श्री. गौरीशंकर मोहता, व्यवस्थापक, गीताभवन, ऋषिकेश द्वारा
रामनाथी के सनातन आश्रम के संदर्भ में कहे शब्द !
रामनाथी के सनातन आश्रम के संदर्भ में कहे शब्द !
आश्रम सर्वत्र ईश्वर की चेतना से ओतप्रोत है । जिन जीवों का भाग्योदय हुआ है, वही यहां आ सके हैं । साधकों का आचरण अत्यंत मधुर, प्रेमपूर्ण एवं शालीन है । प. पू. गुरुदेवजी की कृपादृष्टि के कारण उजाड भूमि भी उपजाऊ हो गई है, अर्थात यह आश्रम साधकों के लिए खरी प्रयोगशाला है । वर्तमान में यहां बुद्धिजीवियों को सबकुछ वैज्ञानिक पद्धति से समझाया जाता है । आश्रम के सूक्ष्म जगत की प्रदर्शनी भी एक अभिनव प्रयोग है । ऐसा कहीं देखने को नहीं मिलता है; सभी के चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम !
श्री. गौरीशंकर मोहता के विचार
गीताप्रेस, गीताभवन के संस्थापक ब्रह्मलीन श्रद्धेय श्री जयदयाल गोयनकाजी ने एक बार सत्संग में बताया था, मुझे स्वामी रामसुखदासजी जैसे १०० संत मिल जाएं, तो मैं कलियुग को आने से रोक सकता हुं । (प.पू. डॉक्टरजी भी सदैव कहते हैं कि हिन्दू राष्ट्र, अर्थात रामराज्य की स्थापना होने हेतु १०० खरे संत आवश्यक हैं । – संपादक)