बैंगन बहुत पौष्टिक है । बाजार में मिलनेवाले बडे बैंगन तथा देशी बैंगन के औषधीय उपयोग भिन्न हैं । इसलिए बैंगन खाना ही हो तो डोरली बैंगन, मुर्गी के अंडे जैसे सफेद बैंगन, कंटीले बैंगन अथवा देशी बैंगन खाने चाहिए । घर के छज्जे पर गमले में भी बैंगन का पौधा लगा सकते हैं ।
१. बैंगन का चयन
‘बैंगन बहुत कच्चा अथवा पका हुआ नहीं होना चाहिए । वह परिपक्व होना आवश्यक है ।
२. बैंगन से बनाए जानेवाले कुछ पदार्थ
२ अ. बैंगन की सब्जी
ताजे बैंगन भाप में गलाकर, उसमें स्वाद के लिए आवश्यक सेंधा नमक और अदरक डालकर अच्छी सब्जी बनती है । इसमें लाल मिर्च पाउडर न डालें । कुछ लोग बैंगन के बीज निकालकर भी सब्जी बनाते हैं ।
२ आ. बैंगन का भरता
धोया हुआ बैंगन चूल्हे पर अथवा गैसपर अच्छे से भूने । फिर उसका जला हुआ छिलका निकाल दें । भुने बैंगन पर काली मिर्च की पाऊडर, हींग एवं सेंधा नमक डालकर उसका भर्ता बना लें और ज्वार की रोटी के साथ खाएं । इससे अन्नपचन अच्छा होगा और भूख बढेगी । इसमें तेल नहीं डालना चाहिए । तेल डालने से भरता पाचन के लिए भारी हो जाता है । डोरली बैंगन का भरता अच्छा बनता है । चूल्हे पर भुना बैंगन का भरता अधिक स्वादिष्ट होता है ।
३. बैंगन के गुणधर्म
३ अ. छोटे बैंगन पित्त एवं कफ घटाते हैं ।
३ आ. बडा बैंगन पाचन के लिए हल्का होने पर भी कुछ पित्तकारक होता है ।
४. बैंगन के औषधीय उपयोग
४ अ. ज्वर (बुखार) एवं खांसी
ज्वर आने पर बैंगन की सब्जी स्वाद के लिए लें । बैंगन की सब्जी से मुंह में स्वाद आता है । शरीर में उत्पन्न नमी, अर्थात क्लेद तथा कफ इस सब्जी से कम होता है । चावल भूनकर बनाया भात एवं बैंगन की सब्जी ज्वर तथा खांसी में उपयुक्त है ।
४ आ. पेट फूलना
पेट फूलने पर कभी-कभी हृदय पर दबाव आता है । इससे अस्वस्थता आती है । साथ ही पेट में वेदना भी होती है । इस समय बैंगन का भरता खाने से लाभ होता है । इसके लिए डोरली बैंगन, जिसे संस्कृत में ‘बृहती’ कहते हैं, उसका उपयोग करना चाहिए ।
४ इ. मूलव्याधि (पाईल्स)
मूलव्यधि में बैंगन भूनकर खाने से तथा बैंगन भूनकर कपडे में बांधकर गुदद्वार को सेंकने से लाभ होता है । इसे सावधानी से करना चाहिए ।
४ ई. वृषणवृद्धि (अण्डकोष में सूजन)
बैंगन की जडों का घिसकर, उसका लेप वृषणों पर (अण्डाकोष पर) लगाने से कुछ ही दिनों में लाभ होता है ।
४ उ. नींद न आना (निद्रानाश)
१. बैंगन के पत्तों का २ चम्मच रस मिशरीके साथ लेने से अच्छी नींद आती है ।
२. रात को बैंगन का भरता खाएं ।
४ ऊ. फोडे-फुंसी
बैंगन भूनकर, फोडे-फुंसियों पर लगाएं ।
४ ए. कमजोरी (शक्तिहीनता)
बैंगन स्वादिष्ट, पौष्टिक एवं शुक्रधातु (वीर्य) बढानेवाला है । शरीर में मेद (चर्बी) बढने से जिनका शरीर फूल जाता है; परंतु शरीर शक्तिविहीन लगता है, ऐसे लोग बैंगन की सब्जी अवश्य खाएं । इससे कुछ ही दिनों में शक्ति आती है । सप्ताह में १-२ बार बैंगन की सब्जी खानी चाहिए । इससे शरीर तंदुरूस्त (प्रतिकारक्षम) होने में सहायता होती है ।’
Good