मलेशिया की राजसत्ता पर भारतीय (हिन्दू) संस्कृति का प्रभाव !

प्राचीन काल में जिसे मलय द्वीप कहते थे, वह आज का मलेशिया देश है । मलय द्वीप, अर्थात अनेक द्वीपों का समुच्चय ! आगे इस द्वीप को मेलका भी कहते थे । मलय भाषा में अनेक संस्कृत शब्दों का उपयोग किया जाता है । मलय भाषा के साहित्य में रामायण और महाभारत का संबंध दिखाई देता है । १५ वीं शताब्दी तक, अर्थात मलेशिया में इस्लाम आने तक मजापाहित, अयुद्धया और श्रीविजय, इन हिन्दू साम्राज्यों ने १५०० वर्ष राज्य किया । मलेशिया का २ सहस्र (२०००) वर्ष पूर्व के इतिहास के विषय में कहीं भी विशेष उल्लेख नहीं मिलता ।

बाएं से श्री. सत्यकाम कणगलेकर, श्री. पूगळेंदी सेंथियप्पन्, सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळ, श्री. स्नेहल राऊत एवं श्री. विनायक शानभाग

 

१. मलेशिया के राजा – यंग दी पेर्तुआन अगोंग

इसका शब्दशः अर्थ है जिसे प्रभु बनाया गया है ! मलेशिया के राजा ही राष्ट्रप्रमुख है । अंग्रेजों से स्वतंत्रता मिलने के पश्‍चात वर्ष १९५७ में फेडरेशन ऑफ मलय के (वर्तमान में मलेशिया के) कार्यालय की स्थापना हुई । मलेशिया में संवैधानिक राजसत्ता है, इसलिए वहां चुनकर आया राजा ही राष्ट्र का प्रमुख भी है । ‘यंग दी पेर्तुआन अगोंग’ ये जगत के राजाओं में से एक हैं, जो चुनकर आए हैं । ७ वीं शताब्दी में श्रीविजय और अयुत्थय का राज्य था । तब से राजा को चुनने की संकल्पना आरंभ हो गई । उस काल में श्रीविजय के राज्य के विविध नगरों से (राज्यों से) राजा चुना जाता था । राजा की पत्नी को राजा परमैसुरी अगोंग कहते हैं ।

 

२. दक्षिण-पूर्व एशियायी देशों के भारतीयकरण से भारतीय मानदंड का
मलय, थाय, फिलिपीन्स एवं इंडोनेशियन मानबिंदु पर प्रभाव दिखाई देना

ऐतिहासिकदृष्टि से देखने पर दक्षिण-पूर्व एशिया भाग पर प्राचीन भारतीय संस्कृति की पकड थी । इसलिए थायलैंड, इंडोनेशिया, मलेशिया, सिंगापुर, फिलिपीन्स, कंबोडिया, व्हिएतनाम जैसे असंख्य अधिराज्य समृद्धशाली हुए । इन भागों पर भारतीय संस्कृति के प्रभाव को भारतीयीकरण (इंडियनाइजेशन) संज्ञा दी गई ।

फ्रेंच पुरातत्त्व वैज्ञानिक जॉर्ज कोडेस ने इसकी व्याख्या आगे दिएनुसार की है, भारतीयीकरण अर्थात भारतीय राज्यव्यवस्था, हिन्दू धर्म, बौद्ध पंथ और संस्कृत भाषा पर आधारित संगठित संस्कृति का विस्तारीकरण । दक्षिण-पूर्व एशिया के भारतीयीकरण और वहां के हिन्दू धर्म और बौद्ध पंथ के प्रसार से उसकी व्याप्ति ध्यान में आती है । मूल भारतीय; परंतु अनिवासी प्राचीन और वर्तमान भारतीय समाज द्वारा व्यावसायिक, व्यापारी, पुरोहित और योद्धा के रूप में सदैव ही यहां महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है । भारतीय मानबिंदु का मलय, थाय, फिलिपीन्स और इंडोनेशियन मानबिंदु पर प्रभाव दिखाई देता है ।

 

३. मलय भाषा पर संस्कृत भाषा का प्रभाव

मलेशिया के राष्ट्रप्रमुख को मलय भाषा में दुली यांग महा मुलिय सेरी पादुका बगिंडा यंग दी पेर्तुआन अगोंग, कहते हैं । इसमें यंग दी पेर्तुआन अगोंग शब्द का अर्थ है मलेशिया का प्रमुख !

