स्मृतिदिवस : फाल्गुन शु.प. १४ (२२ मार्च)
आज गीता प्रेस गोरखपुर का नाम किसी
भी भारतीय के लिए नया नहीं है ।

आज विश्व के प्रत्येक कोने में हिन्दू संस्कृति के प्रचार में रामायण, गीता, वेदोपनिषद से लेकर प्राचीन भारत के ऋषि-मुनियों की कथाओं को पहुंचाने का एकमात्र श्रेय भाईजी को है । प्रचार-प्रसार से दूर रहकर एक सेवक व निष्काम कर्मयोगी के रूप में भाईजी का योगदान इतिहास में अमूल्य है ।
स्वतंत्रता आंदोलन तथा हिन्दू संस्कृति का प्रचार करने में अग्रणी भाईजी ने २२ मार्च १९७१ को अपने नश्वर शरीर का त्याग कर दिया । उनका केंद्र आज भी हमारी संस्कृति का प्रसार करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है ।