कॅनडा में स्थित संगठन ‘विश्व’ के संस्थापक जगद्गुरु योगऋषी
डॉ. स्वामी सत्य प्रकाशजी का रामनाथी, गोवा के सनातन आश्रम में आगमन
सनातन आश्रम, रामनाथी, (गोवा) : वैनकुवर (कॅनाडा) में स्थित जगद्गुरु योगऋषी डॉ. स्वामी सत्य प्रकाशजी का सनातन आश्रम में १६ अगस्त को आगमन हुआ । सनातन संस्था की साधिका कु. निधि देशमुख ने उन्हें आश्रम में चल रहे धर्मजागृति और अध्यात्मप्रसार के कार्य के संदर्भ में स्वामीजी एवं उनकी शिष्या डॉ. प्रीती मिस्रा को जानकारी दी । स्वामीजी ने धर्मप्रसार हेतु उपयोग किए जानेवाले दृश्यश्राव्य माध्यमों के संदर्भ में जिज्ञासा के साथ जानकर लिया । आश्रम में लिखे जानेवाले चूकों का फलक देखकर वे बहुत प्रभावित हुए । स्वामीजी ने कहा, ‘‘यहां (सनातन आश्रम में) भगवद्गीता के तत्त्वज्ञान का वास्तविकरूप से आचरण किया जाता है ।’’ उन्होंने कला के संदर्भ में चल रहे शोधकार्य के संदर्भ में भी अपनी रूचि दिखाई । आश्रम के अपने निवास में स्वामीजी महर्षि अध्यात्म संगीत विभाग के साधकों का संगीत-साधना के संदर्भ में मार्गदर्शन कर रहे हैं ।
सनातन आश्रम के साधकों की साधना का भाग देखकर डॉ. स्वामीजी ने देहली के एक संप्रदाय के १० से १५ सहस्र भक्तों के लिए नियोजित कार्यक्रम में जाना किया रद्द
२० अगस्त को स्वामीजी का देहली में एक संप्रदाय के १० से १५ सहस्र भक्तों के लिए एक नियोजित कार्यक्रम था; किंतु उन्हें सनातन आश्रम में विद्यमान सकारात्मक ऊर्जा एवं साधकों की आध्यात्मिक साधना का भाग बहुत अच्छा लगने से उन्होंने तथा उनकी शिष्या डॉ. प्रीतीजी ने उस कार्यक्रम में जाना रद्द किया और उसके स्थानपर सनातन के आश्रम में ही अधिक निवास कर यहां के साधकों को मार्गदर्शन प्राप्त हो; इस उद्देश्य से स्वामीजी ने आश्रम में पूर्वनिहित कालावधि से १ दिन अधिक रुकने का निर्णय लिया ।
जगद्गुरु योगऋषी डॉ. स्वामी सत्य प्रकाशजी का परिचय
जगद्गुरु योगऋषी डॉ. स्वामी सत्य प्रकाशजी एक सुप्रसिद्ध तत्त्वचिंतक हैं तथा वे वरद आश्रम इंटरकल्चर सर्विन ह्युमैनेटेरियन वर्ल्ड एसोसिएशन (VISHWA)’ अर्थात वरद आम अंतर्सांस्कृतिक मानवतावादी सेवा अर्थात विश्व नामक संगठन के संस्थापक हैं ।
स्वामीजी की शिक्षा
स्वामीजी ने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से कला क्षेत्र में पी.एच्.डी. कर संगीत में पहले क्रम में स्नातकोतर उपाधि प्राप्त की है । उन्हें लता मंगेशकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है । उन्होंने ‘मास्टर इन योगा इन मेडिकल साईन्स’ की उपाधि भी प्राप्त की है । उन्होंने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से तत्त्वज्ञान विषय की भी स्नातकोत्तर शिक्षा ग्रहण की है ।
स्वामीजी द्वारा की गई साधना
स्वामीजी ने कठिन तपश्चर्या की है । स्वामीजी वाराणसी में २५ वर्षतक रहे । वहां उन्होंने अध्यात्म के विविध अधिकारी पुरुषों से ज्ञान प्राप्त किया । वे संस्कृत के बहुत बडे विद्वान हैं । संस्कृत, वेद, उपनिषद, एवं पुराणों के अध्ययन के साथ ही उन्होंने कठिन तपश्चर्या भी की है । ऋषिकेश और हिमालय जाकर उन्होंने सूक्ष्म क्रियाओं के संदर्भ में अध्ययन कर कठिन से कठिन योगासनों का ज्ञान प्राप्त किया है ।
स्वामीजी के भारत में स्थित ३ आश्रम
देहली में ‘सत्य सनातन शिव मंदिर’, वाराणसी में ‘सिद्धेश्वर महादेव’, तो हिमाचल प्रदेश में ‘साधना आश्रम शिव मंदिर’, ये स्वामीजी के भारत में ३ आश्रम हैं ।
स्वामीजी की शिष्या डॉ. प्रीती मिस्रा का परिचय !
स्वामीजी की शिष्या डॉ. प्रीती मिस्रा का निवास भी वैनकुवर, कॅनडा में है । वे विश्व संगठन की सचिव एवं समन्वयक हैं । वे एक योगशिक्षिका भी हैं । स्वामीजी का संपूर्ण कार्यभार वहीं संभालती हैं ।
स्वामीजी द्वारा रामनाथी (गोवा) का
सनातन आश्रम तथा आश्रम के साधकों के प्रति व्यक्त गौरवोद्गार !
१. आश्रम में बहुत ही सकारात्मक ऊर्जा होने से मुझे यहां बहुत अच्छा लगा । मैने दोपहर का विश्राम न कर लेखन किया ।
२. रामनाथी आश्रम में तथा साधकों में ध्यान के लिए आवश्यक यम-नियमों का सुंदर संगम है । यहां के साधकों की नींव ही सशक्त है ।
३. यहां के प्रत्येक साधक त्यागी वृत्तिवाला है । यहां के साधक त्याग कर ही साधना हेतु आए हैं, इसे देखकर मैं बहुत आनंदित हूं । मेरे पास जो भी है, वह मैं आपको दूंगा । आप (मुझसे) जो चाहे ले सकते हैं ।
४. आश्रम के सभी साधकों का सिखने का भाग देखकर स्वामीजी की शिष्या डॉ. प्रीती मिस्रा ने कहा, ‘‘स्वामीजी आपको चाहे जितना समय देने हेतु सिद्ध हैं ।’’