स्मृतिदिवस : चैत्र कृ.प. ७ (३१ मार्च)
श्यामजी कृष्ण वर्माजी, स्वामी दयानंद सरस्वती के राष्ट्रवाद और दर्शन पर लिखे साहित्य से प्रभावित हुए । उन्हें अंग्रेजों के प्रति कांग्रेस पार्टी की नीति अशोभनीय और लज्जास्पद प्रतीत होती थी। उन्होंने चापेकर बंधुओं के हाथों हुई पुणे के प्लेग कमिश्नर की हत्या का भी समर्थन किया । उनका मानना था कि असहयोग से ही अंग्रेजों से स्वतंत्रता पाई जा सकती है । वे कहते थे, यदि भारतीय अंग्रेजों को सहयोग देना बंद कर दें, तो अंग्रेजी शासन बहुत शीघ्र धराशायी हो सकता है ।
इंग्लैण्ड में उन्होंने सन १९०० में लंदन के हाईगेट क्षेत्र में एक भव्य घर इंडिया हाउस खरीदा जो राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बना । भाषाभिमानी वीर सावरकर के कहे अनुसार सभी इसे भारत भवन कहने लगे । यहीं पर मैडम कामा, वीर सावरकर, वीरेंद्रनाथ चटोपाध्याय, एस.आर.राना, लाला हरदयाल, मदन लाल ढींगरा और भगत सिंह जैसे क्रांतिकारी जुडे थे । स्वाधीनता आंदोलन के प्रयासों को सबल बनाने हेतु उन्होंने जनवरी १९०५ से इंडियन सोशियोलोजिस्ट नामक मासिक पत्र निकालना प्रारंभ किया और १८ फरवरी, १९०५ को इंडियन होमरूल सोसाइटी की स्थापना इस उद्देश्य से की कि भारतीयों के लिए भारतीयों के द्वारा भारतीयों की सरकार स्थापित हो । बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय, गोपाल कृष्ण गोखले, जैसे नेता इंग्लैंड प्रवास की अवधि में भारत-भवन जाते रहते थे ।