रामनाथी, गोवा के सनातन संस्था के आश्रम में श्री सिद्धिविनायक मूर्ति प्रतिष्ठापना समारोह भावपूर्ण वातावरण में संपन्न

१९.८.२०१९ को किए गए नाडीवाचन में मयन महर्षि ने कहा, ‘‘परात्पर गुरु डॉक्टरजी का जन्मनक्षत्र उत्तराषाढा है और १०.९.२०१९ को उत्तराषाढा नक्षत्र है । इस नक्षत्र के होने के समय दोनों सद्गुरु परात्पर गुरु डॉक्टरजी की उपस्थिति में इस मूर्ति की प्रतिष्ठापना करें ।’’ हिन्दू राष्ट्र की स्थापना परात्पर गुरु डॉक्टरजी का कार्य है । ‘आनेवाले युद्धकाल में सनातन संस्था के साधकों की रक्षा और हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करना’, इसीलिए श्री गणेशजी आनेवाले हैं । इसलिए गणेशचतुर्थी को सिद्धिविनायक की मूर्ति की स्थापना न कर श्री गुरुदेवजी का जन्मनक्षत्र उत्तराषाढा नक्षत्र के उपलक्ष्य में करें ।’ उसके अनुसार यह प्रतिष्ठापना की गई ।

प्रतिष्ठापित श्री सिद्धिविनायक मूर्ति

रामनाथी (गोवा) : हिन्दू राष्ट्र की स्थापना परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का अवतारी कार्य है । हिन्दू राष्ट्र स्थापना के कार्य में उत्पन्न सभी विघ्न दूर होकर हिन्दू राष्ट्र की शिघ्रातिशीघ्र स्थापना हो; इसके लिए मयन महर्षि की आज्ञा से १० सितंबर को यहां के सनातन संस्था के आश्रम में सनातन संस्था की सदगुरु (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी एवं सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी के करकमलों से तथा संतों की वंदनीय उपस्थिति में श्री सिद्धिविनायक मूर्ति की चैतन्यमय एवं भावपूर्ण वातावरण में प्रतिष्ठापना की गई ।

मूर्ति प्रतिष्ठापना विधि के अंतर्गत हवन का पूर्णाहुति के साथ समापन करती हुईं बाईं ओर से सदगुरु (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी, सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी, पुरोहित श्री. सिद्धेश करंदीकर, श्री. अमर जोशी एवं नीचे बैठे हुए श्री. दामोदर वझे एवं श्री. पवन बर्वे

२ दिनतक चले इस प्रतिष्ठापना समारोह के पहले दिन अर्थात ९ सितंबर को सदगुरु (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी एवं सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी के करकमलों से संकल्प लिया गया । उसके पश्‍चात पुण्याहवाचन, मातृकापूजन, नांदीश्राद्ध, वास्तुमंडल, ब्रह्मादिमंडल, मुख्य देवता आवाहन, पूजन, अग्निस्थापना, नवग्रह देवताओं का आवाहन एवं पूजन, मूर्ति शय्याधिवास, हवन आदि विधि किए गए । १० सितंबर की सुबह आश्रम के सामने के प्रांगण में निर्मित छोटे मंदिर में सिद्धिविनायक मूर्ति की प्रतिष्ठापना की गई । तत्पश्‍चात मूर्ति में तत्त्व चढाना, मूर्ति की पूजा-अर्चना, ब्रह्मादिमंडल हवन, प्रायश्‍चित्त होम, बलिदान, पूर्णाहुति आदि विधि संपन्न हुए । उसके पश्‍चात मयन महर्षि की आज्ञा से सायंकाल में गणपति त्रिशती का पाठ, पूजन और उसके उपरांत आरती उतारकर इस समारोह का समापन हुआ । सनातन वेदपाठशाला के संचालक श्री. दामोदर वझे गुरुजी के मार्गदर्शन में संपन्न इन धार्मिक विधियों में पाठशशला के पुरोहितों ने भाग लिया ।

स्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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