पौराणिक दृष्टि से ऐतिहासिक मालवा (मध्यप्रदेश) का विश्‍वविख्यात ‘बाबा बैजनाथ मन्दिर’

Article also available in :

माळवा (मध्यप्रदेश) का जगप्रसिद्ध ‘बाबा वैजनाथ महादेव मंदिर’

 

१. कर्नल मार्टिन द्वारा १३७ वर्ष पूर्व मंदिर का पुनर्निर्माण

‘मालवा के आगर स्थित बाबा बैजनाथ महादेव मंदिर विश्‍व के विख्यात शिवमंदिरों में से एक है । इस मंदिर की चमत्कारी कथाओं से प्रभावित कर्नल मर्टिन ने १३७ वर्ष पूर्व, अंग्रेजों के शासनकाल में इस मंदिर का पुनर्निर्माण किया । तब से आज तक इस मंदिर का विकासकार्य लगातार प्रगतिपथ पर है ।

 

२. मंदिर की जानकारी

मालवा के (मध्यप्रदेश के) अगर नामक ग्राम की उत्तर दिशा में लगभग ४ कि.मी. दूरी पर बैजनाथ महादेव का प्राचीन एवं विश्‍वविख्यात मंदिर है । केवल इस गांव के ही नहीं, अपितु आसपास के ग्रामीण क्षेत्र तथा इस प्रदेश के बडे-बडे नगरों से भी बडी संख्या में श्रद्धालु यहांं दर्शन करने आते हैं । मालवा क्षेत्र में क्वचित ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा, जो बैजनाथ महादेव मंदिर संबंधी चमत्कारी घटनाएं और मंदिर का पौराणिक इतिहास जानता न हो । इस मंदिर में पिछले १३० वर्षों से, प्रतिवर्ष दो बार (कार्तिक तथा चैत्र में) पारंपारिक मेला लगता है ।

 

३. मंदिर की स्थापना

इस मंदिर की स्थापना किसने और कब की, इस विषय में निश्‍चित बता पाना संभव नहीं है । परंतु शासकीय दस्तावेजों के अनुसार पहाडी की चोटी पर दक्षिण दिशा में पूर्वकाल में बेटखेडा नामक गांव था । इस गांव में मोड जाति के वैश्यों की बडी बस्ती थी । माघ शुक्ल चतुर्थी, संवत्सर १५६३ वि. (वर्ष १५२८) के दिन मोड वैश्यों ने बैजनाथ महादेव मंदिर का शिलान्यास किया । संवत्सर १५८५ (वर्ष १५३६) में इसका निर्माणकार्य पूर्ण हुआ ।

 

४. मंदिर का पूर्वरूप

पहले इस मंदिर की ऊंचाई किसी मठ के समान कम थी । ज्वालामुखी के पत्थरों से बने इस मंदिर की दीवारें चौडी थी । हवा आने के लिए इन दीवारों में कोई खिडकी अथवा झरोखा नहीं था । प्रकाश के लिए इस मंदिर में दिन-रात अखंड नंदादीप जलता रहता था ।

 

५. मंदिर के आसपास का परिसर

पौराणिक उल्लेखानुसार उस समय मंदिर के चारों ओर घना जंगल था । इस जंगल में बाघ, सिंह, चीता, जंगली सुअर जैसे हिंसक पशु बडी संख्या में थे । कई वर्षों से इस मंदिर के बगल से एक छोटी जलधारा बहती है । इस जलधारा को ‘बाणगंगा’ कहते हैं ।

 

६. मंदिर के पुनर्निर्माण का इतिहास

६ अ. अंग्रेज कमांडर मार्टिन की पत्नी का मंदिर की ओर जाना, मंदिर की
टूटी दीवार को देखकर मंदिर के ब्राह्मणों से दीवार की मरम्मत करने के बारे में पूछना

एक अंग्रेज ने बाबा बैजनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण क्यों किया, इसकी भी जानकारी इतिहास में प्रविष्ट है । पौराणिक कथानुसार वर्ष १८८० में अंग्रेज सेना काबुल के युद्ध के लिए गई थी । इस सेना में मार्टिन नामक कमांडर भी था । एक दिन मार्टिन की पत्नी घोडे पर सवार होकर घूमती हुई मंदिर के पास पहुंची । मंदिर की एक दीवार को कुछ टूटा हुआ देखकर उसने मंदिर में पूजा करनेवाले एक ब्राह्मण से पूछा, ‘‘इसकी मरम्मत क्यों नहीं करवाते हो ?’’ तब पूजा करनेवाले पं. शिवचरणलाल अवस्थी ने कहा, ‘‘हमारे पास इतना धन नहीं है । यदि आप करवा दें, तो बडी कृपा होगी ।’’ इसपर मार्टिन की पत्नी ने कहा, ‘‘मेरे पति युद्ध पर गए हैं । उनके वापस लौटने पर मैं उन्हें मरम्मत करवाने के बारे में बताऊंगी ।’’ उसकी इस बात को सुन उपस्थित ब्राह्मणों ने प्रार्थना की, ‘‘मार्टिन साहब शीघ्र ही सुखपूर्वक वापस लौट आएं ।’’

६ आ. पं अवस्थी ने तत्कालीन रिसालदार मेजर पं. गोपालसिंह से  मंदिर-पुनर्निर्माण की विनती

अंग्रेजों की सेना काबुल से लौटने पर पं. अवस्थी ने मार्टिन की पत्नी के साथ हुई चर्चा के विषय में तत्कालीन रिसालदार मेजर पं. गोपालसिंह को बताया और मंदिर के पुनर्निर्माण की विनती की ।

६ इ. मार्टिन द्वारा आसपास के संस्थानों के वकीलों के माध्यम से धनराशि उपलब्ध करवाना

गोपालसिंह ने मार्टिन को यह बात बताई और बैजनाथ मंदिर की मरम्मत के लिए लगन से प्रयास किए । मार्टिन ने भी उनकी इस बात का स्वीकार किया । उस समय आगर में मध्य भारत का दूतावास एवं उनका कार्यालय भी था । आसपास के छोटे-बडे संस्थानों के दूत (वकील) वहां रहते थे । मार्टिन ने इन वकीलों को मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए अपने-अपने संस्थानों से धन की सहायता करने के आदेश दिए ।’

(सन्दर्भ : भास्कर संवाददाता – आगर, मालवा)

Leave a Comment