श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार

स्मृतिदिवस : फाल्गुन शु.प. १४ (२२ मार्च)

 आज गीता प्रेस गोरखपुर का नाम किसी
भी भारतीय के लिए नया नहीं है ।

Hanuman_Prasad_Poddar_Clr   हनुमान प्रसाद पोद्दारजी (भाईजी) स्वतंत्रता आंदोलन के कारण अरविंद घोष, देशबंधु चितरंजन दास, बाल गंगाधर तिलक आदि अनेक क्रांतिकारियों के संपर्क में आए । वीर सावरकर द्वारा लिखित १८५७ का स्वातंत्र्य समर ग्रंथ से भाईजी बहुत प्रभावित थे । वर्ष १९०६ में उन्होंने कपडों में गाय की चर्बी के प्रयोग के विरुद्ध आंदोलन चलाया । इसके साथ विदेशी वस्तुओं और कपडों के बहिष्कार के लिए संघर्ष छेड दिया ।
 
     आज विश्व के प्रत्येक कोने में हिन्दू संस्कृति के प्रचार में रामायण, गीता, वेदोपनिषद से लेकर प्राचीन भारत के ऋषि-मुनियों की कथाओं को पहुंचाने का एकमात्र श्रेय भाईजी को है । प्रचार-प्रसार से दूर रहकर एक सेवक व निष्काम कर्मयोगी के रूप में भाईजी का योगदान इतिहास में अमूल्य है ।
 
      स्वतंत्रता आंदोलन तथा हिन्दू संस्कृति का प्रचार करने में अग्रणी भाईजी ने २२ मार्च १९७१ को अपने नश्‍वर शरीर का त्याग कर दिया । उनका केंद्र आज भी हमारी संस्कृति का प्रसार करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है ।
(स्रोत: जालस्थल)

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