सहस्रों वर्ष पूर्व ऋषियों द्वारा दिया गया ज्ञान, संतों की जीवनी, साथ ही तीर्थस्थानों को आज तक की अनेक पीढियों ने संजोकर रखा है । उसके कारण ही आज सभी को इस ज्ञान का सर्वव्यापी लाभ मिल रहा है । ‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ की ओर से हिन्दू धर्म तथा संस्कृति से संबंधित, साथ ही तीर्थस्थानों पर मिलनेवाली दुर्लभ वस्तुएं, संतों द्वारा उपयोग में लाई गई वस्तुएं, उनके अक्षर, मुद्राएं और छायाचित्र आदि का संग्रह किया जा रहा है । इसके साथ ही अनिष्ट शक्तियों द्वारा सूक्ष्म से आक्रमण की गई अनेक वस्तुएं भी संग्रह में हैं । अध्यात्मशास्त्र का अध्ययन करने हेतु यह अमूल्य धरोहर आनेवाले सहस्रों वर्षों तक मार्गदर्शक सिद्ध होगी ।
१. ‘संग्रहालय’ क्षेत्र के जानकारों की आवश्यकता !
वस्तुओं का संग्रह करने हेतु ‘क्युरेटर’ (वस्तु संग्रहालय में विद्यमान वस्तुओं का ध्यान रखनेवाला, जिसके संदर्भ में विशिष्ट शिक्षा दी जाती है), वस्तु संग्रहालय विशेषज्ञ (‘म्युजियोलॉजिस्ट’) आदि से निम्नांकित सहायता की आवश्यकता है ।
अ. संग्रह प्रक्रिया के संदर्भ में जानकारी का अध्ययन करना, उस विषय में साधकों का मार्गदर्शन करना तथा उन्हें वह प्रक्रिया सिखाना
आ. ‘वस्तुओं का संग्रह बनाने हेतु कैसा वातावरण होना चाहिए ? कक्ष में कैसी व्यवस्था होनी चाहिए ? अलमारियां कैसी होनी चाहिए?, इस संदर्भ में मार्गदर्शन करना
इ. इसके लिए आवश्यक सामग्री, रसायन इ. की उपलब्धता कराना
ई. संग्रह प्रक्रिया के कार्य में सहभागी होना
२. भव्य संग्रहालय (म्यूजियम) बनाने हेतु वास्तु विशेषज्ञों के मार्गदर्शन की आवश्यकता !
‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ ने अभी तक सहस्रों विशेषतापूर्ण वस्तुओं का संग्रह किया है । इन संग्रहयोग्य वस्तुओं की संख्या प्रतिदिन बढ रही है तथा उसके लिए भव्य संग्रहालय (म्यूजियम) बनाने की विश्वविद्यालय की मंशा है । इस भावी वास्तु के निर्माण का मार्गदर्शन करने हेतु वास्तु विशारद (आर्किटेक्ट) एवं वास्तु विशेषज्ञों की सहायता की भी आवश्यकता है ।
‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ द्वारा भावी पीढी हेतु आरंभ किए गए इस कार्य में सहभागी होना, राष्ट्र एवं धर्म के कार्य में सहभागी होने जैसा ही है । इस क्षेत्र के जानकार इस सेवा में सहभागी होने के इच्छुक हों, तो वे अपनी जानकारी जनपदसेवक के माध्यम से श्रीमती भाग्यश्री सावंत को ७०५८८८५६१० इस क्रमांक पर दें । ‘सेवा’ के रूप में अथवा सेवामूल्य लेकर इस कार्य में सहभागी होना हो, तो वैसे भी सूचित करें ।
इ-मेल पता : contact4mav@gmail.com
डाक पता : श्रीमती भाग्यश्री सावंत, ‘भगवतीकृपा अपार्टमेंट्स’, एस-१, दूसरी मंजिल, बिल्डिंग ए, ढवळी, फोंडा, गोवा. ४०३ ४०१.
पाठक, हितचिंतक एवं धर्मप्रेमियों से विनम्र अनुरोध !
उक्त धर्मकार्य में सहभागी हो सकेंगे, ऐसे अपने परिचय के ‘क्युरेटर’ (वस्तु संग्रहालय में विद्यमान वस्तुओं की ओर ध्यान देनेवाला), वस्तु संग्रहालय विशेषज्ञ, वास्तु विशारद (आर्किटेक्ट) अथवा वास्तु विशेषज्ञ हों, तो उनकी जानकारी उक्त क्रमांक पर सूचित करें ।