Rest in peace (RIP) का वास्तविक अर्थ जान लें !

 

‘आजकल किसी की भी मृत्य होनेपर हमारे यहां ‘RIP’ लिखकर उसे श्रद्धांजली देने की प्रथा आरंभ हुई है । विद्वान-विदुषी भी इस फैशन की बलि चढ रहे हैं ।

 

१. प्रत्येक व्यक्ति को उसके धर्म-पंथ के अनुसार श्रद्धांजली दें !

कृपया हिन्दू मनुष्य की मृत्यु के पश्‍चात ‘RIP’ लिखकर उसे श्रद्धांजली न दें ! जिन्हें मृत्यु के पश्‍चात दफनाया जाता है, उन मुसलमान और ईसाईयों के पंथ में RIP लिखने की प्रथा है । RIP का अर्थ है ‘Rest In Peace’ ! कृपया हिन्दू व्यक्ति के जाने के पश्‍चात ऐसा न लिखें !

‘संसार का कोई भी व्यक्ति हो, उसकी मृत्यु होनेपर उसके धर्म के अनुसार उसके लिए अंतिम कर्म करना, यह उस जानेवाले का अधिकार है ! यह किसके उद्गार हैं, यह आपको ज्ञात है ? छत्रपति शिवाजी महाराज ने जब अफजलखान की आंतडियां बाहर निकालीं, तब उनके सैनिक मरे हुए अफजलखान के शरीर को जलाने हेतु ले चले । तब शिवाजी महाराज ने उसका विरोध किया । तब महाराज ने सभी से यह कहा, ‘‘जब अफजलखान मर गया, उसी क्षण उसके साथ हमारी शत्रुता भी समाप्त हुई । उसके मृत शरीर को जलाकर उसका अनादर न करो ।’’ मुसलमान धर्मशास्त्र के अनुसार शिवाजी महाराज ने अफजलखान को भूमि में दफनाकर मुसलमान परंपरा के अनुसार उसकी कब्र बनाई । छत्रपति महाराज कहते थे, ‘‘प्रत्येक मृत शरीर को उसके धर्म के अनुसार विदाई देनी चाहिए और यह प्रत्येक मृतक का अधिकार है ।’’

 

२. REST IN PEACE का अर्थ !

REST IN PEACE का अर्थ ‘शांति से लेटिए !’ ‘हे मृतात्मा, हमने तुम्हारे शरीर को भूमि में दफनाया है । अब कयामत के दिन उपरवाला तुम्हारे साथ न्याय करेगा; इसलिए अब तुम इस भूमि में शांति से लेटकर कयामत के दिन की प्रतिक्षा करो !’’ ये लोग ऐसा क्यों बोलते हैं ?; क्योंकि दफनानेवाले और जिसे दफनाया गया है, वह अपने जीवन में भी पुनर्जन्म नहीं मानते । उनका धर्म यह कहता है कि कयामत के दिनतक दफनाए जानेवाले की इस भूमि से मुक्ति नहीं है !’

 

३. हिन्दू धर्म और अन्य पंथों में निहित भेद !

इस भेद को ठीक से समझ लें ! हिन्दू धर्म में मृत व्यक्ति को दफनाते नहीं, अपितु उसका दहन करते हैं । (टिप्पणी – मृत व्यक्ति की आयु, आध्यात्मिक अधिकार एवं उनके आध्यात्मिक मार्ग के अनुरूप मृत्योत्तर क्रियाओं में पाठभेद हो सकता है ।) इस जन्म से जलाकर आत्मा को पुनर्जन्म के लिए मुक्त कर देते हैं ! तो हिन्दू उसे RIP कैसे कह सकते हैं ? क्योंकि हमारे धर्म में ‘आत्मा सद्गति को प्राप्त हुई !’, ऐसा कहते हैं । आत्मा मुक्त हुई । तो उसके अगले जन्म की यात्रा अच्छी हो’, ऐसा कहना चाहिए । हिन्दू आत्मा को बंद कर, बांध कर और दफनाकर नहीं रखते, अपितु उसे मुक्त करते हैं, मृतक व्यक्ति अगला जन्म लें इसलिए; परंतु अन्य धर्मी जो दफनाते हैं, वह ‘तुम भूमि में शांति से लेटे रहो’ और ‘कयामततक तुम्हें मुक्ति नहीं है ‘ ऐसा बताकर !

हिन्दुओं को इसके लिए गरुड पुराण पढना चाहिए । वह मृत्यु के संदर्भ में है । आप उसे पढे ।

 

४. हिन्दुओं ‘मृतात्मा को सद्गति मिले’, यह प्रार्थना करें !

हिन्दुओं को ‘भावपूर्ण श्रद्धांजली’ बोलना चाहिए । ‘ईश्‍वर मृतात्मा को सद्गति प्रदान करें’, ऐसा बोलना चाहिए । इसका अर्थ जो व्यक्ति मृत हुई है, उसे पुण्यगति प्राप्त हो और उसका अगला जन्म लेने की यात्रा निर्विघ्नरूप से संपन्न हो ! केवल इतना ही क्यों ? जब कोई सज्जन और पुण्यवान हिन्दू मरता है, तब ‘ईश्‍वर उसे जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त करें’, यह भी प्रार्थना की जा सकती है ।

संदर्भ : जालस्थल

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