जानकारी मिले, इस उद्देश्य से जनपद में सत्संग-समारोह आयोजित किए जाते हैं । इस सत्संग-समारोह में साधना पर मार्गदर्शन होता है ।
साधक परस्पर परिचित हों, निकटता बढे, कार्य विस्तार की दृष्टि से उनके प्रयास और विविध स्तरों के नियोजन की जानकारी एक-दूसरे को हो, विचारों का लेनदेन हो, इस दृष्टि से साधकों में गुटचर्चा की जाती है । इसके अतिरिक्त इस अवसर पर साधकों का अनुभूति-कथन भी होता है ।
६. गुरुपूर्णिमा महोत्सव
हिन्दुओं की गुरु-शिष्य परंपरा का जतन करने के साथ ही साधना और राष्ट्ररक्षण विषयों पर मार्गदर्शन होते हैं !
साधकों के जीवन में गुरुपूर्णिमा का अनन्यसाधारण महत्त्व है । इस दिन गुरु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की जाती है । इस महोत्सव में सहभागी होनेवाले को नित्य की तुलना में सहस्र गुना लाभ होता है ।
जीवन में गुरुपूर्णिमा और साधना का महत्त्व समझाने के लिए संस्था की ओर से उत्सव के दिन मार्गदर्शन आयोजित किए जाते हैं । देश-विदेश के साधक अपने-अपने क्षेत्र में गुरुपूर्णिमा महोत्सव मनाते हैं ।
७. निवासी शिविर
साधना के दृष्टिकोण से क्रियाशील साधक अधिकाधिक सीख सकें, संस्था के कार्य और नियोजन अधिक परिणामकारक तथा कुशलतापूर्वक कर सकें, इसके लिए संस्था की ओर से कुछ राज्यों में निवासी शिविरों का आयोजन होता है । विभिन्न राज्यों के साधक इन शिविरों में सहभागी होते हैं ।
८. वेदपाठशाला
कर्मकांड के अंतर्गत धार्मिक विधि को साधना मानकर करनेवाले साधक-पुरोहित तैयार करनेवाली कार्यशाला ! इस कार्यशाला में आचार-विचार की धर्मसंहिता से प्रत्यक्ष समाज को धर्माचरण करने हेतु उद्युक्त करनेवालेे पुरोहित सिद्ध होते हैं । वे समाज को ईश्वरप्राप्ति की योग्य दिशा दिखानेवाले होंगे ।
९. प्रसारफेरियां
साधना के प्रति जनजागृति करने और हिन्दुओं में धर्मजागृति की दृष्टि से प्रसारफेरियां आयोजित की जाती हैं । हिन्दुओं पर हो रहे आघात, हिन्दुओं के विरुद्ध षड्यंत्र तथा हिन्दुओं को दिए जानेवाले आवाह्नों की जानकारी प्रसारित करने से हिन्दुओं के सतर्क होने में सहायता होती है ।
१०. पथनाट्य
विभिन्न दृश्यों के माध्यम से वर्तमान सामाजिक परिस्थिति का वास्तविक चित्रण दिखाकर सर्वसामान्य लोगों को इस परिस्थिति से उचित मार्ग ढूंढने हेतु संस्था की ओर से प्रस्तुत किए जानेवाले पथनाट्यों द्वारा दिशानिर्देश दिया जाता है ।
११. केबल और चलत् चित्रदर्शक यंत्रों (Video Camera)के माध्यम से धर्मप्रबोधन
चलत् चित्रदर्शक यंत्र के माध्यम से सत्संग, धर्मसत्संग, वाचक मेले, पत्रकार परिषद तथा केबल के माध्यम से ध्वनिचित्र-चक्रिकाओं के प्रसारण द्वारा धर्मशिक्षा और धर्मप्रबोधन !
१२. फलक प्रसिद्धि और धर्मशिक्षा देनेवाले ‘फ्लेक्स फलक’ के माध्यम से धर्मप्रबोधन
धर्मशिक्षा देनेवाले सनातन संस्था के फ्लेक्स फलक धर्मप्रसार में सहभागी एक दृढ स्तंभ ही हैं ! आज समाज में सात्त्विकता घटने से समाज का नैतिक पतन हो रहा है । समाज की सात्त्विकता केवल धर्माचरण से ही बढ सकती है ।
किंतु वर्तमान स्थिति देखते हुए ध्यान में आता है कि हिन्दुओं को मंदिर अथवा अन्यत्र कहीं भी धर्मशिक्षा नहीं दी जाती; साथ ही पाश्चात्त्य पद्धति के अंधानुकरण से आज हिन्दुओं को हिन्दू संस्कृति का विस्मरण हो गया है । हिन्दू सहजता से धर्मशिक्षा ले सकें, इसके लिए सनातन संस्था की ओर से विभिन्न आध्यात्मिक कृतियां और उनके शास्त्र जैसे विविध विषयों पर धर्मशिक्षा देनेवाले ‘फ्लेक्स’ फलक के संच बनाए गए हैं ।
यथा मंदिर में दर्शन कैसे करें, नामजप का महत्त्व, गणपति, शिव, नवरात्र, विवाह, मृत्योत्तर क्रियाकर्म, श्राद्ध आदि विषयों पर धर्मशिक्षा देनेवाले ‘फ्लेक्स’ फलक के संच मराठी, हिन्दी, गुजराती, कन्नड आदि विविध भाषाओं में उपलब्ध हैं, उन्हें मंदिर, मंगल कार्यालय, श्मशान आदि स्थानों पर स्थायी रूप से लगाया जाता है ।
दैनिक सनातन प्रभात में प्रतिदिन फलकप्रसिद्धि – फलक के लिए लेखन उपलब्ध किया जाता है । आगे दी मार्गिका पर फलक के लिए लेखन उपलब्ध हैं : sanatanprabhat.org
स्थानीय स्तर पर फलक लिखकर आप भी इस धर्मकार्य में सहभागी हो सकते हैं !