बाढ पीडित नागरिकों के लिए महत्त्वपूर्ण जानकारी
कुछ जिलों में अतिवृष्टि के कारण बाढस्थिति निर्माण हुई थी । जिससे सहस्रों नागरिकों के घर जलमय होकर जनजीवन अस्तव्यस्त हो गया । इसलिए वहां के नागरिकों को सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया । बाढ के पानी का स्तर कम होने लगा है और स्थलांतरित नागरिक घर लौट रहे हैं ।
इन नागरिकों ने घर जाने से पूर्व क्या सावधानी बरतनी चाहिए ? घर को निर्जंतुक कैसे बनाएं ? स्वास्थ्य की देखभाल कैसे की जाए ? इसके संदर्भ में महत्त्वपूर्ण सूत्र आगे दिए हैं ।
१. घर जाने से पहले यह करें !
अ. अपना क्षेत्र अथवा गांव पुनर्वास हेतु सुरक्षित है, ऐसे प्रशासन द्वारा घोषित किए जाने पर ही घर जाएं ।
आ. मिट्टी का घर हो, तो वह सुरक्षित है क्या ?, इसकी पुष्टि वास्तु-निर्माण विशेषज्ञों द्वारा करवाना आवश्यक है ।
इ. वास्तु अथवा आसपास के परिसर में बिजली के तार टूटे हों, तो उन्हें स्पर्श ना करें ।
२. घर जाने पर करने के कार्य
२ अ. बाढ के कारण क्षतिग्रस्त वास्तु (घर) तथा वस्तुओं के बीमा के संदर्भ में
१. घर की मरम्मत एवं वस्तुओं को समेटने से पूर्व क्षतिग्रस्त घर एवं वस्तुओं के छायाचित्र खींचें । बीमा अथवा सरकार से सहायता मिलने हेतु इनका उपयोग हो सकता है ।
२. वाहन, विद्युत उपकरण तथा घर की वस्तुएं नवीन हो एवं उनका बीमा (एन्श्युअरन्स) उतारा गया हो, तथा वॉटर डैमेज अथवा प्राकृतिक आपदाओं के कारण हुई हानि की क्षतिपूर्ति (मुआवजा) मिलनेवाली हो, तो उस दृष्टि से बीमा प्रतिनिधियों से मार्गदर्शन लें ।
२ आ. बिजली का प्रवाह एवं बिजली से चलनेवाले उपकरणों के संदर्भ में क्या करें ?
१. घर की दीवारें, बिजली के उपकरण (पंखे, कपडे धोने का यंत्र, मिक्सर) तथा कुंजीफलक (स्विचबोर्ड) गीला हो, तो बिजली का प्रवाह चालू करना अत्यंत खतरनाक है । इससे बिजली का झटका (शॉक) लग सकता है । घर सूखने पर, तथा बिजली-विशेषज्ञ द्वारा (इलैक्ट्रिशियन द्वारा) जांच किए जाने पर ही बिजली का प्रवाह चालू करें ।
२. भ्रमणभाष, भ्रमणसंगणक (लैपटॉप) जैसे उपकरण भीग गए हों तथा बंद हों, तो उनकी बैटरी निकाल कर रखें ।
३. उपकरण भीग गए हैं इसलिए उन्हें सीधा भंगार में देने की अपेक्षा जानकार व्यक्ति को दिखाकर उपकरण ठीक हो सकते हैं अथवा नहीं, इसकी जांच कराकर निर्णय लें ।
२ इ. घर की स्वच्छता एवं उसे निर्जंतुक करना
१. कई दिन पानी जमा होने पर पानी में जीव-जंतु पैदा हो जाते है । साबुन एवं स्वच्छ पानी अथवा लाइजोल जैसे कीटनाशक रसायन का उपयोग कर फर्श धोएं अथवा पोंछ लें । तत्पश्चात उसे सुखाएं ।
२. नीम के पत्ते एवं कर्पूर जलाकर घर में धूप दिखाएं । इससे वातावरण शुद्ध होकर घर निर्जंतुक होगा ।
३. घर के द्वार एवं खिडकियां खुली रखें । इससे शुद्ध हवा आती-जाती रहेगी और गीली दिवारें सूखने में सहायता होगी ।
२ ई. घर का सामान इधर-उधर ले जाते समय ध्यान देनेयोग्य सूत्र
१. सिलेंडर से गैस रिस रही हो, तो बिजली का मुख्य बटन (मैन स्विच) बंद करें । सिलेंडर हवा की संपर्क में आए, ऐसे खुले स्थान पर रखें । घर में गैस की गंध फैली हो, तो बिजली का बटन न दबाएं । घर के द्वार और खिडकियां खोल दें ।
२. बाढ के पानी के साथ सांप, बिच्छू अथवा चूहे जैसे प्राणी घर में आने की संभावना होती है । पूराना अनावश्यक सामान ध्यानपूर्वक हटाएं । सांप, बिच्छू आदि को बाहर निकालने के लिए प्राणीमित्र संगठन की सहायता लें ।