दुली यांग महा मुलिय सेरी पादुका बगिंडा यंग दी पेर्तुआन अगोंग का अर्थ है, महान श्रेष्ठ योग्यताप्राप्त महान स्वामी राजा की श्री पादुकाओं की मैं धूल हूं ।

रामायण में राम के प्रतिनिधित्व के दर्शक के रूप में भरत ने राम की पादुकाएं अपने राजसिंहासन पर रखकर उनकी आज्ञा से उनके वनवास से लौटने तक राज्यकारभार संभाला । रामायण की इस घटना का उपरोक्त मलय भाषा के वाक्यों से संबंध दिखाई देता है ।

३ अ. संस्कृतोद्भव शब्द (संस्कृत भाषा से आए शब्द)

संस्कृत से आया मलय भाषा के शब्द अर्थ
१.           दुली धूल
२.          महा महान
३.          मूल्य मूल्य
४.          स्त्री श्री (व्यक्ति, देवी-देवता अथवा किसी पवित्र ग्रंथ के नाम से पूर्व लगाई जानेवाली आदरार्थी उपाधि
५.          पादुका पादुका (हिन्दू धर्म में संत अथवा जैन साधु उपयोग में लाए पादत्राण)
६.          बगिंडा राजा (महाराज)
७.          पेर्तुआन स्वामी
८.          अगोंग सर्वोच्च (परिपूर्ण)

३ आ. परमेश्‍वर

मलेशिया के एक राजा का नाम परमेश्‍वर था । सुमा ओरिएंटल नामक पुर्तगाली पुस्तक में परमेश्‍वर नाम का उल्लेख परमीसुरा अथवा परीमीसुरा मिलता है । परमेश्‍वर, यह मूल संस्कृत शब्द है । तमिल और अन्य दक्षिण भारतीय भाषाओं में भगवान शिव को परमेश्‍वर कहते हैं । हिन्दू धर्म के अनुसार परमेश्‍वर शब्द का अर्थ है, सर्वोच्च देव (परम = सर्वोच्च और ईश्‍वर = देव) । तमिळ भाषा में भगवान शिव का एक नाम परमेश्‍वर है ।

३ इ. मेलाका राज्य के नाम का संस्कृत शब्द अमलका (आवला) नामक वृक्ष से आना

ऐसी मान्यता है कि अमलका (आवळा), यह वृक्ष इस विश्‍व की उत्पत्ति के समय सर्वप्रथम निर्माण किया गया है । यह वृक्ष संपत्ति, आरोग्य और शक्ति से संबंधित है । उसीप्रकार इस स्थान पर व्यापार करने के लिए आए हिन्दू व्यापारियों को यह राज्य संपत्ति, आरोग्य और शक्ति से संबंधित है, ऐसा प्रतीत होने से उन्होंने उस राज्य को अमलका वृक्ष समान ही महत्त्व दिया और उच्चारण करते समय आगे उसका अपभ्रंश होकर मेलाका हो गया होगा ।

 

४. मलेशिया पर राज्य करनेवाले प्राचीन राजाओं के नाम (टिप्पणी १)

संस्कृत और तमिल भाषाओं के प्रभाव से सिंगापुर और मलेशिया में मलय राजसत्ता के समय ‘राजा’ यह संकल्पना प्रचलित थी । मलेशिया पर राज्य करने आए प्रथम मलय राजा से लेकर ७०० वर्षों तक का मलय राजाओं का इतिहास डॉ. आगुस सलीम द्वारा लिखित ‘स्टोरी ऑफ सिंगापुर मलय रूलर्स’ नामक पुस्तक में है ।

