शिष्य के जीवन के अज्ञानरूपी अंधकार को अपने ज्ञानरूपी तेज से नष्ट करनेवाले श्रीगुरु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का दिवस है गुरुपूर्णिमा ! शिष्य के अज्ञान को दूर कर उसकी आध्यात्मिक उन्नति हो; इसके लिए जो शिष्य को साधना बताकर उसे करवा लेते हैं तथा उसकी अनुभूति भी कराते हैं, उन्हें ‘गुरु’ कहा जाता है । ऐसे कृपावत्सल गुरु अर्थात संत भक्तराज महाराज का प्रत्यक्ष निवास रहा, उन मध्य प्रदेश के मोरटक्का तथा इंदौर के आश्रमों में स्थित चैतन्यदायी वस्तुओं का छायाचित्रमय दर्शन करेंगे ।
भक्तवात्सल्याश्रम, इंदौर के प.पू. भक्तराज महाराज का चैतन्यदायक कक्ष ! प.पू. रामानंद महाराज एवं परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने प.पू. बाबा की सगुण सेवा की ।
मोरटक्का, मध्य प्रदेश के श्री अनंतानंद साईश के ‘श्री सद्गुरु सेवासदन’ आश्रम में प.पू. भक्तराज जहां बैठते थे, वह स्थान !
मोरटक्का के आश्रम में श्री अनंतानंद साईश की प्रतिमा तथा उनकी चैतन्यमय चरण पादुकाएं
मोरटक्का में स्थित प.पू. बाबा की आसंदी तथा उनकी चैतन्यमय पादुकाएं
कांदळी (पुणे) के आश्रम में स्थित प.पू. भक्तराज महाराज की समाधि
कांदळी, पुणे में स्थित प.पू. बाबा का खेत । प.पू. बाबा खेत के उस पार स्थित शिवलिंग के रूप में स्थित (चौक में दिखाए जाने के अनुसार) प्रतिदिन दर्शन करते थे ।