देवद (पनवेल) : श्री नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर ब्रह्मचारी संस्थान, उटी, तहसील शेणगाव, जनपद हिंगोली के संत ब्रह्मचारी पू. सुरेश महाराज उटीकर ने २ सितंबर को देवद, पनवेल के सनातन आश्रम का अवलोकन किया । इस समय उनके साथ खारघर के शिष्य श्री. अविनाश मगर एवं श्रीमती उमा मगर उपस्थित थे । इस अवसरपर उन्हें आश्रम में चल रहे राष्ट्र-धर्म, आध्यात्मिक शोधकार्य, जालस्थान और आश्रम में आनेवाले दैवीय परिवर्तन के संदर्भ में जानकारी दी गई । महाराज ने भी जिज्ञासा के साथ जानकारी ली ।
सनातन संस्था के पू. रमेश गडकरी ने उन्हें शॉल, श्रीफल प्रदान कर और माल्यार्पण कर सम्मानित किया । उन्हें सनातन संस्था द्वारा प्रकाशित ‘हिन्दू राष्ट्र क्यों चाहिए ?’ और ‘प.पू. डॉक्टरजी के ओजस्वी विचार’ ये २ ग्रंथ भेंट किए गए । इस समय उन्होंने अपनी गुरुपरंपरा के संदर्भ में जानकारी दी, साथ ही साधना में आने से लेकर उनके गुरुदेवजी ने उनकी कैसे परिक्षाएं ली और उसमें उन्हें प्राप्त अनुभूतियों की जानकारी दी । पू. सुरेश महाराज ने साधकों को और सनातन संस्था के कार्य हेतु आशीर्वाद देते हुए कहा, ‘‘आपके लिए जो आवश्यक है, वह सब आपको मिले !’’
आश्रम के संदर्भ में व्यक्त किए गए विचार …
१. सनातन संस्था का कार्य अद्वितीय है । यहां सबकुछ पारदर्शी है । आश्रम में स्वच्छता भी बहुत अच्छी रखी गई है ।
२. आश्रम में किए गए आदरातिथ्य के संदर्भ में पू. सुरेश महाराज ने कहा, ‘‘आप बहुत बडी मात्रा में हिन्दुत्व का और सनातन धर्म का कार्य कर रहे हैं । वास्तव में हमें ही आपके आश्रम में आकर सेवा करनी चाहिए, जिससे हमें पुण्य की प्राप्ति होगी ।
३. आश्रम में पूर्णकालीन सेवा करनेवाले साधकों के संदर्भ में बताए जानेपर उन्होंने कहा, ‘‘आप सभी बहुत सौभाग्यशाली हैं कि आप इस कार्य में समर्पित हैं । ईश्वरभक्ति के कारण पुण्य मिलता है; परंतु आप सभी का पुण्य का डिपॉजीट चालू है और ईश्वर आपको उसका ब्याज भी देंगे ।’’
४. पू. महाराज ने अपने शिष्यों को कुंकुमतिलक लगाने और सात्त्विक वेशभूषा करने के लिए कहा ।
५. आश्रम में अंकित ‘ॐ’ देखकर उन्होंने कहा, ‘‘यह तो सब चैतन्य ही है ।’’
६. साधकों द्वारा फलकपर लिखी गई चूकों को उन्होंने ध्यानपूर्वक पढकर कहा कि प्रत्येक चूक लिखने से साधकों का पापक्षालन हो रहा है ।
७. महाराज ने कुंभपर्व में सनातन की ग्रंथ प्रदर्शनी के अवलोकन का स्मरण दिलाया ।
पू. सुरेश महाराज का संक्षिप्त परिचय
पू. सुरेश महाराज हिंगोली के संत हैं । उनके गुरु का नाम प.पू. यशवंत ब्रह्मचारी महाराज है । नांदेड, हिंगोली, परभणी, पणे और मुंबई जनपदों का भ्रमण कर वे अपने शिष्यों का मार्गदर्शन करते हैं । पू. महाराज तलवार, पटा, निशानेबाजी और घुडसवारी में कुशल हैं । वे प्रातः ३ बजे जागकर अपनी नित्य साधना आरंभ करते हैं ।