१. व्रत की अवधि
आषाढ कृष्ण (वद्य) पक्ष द्वितीया के दिन अशून्यशयन व्रत किया जाता है । इस वर्ष यह तिथि १८.७.२०१९ को है । यह व्रत आषाढ मास से लेकर मार्गशीर्ष मासतक प्रत्येक मास की वद्य द्वितीयातक करें ।
२. व्रत की देवता
इस दिन शेषशय्यापर विराजमान श्रीवत्स चिन्हांकि, ४ भुजाओं से युक्त एवं लक्ष्मीजीसहित विराजमान श्री नारायणजी का पूजन किया जाता है ।
३. व्रतविधान
अ. दिनभर मौन रहकर श्री नारायणजी के अखंड अनुसंधान में रहें ।
आ. चंद्रोदय के पश्चात अर्घ्य देकर भोजन करें ।
४. फलप्राप्ति
‘इस व्रत से परिवारपर आनेवाला संभावित संकट टल जाता है तथा अखंड सौभाग्यसुख की प्राप्ति होती है, ऐसा भविष्यपुराण में बताया गया है ।’