मैं सनातन संस्था गोवा के विरोध में नहीं, अपितु उसका सम्मान करता हूं ! – प.रा. आरडे, संपादक, अंधश्रद्धा निर्मूलन वार्तापत्र

फोंडा (गोवा) : यहां के अंधश्रद्धा निर्मूलन वार्तापत्र के संपादक प.रा. आरडे ने यहां के दिवानी न्यायालय (वरिष्ठ स्तर) में यह स्वीकृति देते हुए कहा कि सनातन संस्था गोवा के समाज को अध्यात्म की शिक्षा दे रही है और मैं सनातन संस्था गोवा के विरोध में नहीं हूं। सनातन संस्था ने अंधश्रद्धा निर्मूलन वार्तापत्र के विरुद्ध मानहानि का अभियोग प्रविष्ट किया है । इस अभियोग में जब प.रा. आरडे का प्रति-परीक्षण किया गया, उसमें उन्होंने इसकी स्वीकृति दी । श्री. आरडे कई वर्षों से इस वार्तापत्र के संपादक हैं । वर्ष २००८ से चल रहे अभियोग में अपना पक्ष रखने हेतु श्री. आरडे न्यायालय में उपस्थित थे । सनातन संस्था के अधिवक्ता श्री. नागेश जोशी (ताकभाते) ने उनका प्रति-परीक्षण किया । इसमें उनमें निम्नांकित प्रश्‍नोत्तर हुए –

अधिवक्ता जोशी : आपने सनातन संस्था के विरुद्ध एक विशेषांक प्रकाशित किया है । तो आपको सनातन संस्था के संदर्भ में क्या जानकारी है ?

आरडे : वार्तापत्र में प्रकाशित लेखन के अतिरिक्त मुझे सनातन संस्था के संदर्भ में कुछ भी ज्ञात नहीं है । मैंने गोवा के रामनाथी में स्थित सनातन आश्रम का बाहर से अवलोकन किया है । मैने आश्रम का अंदर से अवलोकन नहीं किया है । मैने संस्था का ‘ट्रस्ट डीड’ (न्यास का संविधान) नहीं पढा है ।

अधिवक्ता जोशी : क्या आप भूत एवं राक्षसपर विश्‍वास करते हैं ?

आरडे : नहीं ! तब भी मैने अंधश्रद्धा निर्मूलन वार्तापत्र के मुखपृष्ठपर राक्षस का चित्र छापा है, इसे मैं स्वीकार करता हूं । सनातन संस्था के साथ हमारा कोई वैचारिक संघर्ष नहीं है, केवल वैचारिक मतभेद हैं । सनातन संस्था गोवा समाज को अध्यात्म की शिक्षा देती है और मैं उसका सम्मान करता हूं ।

स्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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