३. घर में भरा कीचड स्वच्छ करते समय एवं वहां की वस्तुएं हटाते समय सावधानी बरतें । पैरों में मोटे जूते पहनें, हाथों में मोजे पहनें । ऐसा करने से कैंची, छुरी जैसी धारवाली वस्तुएं हों, तो चोट नहीं लगेगी ।
४. बाढ के पानी के संपर्क में आया लकडी का फर्निचर, कपडे,बरतन जैसी वस्तुओं का उपयोग करने से पूर्व उन्हें स्वच्छ पोंछ लें अथवा धो लें । घर की अलमारी, पलंग, कुर्सियां जैसी लोहे की वस्तुओं को जंग न लगे, इसलिए उन्हें सूखे कपडे से अच्छे से पोंछ लें । इन वस्तुओं को रंग लगाने का निर्णय कालांतर से गर्मी के दिनों में ले सकते हैं ।
२ ऊ. पानी एवं अन्नपदार्थ इनके संदर्भ में ध्यान देने योग्य सूत्र
१. बाढपीडित परिसर में कुआं हो, तो उसका पानी न पिएं । इस पानी में जंतुसंसर्ग होने की अधिक संभावना होती है ।
२. घर में रखा अथवा जमा हुआ पानी न पिएं तथा उसका उपयोग न करें ।
३. पानी की टंकी, बरतन इत्यादि साबुन लगा कर घीस लें । तत्पश्चात स्वच्छ पानी से धोकर सूखे कपडे से पोंछ कर उसमें पानी भरें ।
४. रसोई बनाने हेतु तथा दांत मांजने हेतु भी शुद्ध पानी का उपयोग करें । पीने का पानी प्रतिदिन १० मिनट उबाल लें ।
५. कोई भी अन्नपदार्थ खाने से पूर्व हाथ साबुन से स्वच्छ धो लें ।
६. बाढ के पानी के संपर्क में आए अन्नघटक एवं सब्जियों का उपयोग न करें ।फ्रिज में रखे पदार्थ अच्छे हैं, इसकी निश्चिति कर ही उपयोग में लाएं ।
३. स्वयं की तथा अन्यों के स्वास्थ्य का ध्यान रखें !
अ. बाढ के कारण प्रमुखता से संसर्गजन्य रोग फैलने की संभावना होती है । अशुद्ध पानी पीने के कारण पीलिया, विषमज्वर (टाइफाईड), अतिसार (डायरिया) जैसे रोग हो सकते हैं ।
आ. मच्छरों की संख्या बढने के कारण मलेरिया, डेंग्यू जैसे रोग हो सकते हैं । अपने आसपास के परिसर में मच्छरों बढ गए हों, तो मच्छरदानी का अथवा मच्छर न आए, इस हेतु मच्छर प्रतिबंधक उदबत्ती इत्यादि का उपयोग कर सकते हैं ।
इ. जमा हुए पानी में छोटे बच्चों को खेलने ना दें ।
ई. घर में रखी औषधियों का उपयोग करने से पूर्व आधुनिक वैद्यों की सलाह लें ।
इस कालावधि में प्रत्येक ने अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना आवश्यक है । स्वास्थ्य से संबंधित किसी भी प्रकार की बाधा हो, तो वैद्य अथवा शासकीय रुग्णालय से तुरंत संपर्क करें ।
बाढ के पानी का स्तर कम होने पर आगे बताए अनुसार घर की शुद्धि करें !
बाढ कम होने पर साधक पहले घर की शुद्धि करें । तदुपरांत घरके प्रवेशद्वार के बाहर खडे रह कर नीचे बताए अनुसार घर की नजर उतारें और तत्पश्चात अन्य कमरों की नजर उतारें ।
१. नारियल अथवा नींबू से घर की नजर उतारना
संभवतः ३ दिन नारियल से घर की नजर उतारें । नारियल की शिखा बाहर की दिशा में रहें, इस प्रकार नारियल अंजुली में पकडें । प्रत्येक कमरे में घडी की सुइयों की विपरीत दिशा में (दाहिनी ओर से बाईं ओर) घूमकर नजर उतारें । तदुपरांत घर के बाहर जाकर नारियल फोडें अथवा विसर्जित करें । नारियल से नजर उतारना संभव न हो, तो नींबू से नजर उतारें । प्रत्येक कक्ष के द्वार के बाहर खडे रहकर पहले घडी की सुइयों की दिशा में ३ बार, तथा घडी की सुइयों की विपरीत दिशा में ३ बार नींबू घुमाएं । पश्चात नींबू विसर्जित करें । नींबू से नजर उतारते समय प्रत्येक कक्ष में जाने की आवश्यकता नहीं । कक्ष के द्वार के बाहर खडे रह कर नजर उतार सकते हैं ।
२. गोमूत्र एवं उदबत्ती से शुद्धि करना
घर की नजर उतारने के पश्चात गोमूत्र छिडककर एवं उदबत्ती दिखाकर जैसे प्रतिदिन घर की शुद्धि करते हैं, उस प्रकार घर की शुद्धि करें ।