यावल (जनपद जळगांव, महाराष्ट्र) में उत्साह के साथ साधना शिविर संपन्न
जळगांव : हम मनुष्य के रूप में जन्मे हैं, तो हमारा लक्ष्य क्या होना चाहिए ? किडे-मकोंडों से लेकर उन्नत मनुष्यप्राणितक सभी जीव स्वयं को अधिकाधिक सुख कैसे मिलेगा ?, इसी प्रयास में रहता है; परंतु सुख को कैसे प्राप्त करना है, इसकी शिक्षा किसी भी विद्यालय और महाविद्यालय में नहीं दी जाती । केवल अध्यात्मशास्त्र ही हमें आनंद की अनुभूति दे सकता है । उसके लिए सभी को साधना करना आवश्यक है । सद्गुरु जाधवजी ने मनुष्य का जन्म बार-बार होने का कारण, जीवन में आनेवाले सुख-दुखों का कारण, सकाम एवं निष्काम साधना क्या होती है ?, साधना में गुरु का महत्त्व, काल के अनुसार साधना का महत्त्व आदि विषयों के संदर्भ में भी मार्गदर्शन किया ।