आगे दी गई रंगोलियोंसे शिवतत्त्व आकर्षित एवं प्रक्षेपित होनेके कारण वातावरण शिवतत्त्वसे पूरित होता है तथा भक्तोंको उसका लाभ होता है ।
१. इन रंगोलियोंके चित्रमें भरे गए रंगोंका ही उपयोग यथासंभव रंगोलियोंमें करें; क्योंकि ये रंग सात्त्विक हैं । ऐसे रंगोंके कारण रंगोंलीकी सात्त्विकता बढनेमें सहायता मिलती है । रंगोलीकी सात्त्विकता बढनेपर देवतातत्त्व अधिक मात्रामें आकर्षित होनेमें सहायता मिलती है ।
२. रंगोलियोंमें अधिकतम १० प्रतिशत देवताओंका तत्त्व आकर्षित किया जा सकता है । न्यूनतम ४ प्रतिशत तत्त्व आकर्षित करनेवाली रंगोलियां यहां दी हैं ।
३. ‘शब्द, स्पर्श, रूप, रस, गंध तथा उनकी शक्ति एकत्र होती है’, इस अध्यात्म- शास्त्रीय सिद्धांतके अनुसार रंगोलियोंके रूप एवं रंगमें तनिक भी परिवर्तन करनेपर रंगोलीके स्पंदन (शक्ति, भाव, चैतन्य, आनंद एवं शांति) कैसे परिवर्तित होते हैं, यह इन रंगोलियोंसे ज्ञात होगा ।
नमः शिवाय ।
काफी रोचक और ज्ञानवर्धक जानकारी दी है और मैं भी अपना विचार प्रकट करना चाहता हूं । ये कुछ यंत्र के जैसे ही हैं जैसे श्रीयंत्र ।