उडुपी (कर्नाटक) के संत उदयानंद स्वामीजी ने देवद (पनवेल) के सनातन आश्रम का अवलोकन किया । श्री. ओंकार कापशीकर ने स्वामीजी को आश्रम में चल रहा राष्ट्र-धर्म का कार्य तथा विविध सेवाओं से अवगत कराया ।
परिचय
संत उदयानंद स्वामीजी श्री नित्यानंद स्वामीजी के शिष्य हैं । उनका मूल नाम श्री पद्मनाभस्वामी है । उन्हें वास्तुशास्त्र, संख्याशास्त्र और संगीतशास्त्र आदि विषयों का सूक्ष्म से ज्ञान मिलता है ।
१. संत उदयानंद स्वामीजी के संतों के प्रति भाव
स्वामीजी ने कहा, ‘‘आश्रम के सभी संतों को गुरुदेवजी ने (परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने) ही बनाया है । यहां के संतों से मिलकर आनंदित हूं ।’’ इस अवसरपर स्वामीजी के मुखमंडलपर गुरुदेवजी एवं संतों के प्रति भाव झलक रहा था ।
२. स्वामीजी का परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के प्रति का भाव
स्वामीजी ने भावोद्गार व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘गुरुदेवजी ने साधकों के शारीरिक कष्ट अपने ऊपर लिए हैं । इसकारण साधकों को इन कष्टों की तीव्रता उतनी नहीं प्रतीत होती । हम गुरुदेवजी के कारण ही साधना कर पा रहे हैं ।’’ वे पुनःपुनः कह रहे थे, ‘‘मैं एक बालक हूं और यहां सीखने आया हूं । गुरुदेवजी ने एक-एक साधक को कैसे बनाया है !’’ (उनके व्यवहार से ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे ‘वे प्रत्येक साधक से सीख रहे हैं ।’)