केंद्र सरकार ने हाल ही में कश्मीर घाटी में कई वर्षों से बंद ५० सहस्र मंदिरों के सर्वेक्षण की घोषणा की है । केंद्र सरकार द्वारा धारा ३७० हटाने के कारण इन मंदिरों के हिन्दुओं के लिए खोलने की संभावना उत्पन्न हुई है । ‘रूट्स इन कश्मीर’के प्रवक्ता अमित रैना ने बताया, ‘‘वर्ष १९८६ के पश्चात धर्मांधों ने कश्मीर के कई मंदिरों को अपना लक्ष्य बनाया था । इसके कारण मंदिरों का रखरखाव देखनेवाले कई हिन्दुओं को कश्मीर घाटी छोडकर पलायन करना पडा था । वर्तमान स्थिति में उन मंदिरों के केवल ढांचे ही शेष बचे हैं ।’’ इस परिप्रेक्ष्य में कश्मीर के कुछ मंदिरों की वर्तमान स्थिति की जानकारी दे रहे हैं ।
खीर भवानी मंदिर
श्रीनगर से ३० कि.मी. स्थित गंदेरबल जनपद के तुल्लमुल्ल गांव में कश्मीरी पंडितों की इष्टदेवता श्री राग्न्यादेवी का मंदिर है । यहां प्रतिवर्ष खीर भवानी महोत्सव मनाया जाता है । आतंकियों द्वारा इस क्षेत्र में निरंतर आक्रमण किए जाने के कारण प्रशासन ने इस मंदिर को बंद किया था ।
श्री भवानी मंदिर
कश्मीर के अनंतनाग जनपद में भवानी मंदिर है । वर्ष १९९० में जब कश्मीरी पंडितों ने घाटी छोड दी; तब से इस मंदिर की देखभाल नहीं होती । वर्तमान में इस मंदिर का केवल ढांचा ही शेष है ।
श्री त्रिपुरसुंदरी मंदिर
कुलगाम जनपद के देवसर क्षेत्र में त्रिपुरसुंदरी मंदिर है । इस मंदिर की देखभाल करनेवालों ने बताया कि आतंकियों द्वारा दी जानेवाली धमकियों के कारण इस मंदिर में प्रतिदिन पूजा-अर्चना नहीं होती ।
श्री ज्वालादेवी मंदिर
पुलवाम से २० कि.मी. की दूरीपर स्थित खरेव गांव में ज्वालादेवी का मंदिर है, जो कई वर्षों से बंद है । यह मंदिर कश्मीरी पंडितों की इष्टदेवता का मंदिर है ।
श्री मार्तंड सूर्य मंदिर
दक्षिणी कश्मीर के मार्तंड नामक क्षेत्र में स्थित यह मंदिर १५०० वर्ष पुराना है । महाराजा अशोक के पुत्र ने इस मंदिर का निर्माण किया था । ऐसा कहा जाता है कि सूर्य की पहली किरण आते ही राजा अपनी दिनचर्यो का आरंभ इस मंदिर में पूजा-अर्चना कर करता था । वर्तमान में यह मंदिर जीर्ण हुआ है और अब उसकी केवल २५ फीट ऊंचाई ही शेष बची है ।
नारनाग मंदिर
गंदेरबल जनपद के कंगन जनपद में नारनाग मंदिर है । भगवान शिवजी का यह मंदिर १५०० वर्ष पुराना है । पिछले वर्ष इस मंदिर में तोडफोड की गई थी ।
शीतलेश्वर मंदिर
श्रीनगर के हब्बा कदल में शीतलेश्वर मंदिर है, जो २ सहस्र वर्ष पुराना है । इस मंदिर की भी देखभाल नहीं की जाती ।
मट्टन
श्रीनगर से ६१ कि.मी. दूरीपर मट्टन नामक यह स्थान हिन्दुओं के लिए पवित्र स्थली माना जाता है । यहां एक शिवमंदिर और झरना है । यह मंदिर भी पिछले कई वर्षों से बंद है ।