राजाओंके नाम कार्यकाल का अवधि
१. ‘संग नीला उत्तमा’ इस नाम से पहचाना जानेवाला स्त्री (श्री) त्रिभुवन (टिप्पणी २) वर्ष १२९९ से १३४७
२. ‘पादुका सेरी विक्रम वीर’ इस नाम से पहचाना जानेवाला राजा केसिल बेसर वर्ष १३४७ से १३६२
३. ‘श्री राणा वीरकर्मा’ नाम से पहचाना जानेवाले राजा मुदा वर्ष १३६२ से १३७५
४. ‘पादुका सेरी (श्री) महाराजा’ इस नाम से पहचाना जानेवाला डेशियन राजा वर्ष १३७५ से १३८८
५. ‘श्री परमेश्वर’ नाम से पहचाना जानेवाला राजा इस्कंदर शाह वर्ष १३८८ से १३९१

टिप्पणी १ – सिंगापुर पर राज्य करनेवाले राजाओं की कारकीर्द डॉ. आगुस सलीम द्वारा किए शोधकार्य से ली है । (द किंग ऑफ १४ सेंचुरी सिंगापुर, जेएमबीआर्एएस २० (२))

टिप्पणी २ – स्त्री त्रिभुवन का अर्थ है, स्त्री = श्री, त्रि = तीन, भुवन = लोक.

 

५. मलेशिया के राजा का निवासस्थान

इस्ताना नेगरा, यह यंग दी पेर्तुआन अगोंग का (मलेशिया के राजा का) अधिकृत निवासस्थान

इस्ताना नेगरा हे यंग दी पेर्तुआन अगोंग का (मलेशिया के राजा का) अधिकृत निवासस्थान है । इस्ताना नेगरा, यह मूल संंस्कृत भाषा का शब्द है । संस्कृत में ‘नगर स्थानम्’ होता है ।

यंग दी पेर्तुआन अगोंग और उनकी पत्नी राजा परमैसुरी अगोंग का सिंहासन (सिंह + आसन = सिंहासन)

भगवान विष्णु के नरसिंहावतार का अंश सुनहरा है और सुनहरा रंग, शाही का प्रतीक है ।

 

६. शाही प्रतीक

मलेशिया के शाही प्रतीकों में से एक है अणकुचीदार गदा के विविध प्रकार और उसके साथ अन्य शस्त्र

राजा अथवा सुलतान के लिए उपयोग में लाई जानेवाली छतरी । (उस पर की नक्काशी गोलाकार कर बडी दिखाई है ।)

६ अ. पीली छतरी

राजा अथवा सुलतान के लिए पीले रंग की छतरी

६ आ. गदा

गदा, यह मूल संस्कृत शब्द है और तमिल में उसे गदाइ, मलय में गेदक, पुराने टैगलॉग भाषा में बतुता कहा जाता है । यह आयुध लकडी अथवा धातु से बनाया जाता है और वह दक्षिण एशिया का है । गदा, अर्थात एक डंडे को गोलाकार अग्रभाग और उसपर नुकीला सिरा होता है । भारत से बाहर के दक्षिण-पूर्व एशिया ने गदा स्वीकारी है । सिलट, इस मार्शल आर्ट्स के (स्वसुरक्षा के) प्रकार में उसका उपयोग किया जाता है ।

गदा, यह हिन्दू देवता हनुमान का प्रमुख आयुध है । शक्ति और सामर्थ्य के लिए पहचाने जानेवाले हनुमान की पूजा दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में कुश्ती लडनेवाले करते हैं । चतुर्भुज भगवान विष्णु के एक हाथ में कौमोदकी (कौमुदी) नामक गदा है । महाभारत में भीम, दुर्योधन, जरासंध जैसे योद्धा गदा के स्वामी के रूप में पहचाने जाते थे ।

– श्री. पूगळेंदी सेंथियप्पन्, मलेशिया
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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